Balrampur
ऑथर Jyoti Karki

ऐतिहासिक लोकसभा सीट : इतिहास में दर्ज बलरामपुर लोकसभा सीट ने देश को दिए दो भारत रत्‍न

Balrampur Railway Enquiry | Balrampur District

Nov 18, 2023 17:48

इस लोकसभा सीट ने देश को दो भारत रत्‍न दिए हैं, जिनमें अटल बिहारी वाजपेयी और नानाजी देशमुख जैसे रत्‍न शामिल हैं। वहीं बलरामपुर लोकसभा सीट ज्‍यादातर भाजपा या उसके आनुषांगिक दलों के पास रही है। जानिए यहां की राजनीतिक बिसात की ऐतिहासिक कहानी।

Short Highlights
  • इतिहास में दर्ज बलरामपुर लोकसभा सीट ने देश को दिए दो भारत रत्‍न
  • छह बार जीती भाजपा
  • नानाजी का मुकाबला
     
Balrampur : उत्तर प्रदेश के देवीपाटन मंडल के जिले बलरामपुर की लोकसभा सीट का भी गहरा राजनीतिक इतिहास रहा है। इस लोकसभा सीट ने देश को दो भारत रत्‍न दिए हैं, जिनमें अटल बिहारी वाजपेयी और नानाजी देशमुख जैसे रत्‍न शामिल हैं। वहीं बलरामपुर लोकसभा सीट ज्‍यादातर भाजपा या उसके आनुषांगिक दलों के पास रही है। जानिए यहां की राजनीतिक बिसात की ऐतिहासिक कहानी।

छह बार जीती भाजपा
वर्ष 1952 में अस्तित्‍व में आई बलरामपुर लोकसभा सीट 2009 में समाप्‍त कर दी गई और इसकी जगह पर श्रावस्‍ती नाम की नई लोकसभा सीट की शुरुआत हुई। वहीं बलरामपुर लोकसभा सीट पर राजनीतिक दलों की हिस्‍सेदारी की बात करें तो यहां भाजपा ने छह बार प्रतिनिधित्‍व किया है। वहीं पांच बार कांग्रेस और दो बार समाजवादी पार्टी ने इसकी कमान संभाली है। इस सीट पर एक बार निर्दलीय प्रत्‍याशी ने भी जीत हासिल कर अपना परचम लहराया था।

अटल से जुड़ा बलरामपुर
अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन की जब कभी भी बात होती है तो बलरामपुर लोकसभा सीट का जिक्र जरूर होता है। वर्ष 1952 में अस्तित्‍व में आई बलरामपुर सीट पर पहली जीत कांग्रेस प्रत्‍याशी बैरिस्‍टर हैदर हुसैन रिजवी ने दर्ज की थी। अवध क्षेत्र की इस सीट पर जनसंघ की नजर पड़ी। तब जनसंघ ने अटल बिहारी वाजपेयी को इस लोकसभा सीट पर 1957 में उतार दिया था। अटल जी ने भी बलरामपुर को अपना लिया और गांव-गांव घूमकर जनसंघ के चुनाव चिह्न दीपक को घर-घर पहुंचाया। परिणाम यह निकला कि उन्‍होंने कांग्रेस प्रत्‍याशी और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलााल नेहरू की करीबी रहीं सुभद्रा जोशी को पराजित करके यह सीट जनसंघ की झोली में डाल दी। वर्ष 1977 में जयप्रकाश नारायण की देशभर में चली कांग्रेस विरोधी लहर के बावजूद बलरामपुर स्‍टेट का कोई सदस्‍य पहली बार चुनावी मैदान में उतरा था। 

नानाजी का मुकाबला
वहीं दूसरी तरफ जमीनी स्‍तर पर आदिवासी थारू और गरीबों के लिए काम कर रहे नानाजी देशमुख को जनता पार्टी ने बलरामपुर स्‍टेट की महारानी राजलक्ष्‍मी देवी के मुकाबले उतार दिया। इस चुनाव में नानाजी देशमुख ने बाजी मारी, लेकिन वह बलरामपुर स्‍टेट की महारानी को सम्‍मान देने के लिए उनके महल नील कोठी पहुंचे। इस मुलाकात का असर यह हुआ कि महारानी ने गोंडा से सटे महाराजगंज में अपना फार्म उन्‍हें सामाजिक कामों के लिए सौंप दिया। नानाजी ने फार्म का जयप्रभा ग्राम नाम से नामकरण करके यहां पर दीनदयाल शोध संस्‍थान की स्‍थापना की। जिसमें आज भी जड़ी-बूटियां उगाई जाती हैं और इन पर शोध भी किया जाता है।
 

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