मोहन भागवत के बयान पर बोलीं सपा सांसद इकरा हसन : कहा- 'देर आए दुरुस्त आए', मजहबी लड़ाई छोड़ विकास की बात करें

UPT | सपा सांसद इकरा हसन

Dec 20, 2024 14:09

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत के मंदिर और मस्जिद विवाद पर दिए गए बयान को लेकर सियासी प्रतिक्रिया तेज हो गई है।

Saharanpur News : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत के मंदिर और मस्जिद विवाद पर दिए गए बयान को लेकर सियासी प्रतिक्रिया तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (SP) की कैराना से सांसद इकरा हसन ने उनके बयान का स्वागत करते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

इकरा हसन का बयान
सांसद इकरा हसन ने कहा, "हम इस बयान का स्वागत करते हैं। हालांकि, यह हैरानी की बात है कि ऐसा बयान आरएसएस प्रमुख की ओर से आया है। पहली बार मैं उनके बयान से सहमति रखती हूं, लेकिन यह भी कहना चाहती हूं कि इस तरह के विवादों की शुरुआत उनके ही संगठन द्वारा की गई थी। फिर भी, अगर यह विचार देर से आया है तो इसे सकारात्मक रूप से लिया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि अब समय है जब धार्मिक मुद्दों को छोड़कर देश के विकास और सामाजिक समरसता पर ध्यान केंद्रित किया जाए। उन्होंने सभी पक्षों से अपील की कि इस तरह के बयान को सही दिशा में ले जाकर समाज को जोड़ने का काम करें।



अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं
सपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने भी भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "भागवत जी का बयान सही दिशा में है, लेकिन उनके संगठन के अनुयायियों को इसे मानना होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्हें संगठन के भीतर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।" कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा, "मोहन भागवत जी को इस तरह की सलाह उन लोगों को देनी चाहिए जो उनके विचारों से जुड़े हैं। साथ ही, जो लोग कानून का उल्लंघन करते हैं, उन्हें भी सही मार्गदर्शन देने की आवश्यकता है।"

भागवत के बयान पर क्यों हो रही चर्चा?
हाल ही में मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर टिप्पणी करते हुए धार्मिक संघर्षों से बचने और सामाजिक समरसता बनाए रखने की अपील की थी। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में कई जगहों पर धार्मिक मुद्दों को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। सांसद इकरा हसन के बयान ने इस चर्चा को और धार दे दी है। राजनीतिक विशेषज्ञ इसे सपा की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं, जो देश में धर्म और राजनीति के बढ़ते मिश्रण को लेकर अपनी राय स्पष्ट करने का प्रयास कर रही है।

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