गुणवत्तायुक्त बासमती चावल के निर्यात में वृद्धि के लिए 10 कीटनाशकों पर लगा प्रतिबंध : निर्यात में आई कमी को लेकर लगी रोक

UPT | बासमती चावल में दस कीटनाशकों के प्रयोग पर लगाई रोक।

Sep 15, 2024 00:19

बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 10 कीटनाशकों की बिक्री और प्रयोग पर रोक लगाई गई है। इन कीटनाशकों के प्रयोग से बासमती चावल की क्वालिटी स्तर कम हो रहा था।

Short Highlights
  • कीटनाशकों के प्रयोग से बासमती चावल के निर्यात में आई है कमी 
  • बासमती चावल के निर्यात में आई गिरावट 
  • यूपी के तीन जिलों में लगी रोक 
Aligarh News : बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 10 कीटनाशकों की बिक्री और प्रयोग पर रोक लगाई गई है। इन कीटनाशकों के प्रयोग से बासमती चावल की क्वालिटी स्तर कम हो रहा था। यूरोप, अमेरिका और खाड़ी जैसे आयातक देशों में कीटनाशकों के कड़े मानकों  के कारण बासमती चावल के निर्यात को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते सरकार ने 10 कीटनाशकों के विक्रय,वितरण और प्रयोग पर रोक लगाई है। 

कीटनाशकों के प्रयोग से बासमती चावल के निर्यात में आई है कमी 
जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमित जायसवाल ने बताया है कि 10 कृषि रक्षा रसायनों के प्रयोग के कारण चावल के दानों में कीटनाशक के अवशेषों का जोखिम है । इसके साथ ही सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मेरठ ने उत्तर प्रदेश राज्य में, बासमती चावल में कीटों और रोगों को नियंत्रित करने के लिए कृषि रक्षा रसायनों के विकल्प के रूप में एकीकृत रोग प्रबन्धन मॉड्यूल की संस्तुति भी की है। कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग,  कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा कीटनाशकों विशेषकर ट्राईसाइक्लाजोल और बुप्रोफेजिन के सुरक्षित और न्यायोचित प्रयोग के लिए एसओपी जारी की गई है। जिसमें वैकल्पिक कीटनाशकों के प्रयोग की संस्तुति की है।  कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) भारत सरकार ने भी सूचित किया है कि यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और खाड़ी देश जैसे आयातक देशों में कीटनाशकों के अधिकतम अवशेष स्तर के कड़े मानकों के कारण बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है। 
बासमती चावल के निर्यात में आई गिरावट 
उन्होंने बताया है कि वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-22 में बासमती चावल के निर्यात में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है। एपीडा ने उत्तर प्रदेश की विरासत बासमती उपज को बचाने और अन्य देशों को बासमती चावल के बाधा मुक्त निर्यात को सुनिश्चित करने के लिए इन कीटनाशकों पर पाबंदी लगाने का अनुरोध किया है, चूंकि, पूर्वोक्त कीटनाशक बासमती चावल के निर्यात और खपत में संभावित बाधा है । कीटनाशकों के विकल्प जिनका अवशेष प्रभाव कम है, बाजार में उपलब्ध है . इसी दृष्टिगत उत्तर प्रदेश राज्य के तीस बासमती उत्पादक जिलों में बासमती धान की फसल पर दस कीटनाशकों के विक्रय, वितरण एवं प्रयोग पर प्रतिषेध लगाना अनिवार्य हो गया है। 

यूपी के तीन जिलों में लगी रोक 
ये कीटनाशक बासमती चावल के निर्यात और खपत में सम्भावित बाधा है, इसलिए अब, कीटनाशी अधिनियम, 1968 के अधीन प्रदत्त शक्तियों और इस निमित्त अन्य समस्त समर्थकारी शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल इस अधिसूचना के गजट में प्रकाशित किये जाने के दिनांक से साठ दिनों की अवधि के लिए उत्तर प्रदेश राज्य के तीस जिलों यथा आगरा, अलीगढ़, औरैया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूँ, बुलन्दशहर, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौतमबुद्ध नगर गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर सहारनपुर, शाहजहांपुर और सम्भल में, बासमती चावल में 10 कीटनाशकों के सभी प्रकार के फार्मूलेशन की बिक्री, वितरण और प्रयोग को प्रतिषिद्ध करते हैं, ताकि गुणवत्तायुक्त बासमती चावल के निर्यात में वृद्धि की जा सकें। 
 
इन 10 कीटनाशकों पर लगाया प्रतिबंध 
कीटनाशक ट्राइसाइकला जोल, बुप्रोफेजिन, एसीफेट, कलोरपाइरीफोस, हेकसाकोनो जोल, प्रोपिकोना जोल, थायोमेथा कसाम, प्रोफेनेफॉस, इमिडाकलोप्रिड, कार्येणडाजिम को प्रतिबंधित किया गया है।

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