चंदौली में किसानों की किस्मत बदली : नई तकनीक से टमाटर की खेती साबित हो रही फायदे का सौदा, सुधर रही माली हालत

UPT | टमाटर की खेती करता किसान

Jan 20, 2025 11:34

जिले के किसानों ने सब्जियों की खेती में अद्यतन तकनीकी का प्रयोग शुरू कर दिया है। उन्हें आशा है कि नई तकनीक से सब्जियों की खेती में अत्यधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

Chandauli News : जिले के किसानों ने सब्जियों की खेती में नवीनतम तकनीक का प्रयोग शुरू कर दिया है। उन्हें उम्मीद है कि नई तकनीक से उन्हें सब्जी की खेती में भारी मुनाफा मिल सकता है। चकिया विकासखंड के मुजफ्फरपुर गांव निवासी चंदन गुप्ता ने कहा कि टमाटर की खेती में तकनीकी का प्रयोग खुशहाली लेकर आई है।

बांस बल्ली के सहारे टमाटर की खेती करने का तरीका अपनाया 
उन्होंने बांस बल्ली के सहारे टमाटर की खेती करने का तरीका अपनाया है। जो पौधे सामान्यतः अधिकतम तीन महीने तक फल देते हैं, वे नौ से दस महीने तक फल देते हैं। कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा रहा है। धान के कटोरे में टमाटर की खेती किसानों को रास आने लगी है। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों से प्रेरित होकर किसानों ने टमाटर की खेती को अपनाया है। गेहूं की खेती के मुकाबले किसान अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।

जैविक खाद का उपयोग और रासायनिक खाद से बचाव
किसान चंदन गुप्ता कहते हैं कि वे रासायनिक खादों की अपेक्षा जैविक खाद और गोबर की खाद का अधिक प्रयोग करते हैं। इससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और फसल अच्छी होती है। रासायनिक खादों के प्रयोग से फल सड़ जाते हैं, लेकिन गोबर की खाद का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।

वर्टिकल खेती से लागत में कमी और मुनाफे में वृद्धि
उन्होंने डेढ़ बीघा खेत के लिए 500 रुपये प्रति 10 ग्राम की दर से 40 ग्राम उन्नत किस्म के बीज खरीदकर पौधे तैयार किए। इसके बाद उन्हें दो फीट की दूरी पर रोप दिया। पौधों को सीधा रखने के लिए उन्होंने बांस की बाड़ बनाई और पौधों को बाड़ से बांधकर फैला दिया। उन्होंने बताया कि सामान्य खेती में टमाटर की एक फसल अधिकतम तीन महीने ही चलती है। लेकिन वर्टिकल विधि से पौधे 9 से 10 महीने तक फल देते हैं। एक बार लगाने और दोगुने से अधिक समय तक चलने के कारण लागत आधी हो जाती है और उन्हीं पौधों से उत्पादन दोगुना हो जाता है।

ऑफ-सीजन में भी अतिरिक्त मुनाफा
उन्होंने बताया कि वर्टिकल फार्मिंग से पौधा जमीन से ऊपर रहता है। इससे सिंचाई आसान होती है। फल सड़ता नहीं है, क्योंकि यह गीली मिट्टी के संपर्क में नहीं आता और फल तोड़ने के लिए पौधे को पलटना नहीं पड़ता। इससे पौधा लंबे समय तक चलता है। सीजन में जब टमाटर की पैदावार अधिक होती है, तो बाजार में टमाटर का भाव 10 से 20 रुपये प्रति किलो होता है। लेकिन जब ऑफ सीजन होता है, यानी सामान्य विधि से बोई गई फसल का उत्पादन बंद हो जाता है, तब भी वर्टिकल विधि से लगाए गए पौधे फसल देते हैं। ऑफ सीजन में टमाटर 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिकता है, जिससे अच्छा खासा मुनाफा होता है।

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