सीएसए विश्वविद्यालय की बड़ी पहल : यूपी के 32 गांवों का बना रहा मॉडल, किसानों को मिलेगा लाभ

UPT | सीएसए विश्वविद्यालय

Jul 09, 2024 16:38

सीएसए ने एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है। इस योजना के तहत, विश्वविद्यालय प्रदेश के 14 जिलों में 32 गांवों को आदर्श गांव के रूप में विकसित कर रहा है। यह पहल न केवल किसानों की आय...

Short Highlights
  • सीएसए ने एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है
  • प्रदेश के 14 जिलों में 32 गांवों को आदर्श गांव के रूप में विकसित कर रहा है
Kanpur News : उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) ने एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है। इस योजना के तहत, विश्वविद्यालय प्रदेश के 14 जिलों में 32 गांवों को आदर्श गांव के रूप में विकसित कर रहा है। यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाने पर केंद्रित है, बल्कि प्राकृतिक खेती और पोषण वाटिकाओं के माध्यम से कुपोषण को भी दूर करने का लक्ष्य रखती है।

परियोजना का उद्देश्य
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य गांवों को आर्थिक रूप से समृद्ध और स्वस्थ बनाना है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पहल पर शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत, विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक किसानों को अत्याधुनिक कृषि तकनीकों से परिचित करा रहे हैं। वे फसलों की निगरानी कर रहे हैं और किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज प्रदान कर रहे हैं, जिससे उत्पादन में वृद्धि हो सके।

इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू है प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और फसल अवशेष प्रबंधन पर प्रशिक्षण देना। प्रत्येक गांव में एक पोषण वाटिका स्थापित की गई है, जो कुपोषण से लड़ने में मदद करेगी। साथ ही, विश्वविद्यालय अत्यधिक तापमान में भी अच्छी उपज देने वाली सब्जियों की नई किस्मों को विकसित करने पर काम कर रहा है।

विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी ने दी जानकारी
सीएसए विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. खलील खान के अनुसार, वैज्ञानिक टीम किसानों की समस्याओं को समझ रही है और उनका समाधान कर रही है। आने वाले वर्ष में, किसानों को ऐसे बीज दिए जाएंगे जो 47 डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान में भी अच्छी पैदावार दे सकें।

इन गांवों में लागू होगी परियोजना
यह परियोजना अलीगढ़ (मानपुर और धौरापालन), हाथरस (नगला गलिया और अहवरनपुर), फिरोजाबाद दिनौली और (हजरतपुर), मैनपुरी (बड़ेपुर और भदौरा), इटावा (नगला चतुर और दौलतपुर), कन्नौज(पंच पुखरा और रौतामई), कासगंज (टीकमपुरा और नगला पीपल), फर्रुखाबाद (नगला जैतपुर और नियामतपुर ठकुरान), हरदोई (मुजाहिदपुर और दरबेशपुर), कानपुर देहात (फूलपुर, बखरिया झम्मा निवादा और अनूपपुर ), रायबरेली (आशानंदपुर, पूरे उम्मीदपुर, अमावां और सराय बैरियाखेड़ा), लखीमपुर खीरी (महाराजनगर और बखारी), फतेहपुर (चितौली, धमौली और औंग) और औरैया (निरगवां और पुरवा उदई) जिलों के चुनिंदा गांवों में लागू की जा रही है। प्रत्येक जिले से दो या अधिक गांवों का चयन किया गया है, जहां विश्वविद्यालय से संबद्ध कृषि विज्ञान केंद्र मौजूद हैं। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और जीवन स्तर में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Also Read