अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय : किले में भंडारे का प्रस्ताव खारिज, प्रशासन ने अनुमति न देने की बताई यह वजह

UPT | Aligarh Muslim University

Aug 30, 2024 17:22

विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर ने एक पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया कि एएमयू शहीद सैनिकों का सम्मान करता है, परंतु किले में चल रही शैक्षणिक गतिविधियों और छात्रों की आवाजाही के कारण इस प्रकार के आयोजन की अनुमति देना उचित नहीं होगा...

Short Highlights
  • एएमयू ने किले में भंडारे के प्रस्ताव खारिज किया
  • प्रशासन ने शैक्षणिक गतिविधियों का हवाला दिया
  • डॉ. शर्मा ने कहा कि वह बलिदानी सैनिकों की गौरवगाथा का गुणगान करना चाहते थे
Aligarh News : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) ने अलीगढ़ किले में भंडारे के आयोजन की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। यह प्रस्ताव एएमयू के पूर्व छात्र और भाजपा नेता डॉ. निशित शर्मा द्वारा रखा गया था, जिन्होंने किले के मराठा सैनिकों से जुड़े इतिहास को उजागर करने का प्रयास किया था। विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर ने एक पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया कि एएमयू शहीद सैनिकों का सम्मान करता है, परंतु किले में चल रही शैक्षणिक गतिविधियों और छात्रों की आवाजाही के कारण इस प्रकार के आयोजन की अनुमति देना उचित नहीं होगा।

पत्र के जरिए मांगी थी अनुमति
दरअसल, डॉ. निशित शर्मा ने किला संरक्षण मंच के माध्यम से प्रॉक्टर को एक पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने 1803 में हुए द्वितीय मराठा युद्ध का जिक्र किया था। उनके अनुसार, इस युद्ध में लगभग दो हजार मराठा सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। चूंकि यह किला पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है और एएमयू की देखरेख में है, इसलिए उन्होंने 1 सितंबर को बलिदानी सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक कार्यक्रम और भंडारे के आयोजन की अनुमति मांगी थी।



शैक्षणिक गतिविधियों का दिया हवाला
जिसके बाद, प्रॉक्टर प्रो. वसीम अली ने अपने जवाबी पत्र में कहा कि किला एएमयू शिक्षण संस्थान की संपत्ति है और यहां शैक्षणिक गतिविधियां प्राथमिकता हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एएमयू ने हमेशा बलिदानी सैनिकों का सम्मान किया है, लेकिन वर्तमान शैक्षणिक माहौल में अन्य कार्यक्रमों की अनुमति देना उचित नहीं होगा। इस कारण से उन्होंने डॉ. शर्मा के आवेदन को अस्वीकार कर दिया।

प्रॉक्टर के फैसले पर क्या डॉ. शर्मा ने दी प्रतिक्रिया
इसके बाद, प्रॉक्टर के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. निशित शर्मा ने कहा कि उनका इरादा कोई धार्मिक आयोजन करने का नहीं था, बल्कि वे केवल बलिदानी सैनिकों की गौरवगाथा का गुणगान करना चाहते थे। उन्होंने सुझाव दिया कि एएमयू के अधिकारी, जैसे कुलपति, स्वयं इस आयोजन में शामिल हो सकते थे। उन्होंने यह भी प्रश्न उठाया कि यदि अन्य गतिविधियों की अनुमति नहीं है, तो पूर्व में यहां मदरसा कैसे चलाया गया था। डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि यदि एएमयू चाहे तो वे किले के गेट पर भी आयोजन की अनुमति दे सकते हैं।

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