बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में जांच का 'खेल': कमेटियां बनती हैं, कार्रवाई नहीं!

सोशल मीडिया | बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में गड़बड़ियों की जांच बनी दिखावा, रिपोर्ट का अता-पता नहीं

Jan 07, 2025 09:22

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में गड़बड़ियों और अनियमितताओं की जांच के लिए गठित कमेटियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। कई मामलों में महीनों बाद भी रिपोर्ट नहीं आई है। क्या ये जांचें सिर्फ खानापूर्ति हैं?

Jhansi News : बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में गड़बड़ियों, अनियमितताओं और अनुशासनहीनता को लेकर जांच कमेटियां तो बार-बार गठित की जाती हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट का कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आता। महीनों तक चलने वाली ये जांचें अक्सर ठंडे बस्ते में चली जाती हैं। विश्वविद्यालय के अधिकारी भी इस स्थिति को गंभीरता से नहीं लेते, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

इंजीनियरिंग विभाग में टीक्यूप के तहत गड़बड़ी
टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (टीक्यूप) के तहत इंजीनियरिंग विभाग में उपकरणों की खरीद और अन्य कार्यों में गड़बड़ी की शिकायत हुई थी। कुलपति के आदेश पर 22 मई 2024 को जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई, जिसमें प्रो. पदमकांत (लखनऊ विवि), प्रो. जितेंद्र तिवारी (बीयू) और नारायण प्रसाद (सेवानिवृत्त कुलसचिव बीयू) शामिल थे। हालांकि, 8 महीने बीत जाने के बावजूद जांच रिपोर्ट का अभी तक कोई अता-पता नहीं है।

हिंदी विभाग में अनुशासनहीनता के आरोप
हिंदी विभाग के प्रो. पुनीत बिसारिया पर विभागीय कार्यों और समारोहों में हिस्सा न लेने, अभद्र भाषा का उपयोग करने और सीसीटीवी कैमरे तोड़ने जैसे गंभीर आरोप लगे। इन मामलों की जांच के लिए 16 अगस्त 2024 को एक कमेटी गठित हुई, जिसमें पूर्व कुलसचिव सीपी तिवारी, नंद किशोर पांडेय (राजस्थान विवि) और दिनेश कुमार (कुलसचिव) को शामिल किया गया। लेकिन इस जांच का भी परिणाम अभी तक सामने नहीं आया।

सहायक लेखाकार पर आरोप और अधूरी जांच
सहायक लेखाकार दिनेश कुमार पर पत्रावलियों को मनमाने ढंग से रखने और प्रशासनिक अधिकारों का अतिक्रमण करने के आरोप लगे। कुलसचिव ने 13 सितंबर 2023 को प्रो. एमएस सिंह और प्रो. डीके भट्ट की एक जांच कमेटी गठित की। लेकिन एक साल से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई।

अन्य विभागीय विवादों की भी जांचें लंबित
हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. मुन्ना तिवारी पर लगे आरोपों की जांच के लिए 16 मई 2024 को एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित हुई थी। लेकिन इस जांच की रिपोर्ट भी अब तक नहीं आई।

शोध निदेशक डॉ. मु. नईम पर शोधार्थियों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों की जांच के लिए भी कमेटी बनाई गई, लेकिन यह जांच भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।

जांच प्रक्रिया पर सवाल
विश्वविद्यालय में लगातार जांच समितियां गठित होती हैं, लेकिन उनकी रिपोर्ट का समय पर न आना पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। कुलसचिव विनय कुमार सिंह का कहना है कि “जांच को स्वतंत्र रखा जाता है, इसलिए जांच अधिकारियों पर जल्द रिपोर्ट देने का दबाव नहीं बनाया जा सकता।”

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