झांसी अग्निकांड : 17 घंटे की तलाश के बाद निजी अस्पताल में मिला लापता नवजात, परिजनों ने ली राहत की सांस

UPT | परिजनों ने ली राहत की सांस

Nov 17, 2024 01:40

महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में हुए भीषण अग्निकांड के बाद एक नवजात शिशु लापता हो गया था।

Jhansi News : महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में हुए भीषण अग्निकांड के बाद एक नवजात शिशु लापता हो गया था। इस नवजात की तलाश में उसके परिजन शुक्रवार की रात से लेकर शनिवार पूरे दिन तक मेडिकल कॉलेज में इधर-उधर भटकते रहे। अंततः 17 घंटे के बाद, नवजात को एक निजी अस्पताल में जीवित और सुरक्षित पाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा था।

महोबा के दंपत्ति की दो साल पहले हुई थी शादी
महोबा जिले के ककरबई थाना क्षेत्र के ग्राम परसा निवासी कुलदीप और नीलू की शादी दो साल पहले हुई थी। नौ नवंबर को नीलू ने ककरबई में एक बेटे को जन्म दिया था, लेकिन जन्म के तुरंत बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई। जांच में पता चला कि उसके खून में संक्रमण है, जिसके कारण उसे तुरंत बेहतर इलाज के लिए झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। वहां नवजात को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया, जहां उसका इलाज जारी था।

नवजात के गायब होने से मचा हड़कंप
शुक्रवार रात की घटना के दौरान नवजात की मां और दादी मेडिकल कॉलेज के वार्ड के बाहर बैठी हुई थीं, जबकि कुलदीप मेडिकल कॉलेज से बाहर कुछ काम से गए हुए थे। अचानक एसएनसीयू वार्ड में आग लगने की खबर आई, जिससे अस्पताल में अफरातफरी मच गई। आग की लपटों और धुएं के बीच अस्पताल स्टाफ ने मरीजों को बचाने के लिए उन्हें वार्ड से बाहर निकाला। इसी बीच, कुलदीप और नीलू का नवजात बच्चा लापता हो गया। परिजन ने तुरंत बच्चे की खोज शुरू कर दी, लेकिन आग की भगदड़ के चलते उन्हें बच्चे का कोई सुराग नहीं मिल सका।

परिजनों की 17 घंटे की जद्दोजहद
परिजनों ने रात भर अस्पताल परिसर में हर कोने की तलाश की और किसी भी अस्पताल स्टाफ या अधिकारी से पूछताछ की जो उनके बच्चे की जानकारी दे सके। उनकी आंखों में आंसू और दिल में बेचैनी थी। शनिवार की दोपहर को उन्होंने एडीएम वरुण पांडेय से संपर्क किया और मदद की गुहार लगाई।



निजी अस्पताल में मिला नवजात
एडीएम वरुण पांडेय परिजनों को मेडिकल कॉलेज के सामने स्थित एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां हादसे के तुरंत बाद दो बच्चों को भर्ती कराया गया था। यहां परिजनों ने नवजात को तुरंत पहचान लिया। उस समय बच्चे की हालत स्थिर थी और अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। बच्चे को सुरक्षित देखकर परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

मां और दादी की आंखों में खुशी के आंसू
बच्चे के सुरक्षित मिलने की खबर से नीलू और उसकी सास की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। वे गले लगकर एक-दूसरे की खुशियों में शामिल हो गईं और अधिकारियों का आभार व्यक्त किया। इस घटना के बाद परिजनों ने राहत की सांस ली और अस्पताल प्रशासन के सहयोग के लिए धन्यवाद कहा। यह घटना, महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन और सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती है। वहीं, परिजनों के लिए यह एक भावनात्मक जद्दोजहद का अंत था, जिसमें उन्हें अंततः अपने नवजात की सलामती देखने को मिली।

Also Read