स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल पहुंची वाराणसी : काशी विश्वनाथ मंदिर में शिवलिंग छूने की नहीं मिली अनुमति, जानें पूरी बात

UPT | लॉरेन पॉवेल पहुंची वाराणसी

Jan 13, 2025 14:28

मंदिर में सुबह के समय श्रद्धालुओं को शिवलिंग को छूने की अनुमति दी जाती है, लेकिन लॉरेन को मंदिर प्रशासन ने यह अनुमति नहीं दी। इसके बाद इस निर्णय पर कई सवाल उठे...

Varanasi News : एप्पल के दिवंगत मालिक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल, वर्तमान में भारत की आध्यात्मिक यात्रा पर हैं। वह फिलहाल काशी में हैं और वहां से प्रयागराज महाकुंभ में जाकर 2 सप्ताह का कल्पवास करेंगी। रविवार को उन्होंने अपने गुरू, निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किए। इस अवसर पर मंदिर में सुबह के समय श्रद्धालुओं को शिवलिंग को छूने की अनुमति दी जाती है, लेकिन लॉरेन को मंदिर प्रशासन ने यह अनुमति नहीं दी। इसके बाद इस निर्णय पर कई सवाल उठे, जिनका जवाब उनके गुरू कैलाशानंद गिरि ने दिया।

लॉरेन को बेटी मानते हैं कैलाशानंद गिरि
स्वामी कैलाशानंद गिरि ने लॉरेन पॉवेल को अपनी बेटी के रूप में संबोधित किया और कहा कि भले ही वह उम्र में उनसे बड़ी हैं, लेकिन वह भारतीय संस्कृति और सभ्यता का गहरा सम्मान करती हैं और उन्हें अपना गुरू मानती हैं। उन्होंने बताया कि गुरू का दर्जा पिता के समान होता है और इसलिए वे भी लॉरेन को पुत्री की तरह सम्मान देते हैं। लॉरेन पॉवेल भारतीय आध्यात्मिकता और परंपराओं को जानने के लिए इस यात्रा पर आई हैं और महाकुंभ के दौरान वह प्रयागराज में कल्पवास करेंगी।

<iframe width="560" height="315" src="https://www.youtube.com/embed/oCylo45Z5bo?si=h5_VFJEn4WHB-W4d" title="YouTube video player" frameborder="0" allow="accelerometer; autoplay; clipboard-write; encrypted-media; gyroscope; picture-in-picture; web-share" referrerpolicy="strict-origin-when-cross-origin" allowfullscreen></iframe>

इस कारण नहीं छूने दिया गया शिवलिंग
आचार्य कैलाशानंद गिरि ने यह भी बताया कि लॉरेन पॉवेल 60 सदस्यीय दल के साथ भारत आई हैं और उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत काशी से की है। काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के अलावा, उन्होंने वाराणसी के अन्य मंदिरों का भी दौरा किया। बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के बाद, उन्होंने नंदी बाबा को प्रणाम किया, लेकिन चूंकि वह अभी गैर-हिंदू हैं, उन्हें शिवलिंग को छूने की अनुमति नहीं दी गई। इस पर स्वामी ने कहा कि यह मंदिर के नियमों के अनुसार था और इस फैसले को समझना चाहिए।

भारतीय परंपराओं को समझती हैं लॉरेन
स्वामी कैलाशानंद गिरि ने यह भी बताया कि नियम का पालन करना भारतीय संस्कृति की परंपरा का हिस्सा है और लॉरेन ने भी इसे पूरी तरह से स्वीकार किया। वह भारतीय रीति-रिवाजों और परंपराओं को समझती हैं और इसलिए उन्हें इस नियम से कोई आपत्ति नहीं हुई। स्वामी ने यह भी बताया कि काशी के बाद, लॉरेन पॉवेल प्रयागराज जाएंगी, जहां वह गंगा-यमुना के पवित्र संगम में स्नान करेंगी और पुण्य लाभ अर्जित करेंगी।

अमेरिका में महामंडलेश्वर नियुक्त करने की तैयारी
निरंजनी अखाड़ा अब भारतीय संस्कृति और आध्यात्म के प्रति बढ़ते वैश्विक जुड़ाव को देखते हुए अमेरिका से अपना पहला महामंडलेश्वर नियुक्त करने की योजना बना रहा है। इस महामंडलेश्वर का नाम महर्षि व्यासानंद रखा गया है, जो एक अमेरिकी नागरिक हैं और भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर संत बन गए हैं। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि वह शंकराचार्य की परंपरा को दुनिया के सामने लाने के लिए सम्मानित महसूस कर रहे हैं। इस तरह, निरंजनी अखाड़ा ने अमेरिकी धरती पर भारतीय आध्यात्मिकता का प्रचार करने का संकल्प लिया है।

ये भी पढ़ें- कारोबार और परोपकार का संगम : महाकुंभ में छोटे व्यापारियों को मिला रोजगार, भंडारों में बंट रहा प्रसाद

Also Read