AMU : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक संस्थान की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी शुरू,माइनॉरिटी स्टेटस पर होगा फैसला

Uttar Pradesh Times | अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

Jan 10, 2024 00:28

सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस मनोज मिश्रा,जस्टिस जेबी पारटीवाला,जस्टिस सूर्यकांत,जस्टिस दीपांकर दत्ता,जस्टिस एससी शर्मा, जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं।

Short Highlights
  • वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार की ओर से एक लेटर में कहा गया था कि AMU माइनॉरिटी संस्थान है।
  • अल्पसंख्यक संस्थान को कई तरह के फायदे मिलते हैं। ऐसे में उनका सबसे बड़ा फायदा वह अपनी एडमिशन पॉलिसी खुद से डिसाइड करते हैं।
Aligarh News : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी स्टेटस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई जारी रही। सुप्रीम कोर्ट में एएमयू के अल्पसंख्यक स्वरुप को लेकर शाम पांच बजे तक सुनवाई होती रही। वहीं एएमयू ओल्ड ब्वायज एसोसियेशन के सचिव आजम मीर ने कहा सुप्रीम कोर्ट में तीन दिन तक लगातार सुनवाई होगी। इसके साथ ही ये सुनवाई आगे बढ़ भी सकती है। मंगलवार को हुए सुनवाई में एडवोकेट राजीन धवन ने एएमयू का पक्ष रखा गया।साथ ही प्रख्यात वकील और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद भी आने वाले दिनों में एएमयू का सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस मनोज मिश्रा,जस्टिस जेबी पारटीवाला,जस्टिस सूर्यकांत,जस्टिस दीपांकर दत्ता,जस्टिस एससी शर्मा, जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं।

वहीं सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान देखने वाली बात होगी कि क्या सुनवाई के बाद एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा छिन जाएगा। जिस पर सुनवाई कर रही 7 जजो की खंडपीठ पर भी लोगों की नजर रहेगी। वहीं अल्पसंख्यक स्टेटस को लेकर AMU बनाम नरेश अग्रवाल व अन्य के बीच कोर्ट में वाद चल रहा है। जबकि यूपीए की केंद्र सरकार के समय इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 2006 में अपील की गई थी। लेकिन तब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। जिसके चलते अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी इंतजामिया प्रशासन ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा सुनाएं गए इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार की ओर से एक लेटर में कहा गया था कि AMU माइनॉरिटी संस्थान है। जिसके चलते वह अपने हिसाब से एडमिशन प्रोसेस में बदलाव कर सकती है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है : इलाहाबाद हाई कोर्ट
कांग्रेस सरकार के वक्त अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2006 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी अपील लगाई थी। जहां इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। माइनॉरिटी स्टेटस को लेकर यूनिवर्सिटी इंतजामिया प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी का कहना था कि हमें माइनॉरिटी करेक्टर का स्टेटस मिलना चाहिए। जिसके चलते मामला पिछले कई वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग चल रहा था। जहां मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच में सुनवाई शुरू हो रही है।साथ ही सुप्रीम कोर्ट के जज ये निर्णय लेंगे, कि क्या AMU माइनॉरिटी स्टेटस है। वहीं इसका असर अन्य यूनिवर्सिटी पर भी पड़ेगा। लेकिन बड़ी बात ये है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को फंडिंग केंद्र की सरकार करती है। ऐसे में क्या AMU अल्पसंख्यक संस्थान के दायरे में आएगा? जिस मामले पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के सात जज विचार करेंगे।

वहीं आपको बता दें कि अल्पसंख्यक संस्थान को कई तरह के फायदे मिलते हैं। ऐसे में उनका सबसे बड़ा फायदा वह अपनी एडमिशन पॉलिसी खुद से डिसाइड करते हैं। जबकि सात जजों के अलग - अलग विचार होंगे। जब मामला दो जजों की बेंच से निर्णय नहीं होता है। तो फिर तीन जजों और पांच जजों की बेंच में निर्णय होता है।ऐसे में एएमयू का माइनॉरिटी संस्थान के दर्जा की सुनवाई सात जजों की बेंच कर रही है। हालांकि सात जजो की बेंच का निर्णय बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। माइनॉरिटी स्टेटस को लेकर कानून क्या होना चाहिए। इसके बहुत डिटेल में जाएंगे। वहीं इससे कई वर्षो के पुराने मामले भी सुलझ जाते हैं। भविष्य में ऐसे केस न आए , तो उसका भी निपटारा हो जाता है। एएमयू के पूर्व मीडिया सलाहकार प्रोफसर जसीम मोहम्मद का कहना है कि अल्पसंख्यक स्वरुप का औचित्य खत्म हो गया है। क्यों कि अब एडमिशन कामन एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर हो रहा है। वहीं उन्होंने कहा कि माइनारिटी स्टेटस का मतलब है कि अल्पसंख्यकों को एडमिशन में तरजीह देने से है।हालांकि अब इसका कोई इश्यू रह नहीं गया है। जबकि एएमयू में इंटरनल और एक्सटरनल के आधार पर रिजर्वेशन पालिसी है। साथ ही उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक मुद्दे पर विश्वविद्यालय की कोई जहनी तैयारी भी नहीं है।

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