Balrampur
ऑथर Jyoti Karki

रोचक है इस जिले का पौराणिक इतिहास : अपने आप में किस्‍से और कहानियां समेटे हुए है सदियों पुराना बलरामपुर

Balrampur Railway Enquiry | Balrampur District

Nov 18, 2023 16:29

इस जिले में जनवार राजवंश के गौरवशाली इतिहास को लेकर काफी किस्‍से और कहानियां हैं। रामगढ़ गौरी से कैसे बलरामपुर बना, किन-किन राजाओं ने यहां राज किया और महात्‍मा बुद्ध से जुड़ी गा‍थाएं शामिल हैं। साथ ही बली जैसी कुप्रथा की कहानी भी यहां प्रसिद्ध है। जानिए यहां के दिलचस्‍प इतिहास की रोचक कहानी।

Short Highlights
  • अपने आप में किस्‍से और कहानियां समेटे हुए है सदियों पुराना बलरामपुर 
  • योगी आदित्‍यनाथ का दूसरा गृह जनपद है बलरामपुर
  • 1997 को बलरामपुर गोंडा से हुआ अलग 
  • जिले के जनवार राजवंश का गौरवशाली इतिहास
Balrampur : देवीपाटन मंडल के बलरामपुर जिले का सदियों पुराना इतिहास है। 570 साल पुराने बलरामपुर जिले में कई ऐसे राज दफन हैं, जिनको जानकर आप चौंक जाएंगे। बताते हैं कि इस जिले में जनवार राजवंश के गौरवशाली इतिहास को लेकर काफी किस्‍से और कहानियां हैं। रामगढ़ गौरी से कैसे बलरामपुर बना, किन-किन राजाओं ने यहां राज किया और महात्‍मा बुद्ध से जुड़ी गा‍थाएं शामिल हैं। साथ ही बली जैसी कुप्रथा की कहानी भी यहां प्रसिद्ध है। जानिए यहां के दिलचस्‍प इतिहास की रोचक कहानी।

योगी आदित्‍यनाथ का दूसरा गृह जनपद है बलरामपुर
आज हम उस जिले की बात कर रहे हैं, जहां पर 51 शक्तिपीठों में से एक देवीपाटन मंदिर जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर पर स्थित है, जहां पर चैत्र माह में भव्य मेले का आयोजन होता है। जिसको राज्य सरकार ने राजकीय मेला घोषित किया है और इस शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर के संरक्षक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। इसीलिए बलरामपुर जिले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दूसरा गृह जनपद भी कहा जाता है, अब हम आपको बताएंगे बलरामपुर जिले के शक्तिशाली जनवार राजवंश का गौरवशाली इतिहास क्या हैं।

1997 को बलरामपुर गोंडा से हुआ अलग 
उत्तर में हिमालय की शिवालिक पर्वतमाला के निकट तराई क्षेत्र में जनवार क्षत्रिय राजा माधव सिंह ने 570 साल पहले बलरामपुर नगर की स्थापना की थी। देवी पाटन मंडल के इस जिले में अब जो क्षेत्र है, वह प्राचीन समय में कोसल और इकौना राज्य का एक हिस्सा था। मध्यकालीन युग में यह क्षेत्र मुगल शासन के दौरान अवध सुबाह की बहराइच सरकार व फरवरी 1856 में ब्रिटिश सरकार के आदेश से अवध शासक के नियंत्रण में आ गया। बाद में अंग्रेज सरकार द्वारा जब गोंडा को बहराइच से अलग किया गया तो बलरामपुर को गोंडा जनपद में शामिल किया गया। स्थापना के 547 वर्ष बाद 25 मई 1997 को बलरामपुर को गोंडा से अलग करके जिले का दर्जा प्रदान किया गया। यहां जनता के लिए स्कूल, अस्पताल, सिंचाई, बिजली, रेल, चीनी मिल आदि का इंतजाम करने के साथ यहां बड़ा व्यापारिक ढांचा खड़ा करने में राजघराने का पूरा योगदान था।

जिले के जनवार राजवंश का गौरवशाली इतिहास
वहीं जानकार बताते हैं कि सम्वत् 1325 विक्रमी अर्थात 1268 ई0 में गुजरात के जनवाड़ा क्षेत्र से आए राजपूत बरियार शाह द्वारा इकौना में राज्य स्थापित किया गया। वे इकौना (प्राचीन नाम खानपुर महादेव) में दुर्ग बनाकर राज प्रबन्ध करने लगे। उन्होंने 1269 से 1305 ई. तक राज किया। उसके पश्चात उनके पुत्र राजा अचल देव ने 1305 से 1321ई. तक, उनके पुत्र राजा धीरशाह सन् 1321 तक, उनके पुत्र राजा राम शाह ने सन् 1363 से 1388 ई. तक, इनके पुत्र राजा विष्णु शाह ने सन् 1388 से 1404 ई. तक, उनके पुत्र राजा गंगा सिंह ने सन् 1404 से 1439 ई0 तक गद्दी संभाली।
 

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