बुंदेलखंड की तस्वीर बदलेगी केन-बेतवा लिंक : लाखों लोगों को मिलेगा पीने का पानी, 44,605 करोड़ की परियोजना का शुभारंभ

UPT | केन-बेतवा लिंक परियोजना

Dec 26, 2024 13:29

बुंदेलखंड, शौर्य और संस्कार की भूमि मानी जाती है, जिसे सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश का स्वर्ग बनाने का संकल्प लिया गया है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा बुंदेलखंड पर केंद्रित कई योजनाएं लागू की जा रही हैं। इन प्रयासों में केन-बेतवा लिंक परियोजना भी शामिल है...

Jhansi News : बुंदेलखंड, शौर्य और संस्कार की भूमि मानी जाती है, जिसे सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश का स्वर्ग बनाने का संकल्प लिया गया है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा बुंदेलखंड पर केंद्रित कई योजनाएं लागू की जा रही हैं। इन प्रयासों में केन-बेतवा लिंक परियोजना भी शामिल है, जो इस क्षेत्र के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। परियोजना पूरी होने पर, यह बुंदेलखंड के नवीनीकरण में एक अहम कदम साबित होगी, जिससे उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर जिलों के 2.51 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को पानी मिलेगा और 21 लाख लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति होगी।

अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वाकांक्षी परियोजना
जानकारी के अनुसार, देश को बाढ़ और सूखे के संकट से स्थाई निदान के लिए पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने नदी जोड़ो की जिस बेहद महत्वाकांक्षी परियोजना की जो कल्पना की थी, केन बेतवा लिंक भी उसी की कड़ी थी। अटल जी के 100 वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 44605 करोड़ की इस परियोजना का शिलान्यास करना खुद में खास हो गया। इस परियोजना में 90 प्रतिशत अंशदान केंद्र का होगा बाकी 10 प्रतिशत संबंधित राज्य सरकार वहन करेगी। परियोजना का शिलान्यास भले ही 25 दिसंबर को हुआ हो, लेकिन बुंदेलखंड के लोगों को इसका अधिकतम लाभ जल्द से जल्द मिले इसके लिए पहले से ही इस पर काम शुरू किया जा चुका है।



अब तक कितना काम हुआ
बता दें कि बांदा में केन बेतवा लिंक का कार्यालय खुल चुका है। जिन चार जिलों को इस परियोजना से लाभान्वित होना है उनका ट्रॉपोग्राफिकल सर्वे (जमीनी सतह का विस्तृत सर्वे) किया जा चुका है। इसी आधार पर अगले साल के शुरुआत में डीपीआर ( डिटेल परियोजना रिपोर्ट) बनाने का लक्ष्य है। यूपी में इस परियोजना के तहत 24 किलोमीटर की जो नहर बननी है उसके टेंडर की प्रकिया भी जल्द शुरू होगी। इसके लिए जिन ग्राम पंचायतों से करीब 245  हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है उनको भी चिन्हित किया जा चुका है। योगी कैबिनेट ने दिसंबर की शुरुआत में ही इसके पुनरीक्षित लागत के अनुसार करीब 1192 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी।

बुंदेलखंड के विकास पर दिया जोर
गौरतलब है कि बुंदेलखंड की दो प्रमुख समस्याएं रही हैं, पानी की कमी और औद्योगिक शून्यता। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी सरकार ने इन दोनों पर खास फोकस किया। साढ़े सात से किए गए इन्हीं तमाम प्रयासों का नतीजा है कि आज बुंदेलखंड सोलर एनर्जी का हब बन रहा है। डिफेंस कॉरिडोर यहां के औद्योगिक माहौल को और बूस्टअप कर रहा है। सरकार की योजना कानपुर और झांसी के बीच 36 हजार एकड़ में झांसी के 33 गांवों को मिलाकर नोएडा से भी बड़ा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, बीडा (बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण) बनाने की है। इस पर काम भी शुरू हो गया है।

इन योजनाओं पर भी फोकस
इसके अलावा, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे स्थान विशेष की परंपरा को ध्यान में रखते हुए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी विकसित किया जा रहा है। यूपी एग्रीज योजना में भी पूर्वांचल के साथ बुंदेलखंड पर ही सरकार का सारा फोकस है। ललितपुर में प्रदेश का पहला फॉर्म भी विकसित किया जा रह है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बन जाने के बाद कनेक्टिविटी की समस्या दूर हो गई। अब तो इसे लिंक एक्सप्रेसवे के जरिए सरकार चित्रकूट से भी जोड़ रही है।

पानी का संकट दूर करने के लिए प्रयास
इस क्षेत्र के लिए अर्जुन सहायक नहर परियोजना सबसे महत्वपूर्ण थी, जिसे करीब दो साल पहले पूरा किया जा चुका है। इसका भी उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही किया था। इसके अलावा योगी के कार्यकाल में स्थानीय महत्व के हिसाब से सिंचाई से संबंधित करीब चार से पांच दर्जन योजनाएं भी पूरी की गईं। हर घर नल योजना में भी बुंदेलखंड को प्राथमिकता पर रखा गया। सिंचाई के संसाधनों के विस्तार और सूखे के समय मवेशियों की प्यास बुझने के लिए सरकार ने खेत तालाब योजना भी तालाब चला रही है। पिछले साल इस योजना के तहत करीब 3370 ताल खुदवाए गए थे। इस वित्तीय वर्ष का लक्ष्य 8499 तालाब खुदवाने का है।

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