परिवार नियोजन : नसबंदी में पुरुषों को महिलाओं ने पछाड़ा, जानिए रिपोर्ट

Uttar Pradesh Times | परिवार नियोजन

Jan 07, 2024 15:28

स्वास्थ्य विभाग द्वारा बलिया जनपद में पिछले नौ माह के दौरान परिवार नियोजन की दिशा में विशेष पहल की गई। जिसके फल स्वरूप डाॅक्टरों की टीम ने एक अप्रैल से 31 दिसंबर तक परिवार नियोजन के स्थाई समाधान 'नसबंदी' कराने वालों का विस्तृत ब्यौरा जारी किया है। पढ़िए पूरी खबर।

Short Highlights
  • नौ महीने में 2031 महिला और केवल 14 पुरुषों ने कराई नसबंदी
  • नसबंदी कराने वालों में एक अल्पसंख्यक समुदाय का युवक भी
  • 'छोटा परिवार सुखी परिवार' की अवधारणा को आगे बढ़ा रहा स्वास्थ्य महकमा
     
Ballia News : स्वास्थ्य विभाग द्वारा बलिया जनपद में पिछले नौ माह के दौरान परिवार नियोजन की दिशा में विशेष पहल की गई। जिसके फल स्वरूप डाॅक्टरों की टीम ने एक अप्रैल से 31 दिसंबर तक परिवार नियोजन के स्थाई समाधान 'नसबंदी' कराने वालों का विस्तृत ब्यौरा जारी किया है। जिसमें महिलाओं ने पुरुषों को नसबंदी मामले में बहुत पीछे छोड़ दिया। महिलाओं के सामने नसबंदी कराने वाले पुरुष ना के बराबर हैं। जानते हैं पूरी रिपोर्ट।

पुरुषों से आगे निकलीं महिलाएं
बताते चलें कि एक अप्रैल 2023 से 31 दिसम्बर 2023 तक जनपद में 2031 महिलाओं ने परिवार नियोजन के साधन नसबंदी को अपनाया। जबकि इस अवधि में  केवल 14 पुरुषों ने ही जिम्मेदारी निभाई और नसबंदी कराई। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पिछले नौ महीने में 2031 महिलाओं और 14 पुरुषों ने नसबंदी कराई है। नसबंदी कराने वाले पुरुषों में एक युवक अल्पसंख्यक समुदाय का भी है। इसके अलावा दो बच्चों के बीच में सुरक्षित तीन साल का अंतर रखने के लिए महिलाओं ने अस्थाई साधन को भी अपनाया है। 4051 महिलाएं पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी), 3333 महिलाएं इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (आईयूसीडी) अपना चुकी हैं। 4333 महिलाओं ने तिमाही गर्भ निरोधक इंजेक्शन पर भरोसा जताया।

महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी आसान
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. आनन्द कुमार ने बताया कि पुरुष नसबंदी प्रक्रिया आसान है। इसमें सामान्य सा चीरा लगता है। जिसमें व्यक्ति को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। यह महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और सरल भी होता है। इसके लिए न्यूनतम संसाधन, बुनियादी ढांचा और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता है। पुरुष नसबंदी को लेकर समाज में कई भ्रांतियां हैं। इस भ्रम से पुरुषों को बाहर आना होगा और एक छोटा परिवार एवं सुखी परिवार की अवधारणा को साकार करने के लिए जिम्मेदारी उठानी होगी। इस कार्य के लिए आशा कार्यकर्ता लगातार समुदाय को जागरूक कर रही हैं।

सरकार देती है 3000 रुपये प्रोत्साहन राशि
डॉ. आनंद कुमार ने बताया कि पुरुष लाभार्थियों को सरकारी अस्पताल में नसबंदी कराने पर 3000 रुपये प्रोत्साहन राशि एवं महिला लाभार्थी को 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप मे मिलती है। साथ ही पुरुष नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने वाली आशा को 400 रुपये प्रति लाभार्थी दिया जाता है। महिला नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने वाली आशा कार्यकर्ता को 300 रुपये प्रति लाभार्थी दिए जाते हैं। लेकिन देखने में आया है कि पुरुष नसबंदी कराने में काफी पीछे हैं। नाममात्र पुरुष ही नसबंदी कराते हैं, जिनको जागरूक होने की आवश्यकता है।

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