Agra News : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नगर निगम हलकान, देना होगा 58 करोड़ का मुआवजा... 

UPT | सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नगर निगम हलकान।

Nov 05, 2024 10:38

वैश्विक पर्यटन नगरी में कलकल बहती कालिंदी नदी की दशा किसी से छिपी नहीं है। यमुना मैया को प्रदूषण से बचाने के लिए तमाम पर्यावरणविद् के साथ-साथ मथुरा-वृंदावन और आगरा के तमाम धार्मिक गुरु भी आंदोलन करते रहे हैं। ताजमहल...

Agra News : वैश्विक पर्यटन नगरी में कलकल बहती कालिंदी नदी की दशा किसी से छिपी नहीं है। यमुना मैया को प्रदूषण से बचाने के लिए तमाम पर्यावरणविद् के साथ-साथ मथुरा-वृंदावन और आगरा के तमाम धार्मिक गुरु भी आंदोलन करते रहे हैं। ताजमहल, यमुना नदी और उसके आसपास के क्षेत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट, टीटीजेड एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सीधी निगरानी रखते हैं। यमुना नदी के प्रदूषण एवं ताजमहल को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट कई अहम आदेश दे चुके हैं। बावजूद इसके आगरा प्रशासन, नगर निगम, विकास प्राधिकरण कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी के आदेशों का अनुपालन करने में नाकाम रहे हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। उच्चतम न्यायालय ने यमुना नदी में बढ़ रहे प्रदूषण को गंभीरता से लेते हुए एक मामले में नगर निगम को 58 करोड़ से अधिक का पर्यावरणीय मुआवजा देने का आदेश दिया है। 

ये है पूरा मामला
बताते चलें कि प्रदूषित यमुना नदी के मामले में आगरा के डॉक्टर संजय कुलश्रेष्ठ ने एनजीटी में याचिका दायर की थी। एनजीटी ने संजय कुलश्रेष्ठ की याचिका की हियरिंग के बाद 24 अप्रैल को नगर निगम आगरा को आदेशित किया था कि 3 महीने के भीतर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को क्षतिपूर्ति जमा कर दें। नगर निगम एनजीटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सोमवार को नगर निगम की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में हियरिंग हुई। 

कोर्ट ने नहीं मानीं दलीलें
यमुना प्रदूषण के मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने नगर निगम के कथन पर असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि नगर निगम ने अनुपचारित अपशिष्टों को यमुना में बहाकर नर्क बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अप्रैल के आदेश के निष्कर्ष का हवाला देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने बताया कि नगर निगम पर्यावरण मानकों का पालन करने में असफल रहने की जवाबदेही से बच नहीं सकता। एनजीटी ने आगरा में मौजूद सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) की सफलता का लेखा-जोखा दिया था। वहीं, इस मामले में नगर निगम का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने तर्क दिया कि एसटीपी की स्थापना में देरी के कारण न्यायालय और एनजीटी के समक्ष 4 वर्षों से लंबित पेड़ काटने के प्रकरण सामने हैं। कहा कि प्रदूषण को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 

कोर्ट ने खारिज की अपील
अंततः सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पर्यावरण क्षतिपूर्ति के निर्देश के खिलाफ नगर निगम की अपील को सिरे से खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो धनराशि जमा कराई जाएगी, उसका उपयोग पर्यावरण की बहाली के लिए किया जाएगा।

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