गोंडा में बनेगा यूपी का अक्षरधाम : स्वामीनारायण मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 22 करोड़ रुपये का आवंटन, 8 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी

UPT | स्वामीनारायण मंदिर

Oct 11, 2024 13:08

गोंडा जिले में स्थित स्वामीनारायण मंदिर छपिया का सौंदर्यीकरण और पर्यटन विकास के लिए पर्यटन विभाग ने 22.19 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में स्थित स्वामीनारायण मंदिर छपिया का सौंदर्यीकरण और पर्यटन विकास के लिए पर्यटन विभाग ने 22.19 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। इसमें से 8 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी कर दी गई है। यह मंदिर क्षेत्र के श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण आस्था केंद्र है, जहां विभिन्न त्योहारों पर बड़ी संख्या में भक्त और पर्यटक आते हैं। बढ़ती संख्या को देखते हुए पर्यटन विभाग ने यहां की सुविधाओं के विकास का निर्णय लिया है। स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रमुख मंदिरों में शामिल यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। 

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बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या
प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले वर्ष, यूपी में 48 करोड़ से अधिक पर्यटकों ने भ्रमण किया, जो लगातार बढ़ रहा है। इस वर्ष जनवरी से जून के बीच 33 करोड़ पर्यटकों ने राज्य का दौरा किया, जिसमें लगभग 11 करोड़ लोग सिर्फ अयोध्या गए। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में श्री रामलला के विराजमान होने के बाद अयोध्या में पर्यटकों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। मंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में यहां पर्यटन और बढ़ेगा, क्योंकि अयोध्या आने वाले पर्यटक छपिया का भी दौरा करेंगे। 



यूपी का अक्षरधाम
स्वामीनारायण संप्रदाय को मानने वाले भक्तों की संख्या गुजरात सहित अन्य राज्यों में भी अच्छी खासी है। इन भक्तों के लिए छपिया और अयोध्या का एक साथ भ्रमण करने का अवसर उपलब्ध है। पर्यटन विभाग इस महत्वपूर्ण स्थल पर सुविधाओं का विस्तार कर रहा है। 22.19 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग बस शेल्टर, मुख्य गेट, फसाड लाइटिंग, और अन्य सुविधाओं के विकास में किया जाएगा। 

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स्वामीनारायण का ऐतिहासिक महत्व
स्वामीनारायण मंदिर का इतिहास भी दिलचस्प है। स्वामीनारायण का जन्म 1781 में छपिया में घनश्याम पांडे के रूप में हुआ था। 11 वर्ष की आयु में उन्होंने तीर्थ यात्रा शुरू की और बाद में गुजरात में बस गए। 1800 में गुरु स्वामी रामानंद द्वारा उन्हें उद्धव संप्रदाय में शामिल किया गया और उनका नाम साहजनंद स्वामी रखा गया। 1802 में उन्हें इस संप्रदाय का नेतृत्व सौंपा गया। यह मंदिर इसी संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जिसे अब पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जा रहा है। 

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