मस्जिद के अंदर स्थित है कृतिवाशेश्वर महादेव मंदिर : मुस्लिम जिसे बताते फव्वारा, हिंदू मानते हैं शिवलिंग, करते हैं पूजा

UPT | मस्जिद के अंदर स्थित है कृतिवाशेश्वर महादेव मंदिर

Sep 07, 2024 12:42

कृतिवाशेश्वर महादेव मंदिर काशी के हरतीरथ मोहल्ले में स्थित है, लेकिन 1669 में औरंगजेब के आदेश पर इसे तुड़वा दिया गया और उसके स्थान पर मस्जिद का निर्माण कराया गया।

Short Highlights
  • मस्जिद के अंदर है कृतिवाशेश्वर मंदिर
  • जमीन से 2 फीट नीचे है शिवलिंग
  • ASI सर्वे कराने की मांग
Varanasi News : वाराणसी, काशी या बनारस... नाम कई हैं, लेकिन पहचान एक। देश में अगर मंदिरों और धार्मिक स्थलों का इतिहास देखा जाए, तो वाराणसी का नाम सबसे ऊपर आता है। लेकिन इस शहर में धार्मिक स्थलों के साथ कई विवाद भी जुड़े हैं। ज्ञानवापी भले ही इसका सबसे चर्चित मु्द्दा हो, लेकिन ये कोई एकलौता मामला नहीं है।  वाराणसी में स्थित कृतिवाशेश्वर महादेव मंदिर भी औरंगजेब के आक्रमण का शिकार हुआ था। इस मंदिर का अधिकांश हिस्सा अब आलमगीर मस्जिद के अंदर स्थित है, जहां आज भी शिवलिंग की पूजा की जाती है। इस मंदिर की स्थिति और उसकी पौराणिक महत्वता को लेकर एक लंबे समय से विवाद चल रहा है।

जमीन से 2 फीट नीचे है शिवलिंग
कृतिवाशेश्वर महादेव मंदिर काशी के हरतीरथ मोहल्ले में स्थित है, लेकिन 1669 में औरंगजेब के आदेश पर इसे तुड़वा दिया गया और उसके स्थान पर मस्जिद का निर्माण कराया गया। मस्जिद के अंदर स्थित शिवलिंग अभी भी जमीन से 2 फीट नीचे है, और वहां हिंदू समुदाय द्वारा नियमित पूजा की जाती है। मस्जिद के आर्किटेक्चर और उसके खंभों पर की गई कलाकृतियां हिंदू शैली की ही हैं, जो ज्ञानवापी मस्जिद से मिलती-जुलती हैं।

ASI सर्वे कराने की मांग
कृतिवाशेश्वर महादेव मंदिर और आलमगीर मस्जिद के बीच विवाद अब अदालत में पहुंच चुका है। हिंदू पक्ष ने मस्जिद का पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI सर्वे) कराने की मांग की है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वहां प्राचीन मंदिर का अस्तित्व था या नहीं। हाल ही में अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई, लेकिन मुस्लिम पक्ष की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो पाई। अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी।

हिंदू पक्ष करता है पूजा
विवाद का मुख्य बिंदु मस्जिद के अंदर स्थित शिवलिंग को लेकर है। 2006 से पहले इस स्थान पर एक फव्वारा था, लेकिन हिंदू पक्ष ने इसे शिवलिंग मान लिया और वहां पूजा शुरू कर दी। इसके बाद से शिवलिंग की नियमित पूजा की जाती है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा मानता है।

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