शहीद मंगल पांडेय की दहाड़ से हिल उठा था लंदन : 8 अप्रैल 1857 को क्रांतिकारी के महानायक को दी गई थी फांसी

सोशल मीडिया | शहीद मंगल पांडेय

Apr 07, 2024 16:44

शहीद मंगल पांडेय की दहाड़ से लंदन भी हिल उठा था। उन्हेने 1857 में अंग्रेजों के दांत ही खट्टे नहीं किए, बल्कि उनके द्वारा जलाई गई क्रांति की चिंगारी से ही भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली...

Ballia News (Akhilanand Tiwari) : शहीद मंगल पांडेय की दहाड़ से लंदन भी हिल उठा था। उन्हेने 1857 में अंग्रेजों के दांत ही खट्टे नहीं किए, बल्कि उनके द्वारा जलाई गई क्रांति की चिंगारी से ही भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली। ब्रिटिश हुकूमत में विरोध के कारण शहीद मंगल पांडेय को आठ अप्रैल 1857 को फांसी दे दी गई थी। 

पश्चिम बंगाल प्रान्त के बैरकपुर छावनी में हुई थी पहली तैनाती
बता दें कि क्रांति के महानायक मंगल पांडेय का जन्म 30 जनवरी 1831 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन जनपद गाजीपुर के बलिया तहसील अंतर्गत नगवां गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सुदिष्ट पांडेय और माता का नाम जानकी देवी था। वह साढ़े अट्ठारह वर्ष की अवस्था में ही सेना में भर्ती हो गए थे। ईस्ट इंडिया कंपनी के 34 नंबर देसी पैदल सेना की 19वीं रेजीमेंट, 5वीं कंपनी के 1446 नंबर के सिपाही थे। उनकी प्रथम नियुक्ति पश्चिम बंगाल प्रान्त के बैरकपुर छावनी में हुई थी। 

मंगल पांडेय ने सार्जेंट मेजर ह्यूसन और लेफ्टिनेंट हेनरी बॉग को मारी थी गोली 
एक दिन मंगल पांडेय को पता चला कि जो कारतूस हम दांत से खींच कर चलाते हैं। उसमें गाय और सूअर की चर्बी लगी होती है। यह बात सुन मंगल पांडेय भड़क उठे और अपने साथियों के साथ 29 मार्च 1857 को परेड ग्राउंड में ही अंग्रेजों को ललकारते हुए विद्रोह का बिगुल बजा दिया। जिसमें अंग्रेजी पुलिस के सार्जेंट मेजर ह्यूसन और लेफ्टिनेंट हेनरी बॉग को गोली मारकर हत्या कर दी थी‌। वह पकड़े गए और उन पर मुकदमा चला। आठ अप्रैल 1857 को सुबह 5:30 बजे परेड ग्राउंड में ही उनको फांसी दे दी गई थी।

शहीद मंगल पांडेय ने भारत के स्वाभिमान को जगाया
भारत के स्वाभिमान को जगाने वाले शहीद मंगल पांडेय ने अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध जो आवाज उठाई, उसकी गूंज किसी न किसी रूप में अब भी हमारे समाज में सुनाई पड़ती है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि लोग शहीदों की कुर्बानियों को भूलते जा रहे हैं। यह बातें मंगल पांडेय विचार सेवा समिति के प्रवक्ता बब्बन विद्यार्थी ने पत्रकारों से बातचीत में कही। कहा कि बागी बलिया की अस्मिता और यहां के  गौरवशाली इतिहास को कायम रखने के लिए युवाओं में अपने राष्ट्र के प्रति देश भक्ति का जज्बा पैदा करना होगा।

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