हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : विदेश में हुए अपराधों की जांच में CBI को मिली राहत, राज्य की मंजूरी जरूरी नहीं

विदेश में हुए अपराधों की जांच में CBI को मिली राहत, राज्य की मंजूरी जरूरी नहीं
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Oct 08, 2024 20:10

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। इसके अनुसार, सीबीआई को अब देश के बाहर किसी नागरिक द्वारा किए गए अपराध की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी...

Oct 08, 2024 20:10

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। इसके अनुसार, सीबीआई को अब देश के बाहर किसी नागरिक द्वारा किए गए अपराध की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। यह निर्णय मेरठ जिले से जुड़े एक मामले में दिया गया है, जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सीबीआई को विदेश में भारतीय नागरिक द्वारा किए गए अपराध की जांच के लिए दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम 1946 की धारा 6 के तहत केवल केंद्र सरकार की मंजूरी की आवश्यकता है।

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राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी
न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने कहा है कि डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के तहत राज्य सरकार के क्षेत्र में जांच के लिए उसकी सहमति जरूरी है। हालांकि, यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में अपराध करता है, तो इसके लिए राज्य सरकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। इस संदर्भ में, न्यायालय ने केंद्रीय कार्मिक एवं लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा मई 2016 में जारी की गई अधिसूचना का उल्लेख किया, जिसमें सीबीआई को गृह मंत्रालय से अभियोजन के लिए मंजूरी प्राप्त करने और मामलों के संचालन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया था। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि विदेश में किए गए अपराधों की जांच केवल सीबीआई कर सकती है और ऐसे मामलों में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी।



इस मामले में दी यह टिप्पणी
न्यायालय ने यह टिप्पणी कल्पना माहेश्वरी द्वारा दायर की गई आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें उन्होंने अपनी बेटी की संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) में हुई मौत की सीबीआई जांच की मांग की थी। न्यायालय ने सीबीआई और गृह मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया कि वे हाईकोर्ट के आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने के 15 दिनों के भीतर आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर याचिकाकर्ता की बेटी की मौत की जांच शुरू करें।

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यह है पूरा मामला
सीबीआई की दर्ज की गई एफआईआर में अंशू की मां कल्पना महेश्वरी ने अपने दामाद सुमित बिनानी पर दहेज के लिए हत्या का आरोप लगाया है। अंशू अमेरिका में पढ़ाई के बाद फेसबुक में नौकरी कर रही थी। जिसकी शादी 27 नवंबर 2020 को ट्विटर में काम करने वाले सुमित से हुई थी। दोनों अमेरिका के सियेटल में रहने लगे थे। कल्पना के अनुसार, अंशू ने फोन पर उन्हें बताया था कि उसके पति की नजर सियेटल के एक 10 करोड़ रुपये के मकान पर है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुमित ने उनकी बेटी का मकान और पैसे हड़पने के लिए 9 फरवरी 2022 को कमरे में पेट्रोल डालकर हीटर चला दिया, जिससे धमाका हुआ और अंशू की जलकर मौत हो गई। अंशू की मौत की जानकारी सुमित ने परिवार को नहीं दी। इसके बजाय, उसके रिश्तेदारों ने फोन करके उन्हें इस घटना के बारे में बताया।

अंशू के परिजन पहुंचे हाईकोर्ट
जानकारी के मुताबिक अंशू के परिजनों ने न्याय की मांग करते हुए 28 सितंबर 2023 को मेरठ के मेडिकल थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। चूंकि घटना अमेरिका में हुई थी, मेरठ पुलिस ने सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की, लेकिन सीबीआई ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद परिजनों ने  हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने 21 सितंबर को सीबीआई और गृह मंत्रालय को 15 दिनों के भीतर मामले की जांच शुरू करने का आदेश दिया।

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