नीलकंठ महादेव मामले में ओवैसी पर तीखा हमला : वादी मुकेश पटेल ने उठाई सदस्यता रद्द करने की मांग, जानें और क्या कहा...

UPT | मुकेश पटेल

Dec 04, 2024 13:22

बदायूं में नीलकंठ महादेव और जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के बीच चल रहे मुकदमे में आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असादुदीन ओवैसी के खिलाफ एक नई मांग उठी...

Budaun News : बदायूं में नीलकंठ महादेव और जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के बीच चल रहे मुकदमे में आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ एक नई मांग उठी है। इस मुकदमे के वादी, मुकेश पटेल, जो कि अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक भी हैं, ने ओवैसी की लोकसभा सदस्यता को रद्द करने की मांग की है। मुकदमे की मंगलवार को हुई सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने अपनी ओर से तर्क प्रस्तुत किए। इसके बाद, मुकेश पटेल ने ओवैसी के एक बयान पर पलटवार किया, जो उन्होंने एक्स हैंडल पर दिया था। पलटवार करते हुए उन्होंने औवेसी पर तीखा हमला साधा है।

'ओवैसी केवल माल को पहचानते'
मुकेश पटेल ने ओवैसी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि ओवैसी मदरसे में पढ़े हुए हैं और मदरसे वाले लोगों की समझ उनके घुटनों में होती है। उन्होंने ओवैसी पर आरोप लगाया कि वह लुटेरों को पहचानने में असमर्थ हैं और जिनका माल लूटा गया है, उन्हें भी पहचानने में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं है। मुकेश पटेल ने कहा कि ओवैसी केवल माल को पहचानते हैं और किसी ऐतिहासिक शख्सियत को पहचानने में उनकी कोई रुचि नहीं है। पटेल ने ओवैसी को लेकर कहा, "वह मोहम्मद गौरी, कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुमिश, औरंगजेब, बाबर और अलाउद्दीन खिलजी जैसे इतिहासकारों और आक्रमणकारियों को नहीं पहचानते हैं, बल्कि वह केवल माल को पहचानते हैं।" मुकेश पटेल ने अपने बयान में यह भी कहा कि जो व्यक्ति कक्षा एक या दो का बच्चा भी इतिहास के बारे में सही जानकारी दे सकता है, उसे अगर खुद भारत के इतिहास की जानकारी नहीं है, तो ऐसे व्यक्ति को लोकसभा की सदस्यता नहीं मिलनी चाहिए।


ओवैसी के इस बयान पर बवाल
औवेसी ने अपने एक्स हैंडिल पर यह प्रतिक्रिया देते हुए लिखा था कि बदायूं उत्तर प्रदेश की जामा मस्जिद को भी निशाना बनाया गया है । अदालत में 2022 में केस किया गया था और उसकी अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी। ASI (जो भारत सरकार के तहत काम करती है) और उ.प्र सरकार भी केस में पार्टी हैं । दोनों सरकारों को 1991 एक्ट के अनुसार अपनी बात रखनी होगी। शर पसंद हिंदुत्ववादी तंज़ीमें किसी भी हद्द तक जा सकते हैं, उन पर रोक लगाना भारत के अमन और इत्तिहाद के लिए बहुत ज़रूरी है। आने वाली नस्लों  को “AI” की पढ़ाई के बजाए “ASI” की खुदाई में व्यस्त कर दिया जा रहा है।

10 नवंबर को अगली सुनवाई
संभल के बाद अब बदायूं की जामा मस्जिद चर्चा में है। मंगलवार को इस मामले की अदालत में सुनवाई हुई, लेकिन बहस पूरी नहीं हो सकी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी कि यह मामला सुनने योग्य है या नहीं। 2022 में मुकेश पटेल ने बदायूं की जामा मस्जिद की जगह पर नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए एक केस दायर किया था। उनका आरोप है कि जामा मस्जिद के निर्माण से पहले इस स्थान पर एक हिंदू मंदिर स्थित था।

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