अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती : आरएसएस के बौद्धिक शिक्षण प्रमुख ने कहा- अनादिकाल से होता आया है नारी का सम्मान

UPT | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर कार्यक्रम किया आयोजित।

Jan 05, 2025 18:52

अहिल्याबाई होलकर के जीवन चरित्र को नारी सम्मान का आदर्श बताते हुए आरएसएस के बौद्धिक शिक्षण प्रमुख मिथिलेश नारायण ने बलिया में आयोजित उनकी 300वीं जयंती पर कहा कि उनका जीवन भारतीय संस्कृति में नारी गरिमा का उदाहरण है।

Ballia News : यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता..। श्लोक से चरितार्थ होता है कि हमारे देश में नारी का सम्मान व पूजन आदि अनादिकाल से होता आया है। यह अहिल्याबाई होलकर के जीवन चरित्र से देखा जा सकता है। उक्त बातें मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के बौद्धिक शिक्षण प्रमुख मिथिलेश नारायण ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी समारोह समिति बलिया व सामाजिक समरसता मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कही। 



पश्चिमी देशों तथा कुछ चाटुकार इतिहासकारों ने हमारे देश के विरुद्ध हमेशा नकारात्मक एजेंडा चलाया
मिथिलेश नारायण ने कहा कि पश्चिमी देशों तथा कुछ चाटुकार इतिहासकारों द्वारा हमारे देश के विरुद्ध हमेशा एक नकारात्मक एजेंडा चलाया जाता है कि यहां नारी का शोषण सदियों से किया जाता रहा है, इतना ही नहीं भारत का एक वर्ग भी सामाजिक और राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा एजेंडा बनाते हैं। बता दें कि कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता मिथिलेश नारायण, अध्यक्षता कर रहे बलिया के  प्रतिष्ठित साहित्यकार जनार्दन राय तथा सह नगर संघचालक परमेश्वरनश्री द्वारा पुण्यश्लोका अहिल्याबाई होल्कर के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन के बाद किया गया। मुख्य वक्ता ने आगे कहा कि भारत की अखंडता तभी रहेगी जब सब इसकी चिंता करेंगे। अहिल्याबाई होल्कर ने भारत के पुनर्जागरण का कार्य किया था। देश की सांस्कृतिक समृद्धि और मंदिरों के पुनर्निर्माण के कार्य किए थे। 

समाज और राष्ट्र हित में काम करने वाला जननायक ही सदैव जनमानस में बसता है
बताते चलें कि अहिल्याबाई ने टीपू सुल्तान के राज्य में जाकर भी मंदिर का निर्माण कराया था, यह सामान्य साहस की बात नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि समाज और राष्ट्र हित में काम करने वाला जननायक ही सदैव जनमानस में बसा रहता है। अहिल्याबाई का बचपन से ही धार्मिक सराबोर रहा। भगवान शिव की पूजा आराधना उनका नित्य नियम था। उनकी भक्ति भावना से प्रभावित होकर मल्हार राव ने राज घराने की कुल वधु के लिए अहिल्या का चयन किया। विपरीत परिस्थिति में भी अपने आपको विचलित किए बिना उन्होंने राज्य कार्य संभाला। राज्य सत्ता शिव का मानकर उनके नाम पर शासन किया। उन्होंने आगे बताया कि देवी अहिल्याबाई समाज के तथाकथित वंचित वर्ग से आती थीं। साथ ही दुर्भाग्य से उन्हें वैधव्य प्राप्त हुआ था। ऐसी कठिन परिस्थिति के उपरान्त भी उन्होंने 30 वर्ष तक कुशलता से साम्राज्य का संचालन किया। 

देश के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम आक्रांताओं की ओर से तोड़े गए लगभग 100 मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया
उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी स्वराज्य व उनकी कल्पनाओं के अनुरूप लोक कल्याणकारी राज्य व्यवस्था को साकार रूप दिया। आगे बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए लगभग 100 मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया, लगभग 200 धर्मशालाएं बनवाई। गुलामी के कारण दुर्दशा को प्राप्त काशी विश्वनाथ तथा सोमनाथ मंदिर का भी पुनरुद्धार करवाया। इसमें विशेष बात यह है कि देवी अहिल्याबाई ने इन सारे कार्यों के लिए शासकीय धन का उपयोग नहीं किया. यह सारे कार्य उन्होंने अपने निजी धन से ही करवाए। विदेशी आक्रमणकारियों और मुगल साम्राज्य के कारण ध्वस्त हो चुके, भारत के तीर्थ स्थलों के पुनर्निर्माण करने के पीछे उनका उद्देश्य मात्र पुण्य लाभ प्राप्त करना ही नहीं, अपितु भारत की अस्मिता को पुनर्स्थापित करना था। अपने चारित्रिक गुणों और सेवा कार्यों के कारण वे लोकमाता कहलाई। 

सर्व हित का दृष्टिकोण रखकर समाधान देवी अहिल्याबाई का स्वभाव था 
उन्होंने शासक की भारतीय परम्परा को जीवंत किया कि एक शासक का कर्तव्य मात्र शासन करना ही नहीं अपितु समाज की सेवा और प्रजा की भलाई करना भी है। उन्होंने आगे बताया कि देवी अहिल्याबाई द्वारा करवाए गए इन निर्माणों को भारत के मानचित्र पर देखने पर हम उनकी अखिल भारतीय दृष्टि से परिचित होते हैं। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आशीर्वचन देते हुए जनार्दन राय ने बताया कि समस्याओं का सर्व हित का दृष्टिकोण रखकर समाधान देवी अहिल्याबाई का स्वभाव था। लूट की जगह सहयोग से अर्थ अर्जन का रास्ता बताया। विपरीत स्थिति में भी कूटनीति से समाधान उनका स्वभाव रहा। न्याय प्रियता इतनी कि न्याय के लिए उन्होंने पुत्र तक को मृत्यु दण्ड देने में भी संकोच नहीं किया। वे सभी कलाओं की पोषक और संरक्षक रहीं। सभी को बढ़ावा दिया। वर्तमान समय के शासक वर्ग को उनकी नीतियों से प्रेरणा लेना चाहिए।

अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत की 
इस अवसर पर जिला महिला समन्वयक नीरु भटनागर, महर्षि बाल्मीकि विद्या मंदिर बलिया के निदेशक सोमदत्त सिंह व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया विभाग के विभाग सामाजिक सद्भाव प्रमुख जितेंद्र मिश्र ने भी पुण्यश्लोका अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रामविचार रामरती सरस्वती बलिया विद्यालय की प्रधानाचार्या उमा सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर बालिका विद्यालय की बहनों द्वारा भजन व पुण्यश्लोका अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रान्त संयोजक कुटुंब प्रबोधन संजय शुक्ल, जिला कार्रवाई अरुण मणि, जिला प्रचारक अखिलेश्वर, विभाग संपर्क प्रमुख अनिल सिंह, जिला सेवा प्रमुख डॉ. संतोष त्तिवारी, जिला संपर्क प्रमुख ओम प्रकाश राय, शैलेन्द्र त्रिपाठी, प्रेम शंकर मिश्र आदि के साथ मातृशक्तियां व गणमान्य बन्धु उपस्थित थे। उपरोक्त बातें मारुति नंदन द्वारा दी गई। 

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