टोल प्लाजा पर हाथापाई का मामला : पूर्व ब्लॉक प्रमुख के ड्राइवर ने टोल कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

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Oct 16, 2024 19:48

योध्या हाईवे पर स्थित अहमदपुर टोल प्लाजा पर दो माह पहले हुई मारपीट का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। पूर्व ब्लॉक प्रमुख और उनके चालक द्वारा टोल प्लाजा कर्मचारियों पर लगाए गए आरोपों के बाद मामला कोर्ट तक पहुंच गया।

Barabanki News : बाराबंकी में अयोध्या हाईवे पर स्थित अहमदपुर टोल प्लाजा पर दो माह पहले हुई मारपीट का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। पूर्व ब्लॉक प्रमुख और उनके चालक द्वारा टोल प्लाजा कर्मचारियों पर लगाए गए आरोपों के बाद मामला कोर्ट तक पहुंच गया। एससीएसटी न्यायालय के आदेश पर जैदपुर थाना पुलिस ने टोल प्लाजा कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। पूर्व प्रमुख के दलित चालक ने न्यायालय का सहारा लिया था, जिसके बाद यह मामला फिर से चर्चा में आ गया।


क्या है पूरा मामला?
19 अगस्त को समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व ब्लॉक प्रमुख दिनेश सिंह अपने साथियों के साथ अहमदपुर टोल प्लाजा से गुजर रहे थे। टोल प्लाजा के प्रबंधक जितेन्द्र बहादुर सिंह ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई कि दिनेश सिंह और उनके साथियों ने टोल प्लाजा पर कर्मचारियों के साथ मारपीट की। उनके मुताबिक, मारपीट के दौरान बंदूक की बट का इस्तेमाल किया गया और कर्मचारियों को अगवा करने की भी कोशिश की गई। प्रबंधक की शिकायत पर पुलिस ने दिनेश सिंह और उनके साथियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया। यह मामला उस समय शांत हो गया था लेकिन हाल ही में इसे फिर से गर्मी मिली है।

कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ मामला
इस मामले में नया मोड़ तब आया जब पूर्व ब्लॉक प्रमुख के दलित चालक शत्रोहन लाल ने एससीएसटी न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। रामसनेहीघाट कोतवाली क्षेत्र के ग्राम मेड़ुवा निवासी शत्रोहन लाल ने कोर्ट में बताया कि टोल प्लाजा के कर्मचारी सोमेन्द्र कुमार मिश्रा, आशुतोष सोनी, अविनाश पाण्डेय और अन्य दो व्यक्तियों ने उसे निशाना बनाते हुए गाली-गलौज की। शत्रोहन लाल के अनुसार, जब उसने इसका विरोध किया तो गाड़ी में बैठे पूर्व प्रमुख दिनेश सिंह को भी कर्मचारियों ने जमकर पीटा। इस घटना के बाद उसने न्याय की गुहार लगाई, जिसके बाद कोर्ट ने पुलिस को मामले की जांच कर रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया।

पूर्व प्रमुख की सुपौत्री की तबीयत खराब थी
चालक शत्रोहन लाल का कहना है कि पूर्व प्रमुख दिनेश सिंह की सुपौत्री की तबीयत उस दिन काफी खराब थी, जिसे लखनऊ में डॉक्टर को दिखाना था। इसी वजह से उन्होंने टोल प्लाजा पर बंद लाइन का उपयोग किया था। उन्होंने टोल शुल्क का भुगतान भी किया, लेकिन बावजूद इसके विवाद हो गया। जब वह दिनेश सिंह के साथ जैदपुर थाने पहुंचे, तो वहां मौजूद सब-इंस्पेक्टर ने टोल प्लाजा मैनेजर के दबाव में उनकी शिकायत दर्ज नहीं की और न ही चोटों का मेडिकल परीक्षण कराया।

टोल प्लाजा कर्मचारियों पर लगे गंभीर आरोप
पूर्व प्रमुख के चालक द्वारा लगाए गए आरोपों के मुताबिक, टोल प्लाजा के कर्मचारियों ने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए अभद्रता की। इस पर जब उन्होंने विरोध जताया, तो उनके साथ मारपीट की गई। पूर्व प्रमुख का आरोप है कि पुलिस ने भी उनकी सुनवाई नहीं की और केवल टोल प्लाजा प्रबंधन की शिकायत पर कार्रवाई की। पुलिस की इस एकतरफा कार्रवाई पर उन्होंने नाराजगी जताई और कोर्ट का सहारा लिया।

पुलिस जांच के बाद की जाएगी कार्रवाई
एससीएसटी न्यायालय के आदेश के बाद जैदपुर पुलिस ने टोल प्लाजा के कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। अब पुलिस इस मामले की विस्तृत जांच कर रही है। इस जांच के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि घटना की सच्चाई क्या है और दोषी कौन हैं। पुलिस का कहना है कि मामले में निष्पक्ष जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

विवाद के फिर से उठने से क्षेत्र में तनाव
इस घटना के दोबारा गरमाने से बाराबंकी में तनाव का माहौल बन गया है। स्थानीय लोगों और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं, टोल प्लाजा प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों के पक्ष में खड़े होते हुए न्याय की गुहार लगाई है। यह मामला राजनीतिक और सामाजिक दोनों रूपों में संवेदनशील है, इसलिए प्रशासन के सामने निष्पक्ष जांच और न्याय की बड़ी चुनौती है। अब देखना यह है कि पुलिस और न्यायालय इस मामले में किस तरह की कार्रवाई करते हैं। 

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