बरेली में PWD की बड़ी कार्रवाई : चीफ इंजीनियर ने मेसर्स सतीश चंद्र दीक्षित फर्म की डिबार, ठेकेदार को दिया नोटिस, जानें क्या है मामला

UPT | निर्माण विभाग।

Jun 25, 2024 02:47

बदायूं के ठेकेदार सतीश चंद्र दीक्षित को करोड़ों रूपये के पुल और सड़क निर्माण के ठेके मिले थे। मगर, उनके पास पुल बनाने का अनुभव ही नहीं था। फर्म को पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन अधिकारियों ने सिर्फ सड़क निर्माण का...

Bareilly News : लोक निर्माण विभाग (पीडबल्यूडी) के चीफ इंजीनियर विजय सिंह ने बदायूं के ठेकेदार सतीश चंद्र दीक्षित की फर्म मेसर्स सतीश चंद्र दीक्षित को दो वर्ष के लिए डिबार कर दिया है। इस कार्रवाई से ठेकेदारों में हड़कंप मच गया है। आरोपी फर्म के ठेकेदार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जवाब संतोषजनक न मिलने पर और भी कार्रवाई की उम्मीद है।

6 महीने का काम ढाई साल में हुआ पूरा
बदायूं के ठेकेदार सतीश चंद्र दीक्षित को करोड़ों रूपये के पुल और सड़क निर्माण के ठेके मिले थे। मगर, उनके पास पुल बनाने का अनुभव ही नहीं था। फर्म को पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन अधिकारियों ने सिर्फ सड़क निर्माण का अनुभव होने के बाद भी पुल निर्माण में ए क्लास का रजिस्ट्रेशन कर बदायूं की अरिल नदी पर पुल बनाने का ठेका दे दिया। प्रमुख अभियंता कार्यालय ने आदेश दिया है कि फर्म को किसी भी निविदा प्रक्रिया में शामिल न किया जाए। इसके लिए सभी निर्माण कार्यों से संबंधित विभागों में कार्रवाई का पत्र भेज दिया गया है। फर्म के रजिस्ट्रेशन के समय अनुभव प्रमाण पत्रों का संज्ञान न लेने पर तत्कालीन मुख्य अभियंता को भी दोषी माना गया है। इस फर्म ने पीलीभीत में कई पुलों की टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। अनुभव न होने के कारण से ही अरिल नदी पर जो पुल 6 महीने में बनना था। वह ढाई वर्ष में पूरा हो पाया है।

मुख्य अभियंता समेत आठ अफसरों को ठहराया दोषी
पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार समेत कई लोगों ने इस फर्म को नियमविरुद्ध ढंग से ठेका देने सहित कई गंभीर आरोप लगाते हुए शासन से शिकायत की थी। इसके बाद प्रमुख अभियंता ने जांच शुरू कराई। इसी साल सात मई को सतीश चंद्र को नोटिस देकर आरोपों पर जवाब मांगा गया। हालांकि, ठेकेदार सतीश चंद्र ने मीडिया को बताया कि लोकायुक्त की जांच में उन पर लगे सभी आरोप निराधार मिले थे। तत्कालीन मुख्य अभियंता समेत आठ अफसरों को ही दोषी ठहराया गया था। इन अफसरों पर अब तक कार्रवाई न होने पर उन्हें कोर्ट जाना पड़ा। कोर्ट ने तीन महीने में कार्रवाई करने का आदेश दिया, तो अधिकारियों ने समझौता करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। समझौता न करने पर यह कार्रवाई की गई है। 

नियम के खिलाफ जारी हुआ अनुभव प्रमाण पत्र 
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के कुछ अफसर बदायूं के ठेकेदार पर काफी मेहरबान थे। उन पर आरोप है कि अवैध (नियम विरुद्ध) अनुभव प्रमाण पत्र जारी कराकर करोड़ों रुपए का फायदा पहुंचाया गया। मगर, यह मामला यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री और प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी के सामने रखा गया था। केसरिया हिंदू वाहिनी के जिलाध्यक्ष राकेश सक्सेना ने शिकायती पत्र में बदायूं की फर्म मैसर्स सतीश चन्द्र दीक्षित पर तमाम आरोप लगाए थे। उनका कहना है था कि सेतु, सड़क और भवन के लिए उससे सबंधित कार्य के अनुभव प्रमाण-पत्र के माध्यम से रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) और कार्य करने का टेंडर मिलता है। मगर, बरेली पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने सड़क का कार्य करने वाली फर्म को सेतु निर्माण में ए क्लास का रजिस्ट्रेशन नियम विरुद्ध कर दिया। 

