कैराना सीट पर सियासी खेल : भाई के सामने बहन लड़ेगी चुनाव? इकरा और नाहिद दोनों ने सपा से भरा पर्चा

UPT | Shamli News

Mar 27, 2024 19:50

लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण को लेकर नामांकन का आज आखिरी दिन था। जिसके चलते राजनीतिक पार्टियों में अपने उम्मीदवारों को लेकर चल रही उठा-पटक को एक हद तक विराम लग गया। इसके साथ ही अब नामांकन के बाद नाम वापसी की तैयारी की जाएगी। वहीं चुनावी रण में उम्मीदवारों साथ सियासी घमासान भी तेज हो जाएगा। इसी क्रम में...

Shamli News : लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण को लेकर नामांकन का आज आखिरी दिन था। जिसके चलते राजनीतिक पार्टियों में अपने उम्मीदवारों को लेकर चल रही उठा-पटक को एक हद तक विराम लग गया। इसके साथ ही अब नामांकन के बाद नाम वापसी की तैयारी की जाएगी। वहीं चुनावी रण में उम्मीदवारों साथ सियासी घमासान भी तेज हो जाएगा। इसी क्रम में कैराना लोकसभा सीट की बात करें तो वहां बड़ा सियासी खेल होने जा रहा है। जहां सपा के टिकट पर इकरा हसन और उनके भाई नाहिद हसन ने नामांकन कर सभी को चौंका दिया है। इस सीट पर सियासी खेल के पीछे क्या रणनीति हो सकती है, जानते हैं पूरी कहानी।

भाई-बहन ने भरा पर्चा
कैराना लोकसभा सीट के सियासी इतिहास की बात करें तो यहां किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं रहा। यहां की जनता लगातार नए उम्मीदवार की ताजपोशी करती है। इस बार यहां का चुनाव कुछ ज्यादा ही दिलचस्प हो गया है। इस सीट पर कांग्रेस गठबंधन के चलते सपा की ओर से इकरा हसन को उम्मीदवार बनाया गया है। जिन्होंने अपना नामांकन भी कर दिया है। वहीं इस सीट पर उनके भाई नाहिद हसन ने भी सपा से नामांकन किया है। जिसके पीछे सपा की बड़ी सियासत सामने आ रही है। इकरा हसन की बात करें तो उनके दादा अख्तर हनस, पिता मनव्वर हसन और मां तबस्सुम भी सांसद रह चुकी हैं। भाई नाहिद हसन लगातार तीन बार से विधायक हैं। फिलहाल वह जेल में बंद हैं और उन्होंने जेल से ही इस सीट पर नामांकन किया है। अब देखना यह है कि इस चुनावी महासंग्राम में कौन मैदान में उतरेगा।
  
इस सीट पर किसी की नहीं लगी हैट्रिक
कैराना लोकसभा सीट पर किसी भी नेता ने आजतक हैट्रिक नहीं लगाई। इस सीट पर सबसे पहले दो बार कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। जहां पहली बार 1971 में तो दूसरा बार 1984 में, लेकिन उसके बाद से कांग्रेस के लिए कैराना सीट पर सूखा ही नजर आता है। लगभगत 40 साल हो चुके हैं, लेकिन कांग्रेस को कैराना सीट पर जीत नहीं मिली है। इस बार कांग्रेस का सपा के साथ गठबंधन है। कैराना सीट का एक रोचक इतिहास यह भी है कि यहां पर कोई भी दल हैट्रिक नहीं लगा सका है। फिर चाहे वेस्ट यूपी के बड़े नेताओं में शुमार बाबू हुकुम सिंह हों या फिर हसन परिवार। किसान और गन्ने की राजनीति करने वाले रोलाद के साथ ही जनता पार्टी और जनता दल ने ही सिर्फ लगातार दो बार जीत दर्ज की है।

भाजपा का होगा तगड़ा मुकाबला
कांग्रेस गठबंधन के अनुसार सपा के चुनाव निशान पर इस सीट से इकरा हसन प्रत्याशी हैं। जहां इकरा हसन का राजनीति से पुराना नाता रहा है। क्योंकि वह हमेशा राजनीतिक घराने से जुड़ी रहीं हैं। उनके दादा अख्तर हसन से लेकर पिता मनव्वर हसन, माता तबस्सुम और भाई नाहिद हसन सभी राजनीति में रहे हैं। अब देखना होगा कि क्या इस बार गठबंधन को जीत मिलेगी। देखा जाए तो कैराना लोकसभा सीट का चुनाव हमेशा सुर्खियों में रहता है। अभी तक इस सीट पर जहां एनडीए की ओर से वर्तमान सांसद प्रदीप चौधरी मैदान में हैं, तो सपा गठबंधन की इकरा हसन चुनावी रण में लड़ने को तैयार हैं। भाजपा प्रत्याशी प्रदीप चौधरी की बात करें तो वह तीन बार विधायक रह चुके हैं, जबकि वर्तमान सांसद भी हैं। उन पर पार्टी ने फिर से दांव लगाया है। यहां की जनता अब किसको ताज पहनाएगी यह तो चुनाव के बाद ही निर्णय होगा।

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