झांसी अग्निकांड : कार्यवाहक प्रधानाचार्य के भरोसे चल रहा था मेडिकल कॉलेज, अस्पताल पर उठे सवाल

UPT | झांसी अग्निकांड

Nov 16, 2024 22:56

महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हाल ही में हुए भीषण अग्निकांड ने चिकित्सा विभाग की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Jhansi News : महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हाल ही में हुए भीषण अग्निकांड ने चिकित्सा विभाग की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हादसे में अस्पताल के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई, जबकि 16 अन्य बच्चे गंभीर स्थिति में उपचाराधीन हैं। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। 
सीएम जता चुके हैं नाराजगी
झांसी सहित उत्तर प्रदेश के कई राजकीय मेडिकल कॉलेजों में प्रधानाचार्य के पद लंबे समय से खाली हैं और कार्यवाहक प्रधानाचार्यों के भरोसे कॉलेज संचालित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्यों और संकाय सदस्यों की कमी को लेकर पहले भी नाराजगी जाहिर की थी। मुख्यमंत्री की यह चिंता और अधिक गहरी हो गई है, जब झांसी के बड़े सरकारी अस्पताल में इस तरह की गंभीर घटना सामने आई है। 

फिलहाल कार्यवाहक प्रधानाचार्यों के सहारे कॉलेज
प्रदेश के 13 राजकीय मेडिकल कॉलेजों में कई कॉलेजों में स्थायी प्रधानाचार्य नहीं हैं। कानपुर, मेरठ, सहारनपुर और जालौन में तो स्थायी प्रधानाचार्य कार्यरत हैं, लेकिन झांसी, बांदा, आजमगढ़, बदायूं, गोरखपुर, प्रयागराज, आगरा, कन्नौज और अंबेडकरनगर में केवल कार्यवाहक प्रधानाचार्य ही नियुक्त हैं। झांसी के मेडिकल कॉलेज में पिछले चार साल से डॉ. एनएस सेंगर कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में काम कर रहे हैं। इस व्यवस्था का प्रभाव अस्पताल की कार्यक्षमता और सेवाओं पर देखा जा सकता है।

नियुक्ति की प्रक्रिया और भर्ती का हाल
स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रधानाचार्य की नियुक्ति के लिए डीजीएमई (चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय) की निगरानी में कमेटी गठित की जाती है। हाल ही में फिरोजाबाद, हरदोई, एटा, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, औरैया, लखीमपुर खीरी, ललितपुर और जौनपुर स्थित मेडिकल कॉलेजों के लिए प्रधानाचार्य की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस प्रक्रिया के तहत छह प्रधानाचार्यों का चयन हुआ, जिसमें कुछ कॉलेजों में प्रधानाचार्य की नियुक्ति हो चुकी है, जबकि अन्य अभी भी कार्यवाहक प्रधानाचार्य के सहारे चल रहे हैं। 

भीषण अग्निकांड और जांच के निर्देश
एनआईसीयू में लगी आग का कारण बिजली के शॉर्ट सर्किट को बताया जा रहा है। इस वार्ड में कुल 55 नवजात शिशु भर्ती थे, जिनमें से 10 बच्चों की मृत्यु हो गई और बाकी 16 बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है, जिसे सात दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। इस कमेटी का नेतृत्व डीजीएमई करेंगे। 



बुंदेलखंड के सबसे बड़े अस्पताल पर गंभीर सवाल
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज, झांसी, बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है, लेकिन हालिया घटनाओं ने यहां की चिकित्सा व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा है कि राजकीय कॉलेजों के लिए लोक सेवा आयोग में अभियाचन भेजा गया है और अन्य कॉलेजों के लिए भी भर्ती प्रक्रिया जारी है। 

Also Read