बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के माध्यम से 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्री स्कूल शिक्षा देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह पहल राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के मार्गदर्शन में की गई है।
Oct 07, 2024 21:34
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के माध्यम से 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्री स्कूल शिक्षा देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह पहल राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के मार्गदर्शन में की गई है।
Ghazipur News : बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के माध्यम से 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्री स्कूल शिक्षा देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह पहल राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के मार्गदर्शन में की गई है, जिसमें गाज़ीपुर के विभिन्न बैंकों और संस्थाओं से 100 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए आवश्यक किट प्राप्त किए गए हैं। इन किटों का वितरण जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने शहर के गोराबाजार स्थित परियोजना कार्यालय पर एक कार्यक्रम के दौरान किया।
जिलाधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि जनपद में जिन केंद्रों पर प्री स्कूल शिक्षा चल रही है, उनके लिए कुल 100 एजुकेशन किट सीएसआर फंड के माध्यम से उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्वयं हाथों से ये किट वितरित किए। इन किटों में बच्चों के पढ़ाई के लिए आवश्यक सभी सामग्री शामिल है, जैसे कि विभिन्न प्रकार के खिलौने, हिंदी और अंग्रेजी अक्षरों का ज्ञान, रंग, पजल, व्हाइट बोर्ड, मार्कर आदि। ये सामग्री 3 से 6 वर्ष के छोटे बच्चों को शिक्षा में सहायता प्रदान करेगी।
एजुकेशन किटों को सुरक्षित रखकर बच्चों को स्वावलंबी बनाने में सहायता करने को कहा
जिलाधिकारी ने सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे इन एजुकेशन किटों को सुरक्षित रखें और उनका बेहतर उपयोग करके 6 साल से कम उम्र के बच्चों को प्री शिक्षा के तहत स्वावलंबी बनाने में सहायता करें। कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि एक ब्लॉक में 5-6 किट उन आंगनबाड़ी केंद्रों को दिए जाएंगे जिनका अपना भवन है। किट वितरण के बाद जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा इसकी सत्यापन प्रक्रिया भी की जाएगी।
इस कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप पाण्डेय, सीडीपीओ अरुण दुबे, सायरा परवीन, समीर सिंह, बिरुमती, मुख्य सेविका तारा सिंह सहित विभिन्न ब्लॉकों की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अन्य लोग भी उपस्थित थे। इस पहल से न केवल बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है, बल्कि उन्हें खेल-खेल में सीखने का मौका भी मिलेगा, जिससे उनकी मानसिक और सामाजिक विकास में भी मदद मिलेगी। यह कदम समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए महत्वपूर्ण है और बच्चों के भविष्य को संवारने में सहायक सिद्ध होगा।