6 माह का कार्य दो वर्ष में नहीं हुआ पूरा
आरोपी ठेकेदार ने अरिल नदी सेतु का दबंगई से टेंडर ले लिया। यह कार्य 6 माह में पूरा होना था, लेकिन अनुभव न होने के कारण 2 वर्ष में पूरा नहीं हुआ। इस लेटलतीफी से सरकार का काफी धन खर्च हुआ और राहगीरों को आवागमन में दिक्कत हुई। लेकिन, लेट करने पर फर्म पर कोई आर्थिक दंड नहीं डाला गया और न ही चेतवानी दी गई। अधबने सेतु निर्माण कार्य का नियम विरुद्ध तरीके से अनुभव प्रमाण पत्र निर्गत करा लिया। इसके बाद अवैध रजिस्ट्रेशन और नियम विरुद्ध अधूरे निर्माण कार्य के अनुभव प्रमाण पत्र से पीलीभीत जनपद के बोनी लघु सेतु निविदा समेत तमाम निविदाओं में कई बार प्रतिभाग (शामिल) किया।

तीन चीफ इंजीनियर ने की अलग- अलग जांच
केसरिया हिंदू वाहिनी के जिलाध्यक्ष की शिकायत पर हेड क्वार्टर (मुख्यालय) के निर्देश पर पूर्व तीन मुख्य अभियंता (चीफ इंजीनियर) ने अलग-अलग जांच की थी। तीनों की जांच में दोषी मिलने पर आरोपी फर्म को 3 माह और 6 माह के लिए पहले भी डिबार कर दिया गया था। लेकिन, आरोपी फर्म संचालक ने विभाग को गुमराह कर दबंगई से दोबारा काम ले लिया। इसमें चीफ इंजीनियर ने दोबारा कमी मिलने पर ब्लैक लिस्ट की चेतवानी दी थी। इसके बाद भी शाहजहांपुर के एक निर्माण कार्य के टेंडर में 6 टी के 100 के बजाय 10 रुपए का स्टांप पेपर अपलोड किया। यह कृत्य जानबूझकर किया गया।

आरोपी ने विभाग के साथ धोखाधड़ी कर सरकारी राजस्व को हानि पहुंचाई। इस मामले में भी फर्म मेसर्स सतीश चंद्र दीक्षित को डिबार किया गया था। मगर, दो बार डिबार होने के बाद भी ठेकेदार पर विभागीय अफसर मेहरबान थे। जिसके चलते केसरिया हिंदू वाहिनी के जिलाध्यक्ष ने उक्त फर्म के अवैध अनुभव प्रमाण पत्रों से प्राप्त रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र वैध है अथवा नहीं? ऐसे रजिस्ट्रेशन से निविदा में प्रतिभाग करना वैध है अथवा नहीं ? जनहित में जांच कराकर उक्त फर्म के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। उनका आरोप है कि नियम विरुद्ध तरीके से जारी प्रमाण पत्रों के माध्यम से आरोपी फर्म ने विभाग को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है। इसके साथ ही तमाम टेंडर में गलत प्रमाण पत्र लगाकर बिल से भुगतान लिया। ऐसी स्थिति में आरोपी फर्म के खिलाफ कार्रवाई कर रिकवरी की मांग की। 
पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद ने भी की शिकायत
भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बरेली लोकसभा के पूर्व सांसद संतोष कुमार गंगवार और आंवला लोकसभा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने संसद रहने के दौरान फर्म मेसर्स सतीश चंद्र दीक्षित क्रिया कलापों की शिकायत प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी से की थी। इस शिकायत में भी आरोपी फर्म पर धांधली, जोर जबरदस्ती के आधार पर गलत अनुभव प्रमाण पत्रों के आधार से पंजीकरण कराया गया, जबकि यह प्रमाण पत्र सेतु कार्यों के योग्य नहीं था। आरोपी फर्म ने बदायूं के मोहम्मदी के पास से गुजरने वाली आरिल नदी पर सेतु का लेटलतीफ कार्य किया। लेकिन केसरिया हिंदू वाहिनी की शिकायत के बाद प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी ने निरस्त अनुभव प्रमाण पत्र और फर्म के खिलाफ पूरे मामले की जांच की थी।

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