ब्रज के प्राचीन कुंडों का जल होगा अब आचमन योग्य : इस्कॉन और टाटा ग्रुप जैसी प्रमुख संस्थाओं का सहयोग लिया जा रहा 

UPT | ब्रज क्षेत्र में स्थित प्राचीन कुंड।

Dec 20, 2024 20:37

ब्रज तीर्थ विकास परिषद अब ब्रज के प्राचीन कुंडों के जल को आचमन योग्य बनाएगा। इसके लिए इस्कॉन और टाटा ग्रुप का सहयोग लिया जाएगा, जिससे कुंडों का जल शोधन और सौंदर्यीकरण किया जाएगा।

Mathura News : ब्रज क्षेत्र, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का गवाह माना जाता है, अब अपने प्राचीन कुंडों के जल की गुणवत्ता को सुधारने की दिशा में एक अहम कदम बढ़ा रहा है। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद की पहल पर, ब्रज के इन धार्मिक और ऐतिहासिक कुंडों का जल अब आचमन योग्य (पीने योग्य) बनाने के लिए इस्कॉन और टाटा ग्रुप जैसी प्रमुख संस्थाओं का सहयोग लिया जा रहा है। 



ब्रज के जल निकायों का महत्व
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) द्वारा उपलब्ध कराए गए स्पेस डाटा के अनुसार, मथुरा जनपद में कुल 2052 जल निकाय मौजूद हैं, जिनमें से 288 कुंड के रूप में पहचान में आए हैं। एक फील्ड सर्वे के मुताबिक, इन कुंडों में से 213 कुंड वास्तविकता में मौजूद पाए गए। हालांकि, अधिकांश कुंडों की स्थिति देखरेख के अभाव में जीर्ण-शीर्ण हो चुकी है, और इनका जल भी खराब है। यह स्थिति न केवल इन कुंडों के धार्मिक महत्व को प्रभावित कर रही है, बल्कि श्रद्धालुओं की सेहत पर भी बुरा असर डाल रही है।

पुनरोद्धार और जल शोधन की प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने इन प्राचीन कुंडों के पुनरोद्धार की प्रक्रिया शुरू की है, और अब तक दो दर्जन से अधिक कुंडों का पुनर्निर्माण किया जा चुका है। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है, और अब परिषद ने कुंडों के सौंदर्यीकरण और जल गुणवत्ता सुधारने के लिए निजी संस्थाओं का सहयोग प्राप्त करने की योजना बनाई है। इस प्रयास में इस्कॉन (International Society for Krishna Consciousness) और टाटा ग्रुप जैसे प्रमुख संस्थानों की मदद ली जा रही है।

इस्कॉन और टाटा ग्रुप की भागीदारी
इस्कॉन के श्रीचैतन्य हेल्थ एंड केयर ट्रस्ट द्वारा सात कुंडों का जल शोधन किया जाएगा, जबकि टाटा ग्रुप द्वारा आठ कुंडों का जल शोधन किया जाएगा। इस कार्य के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा चुकी है। श्याम बहादुर सिंह, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ ने बताया कि इन कुंडों का जल आचमन योग्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि श्रद्धालुओं को साफ और सुरक्षित जल प्राप्त हो सके। इसके साथ ही, मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण (MVDA) भी पांच कुंडों के जल शोधन पर काम कर रहा है।

कुंडों के पुनरोद्धार की जिम्मेदारी
टाटा ग्रुप ने जिन कुंडों का विकास और जल शोधन करने का जिम्मा लिया है, उनमें प्रमुख हैं: मानसी गंगा, राधाकुंड, कृष्ण कुंड, अष्ठसखी कुंड, शांतनु कुंड, गरुण गोविंद कुंड, नरी सेमरी कुंड, वहीं इस्कॉन ने जिन कुंडों को गोद लिया है, वे हैं: प्रिया कुंड, पावन सरोवर, वृषभानु कुंड, विव्हक कुंड, जल विहार कुंड, कृष्ण कुंड।

मवीडीए का योगदान
इसके अतिरिक्त, मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण (MVDA) भी ब्रज के प्राचीन कुंडों के सुधार के कार्य में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। इस कार्य में ललिता कुंड, वृंदा कुंड, नारद कुंड, सोभरि कुंड, और सुनरख ड्रेन कार्य शामिल हैं। एमवीडीए का यह कदम सुनिश्चित करेगा कि इन धार्मिक स्थलां को पूरी दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए एक आदर्श रूप में प्रस्तुत किया जा सके। ब्रज क्षेत्र के प्राचीन कुंडों का जल अब आचमन योग्य बनाने के प्रयासों से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय समुदाय और श्रद्धालुओं को भी स्वच्छ जल प्राप्त होगा। इस सुधार प्रक्रिया के माध्यम से ब्रज की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर को सहेजते हुए, इसे एक नई पहचान मिल रही है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए फायदेमंद साबित होगी। 

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