बदलता उत्तर प्रदेश :  IIT कानपुर तैयार कर रहा टेली मेडिसिन ऐप, ग्रामीणों को घर बैठे मिलेगा इलाज...

UPT | आईआईटी कानपुर तैयार कर रहा टेली मेडिसिन ऐप।

Jan 17, 2025 12:24

उत्तर प्रदेश के कानपुर में ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं हो पाती है। उन्हें छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के लिए शहरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। उनके लिए एक अच्छी खबर है। प्रदेश सरकार का...

Kanpur News : उत्तर प्रदेश के कानपुर में ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं हो पाती है। उन्हें छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के लिए शहरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। उनके लिए एक अच्छी खबर है। प्रदेश सरकार का स्वास्थ्य विभाग आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर एक विशेष ऐप तैयार कर रहा है, जिसके जरिए लोग घर बैठे ही लोग अपना इलाज करा सकेंगे। डॉक्टर उनकी बीमारी और उसके लिए दवाएं बता सकेंगे। 

आईआईटी कानपुर का रोबोट डॉक्टर ऐप
आईआईटी कानपुर लगातार देश और दुनिया में स्वास्थ्य क्षेत्र में कई शोध कर रहा है। अब वह उत्तर प्रदेश सरकार की मदद से मरीजों के इलाज के लिए एक विशेष ऐप तैयार कर रहा है। यह ऐप आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर निशीथ श्रीवास्तव और उनकी टीम तैयार कर रही है। इस ऐप को रोबोट डॉक्टर ऐप कहा जा रहा है। इसमें मरीजों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। 

डिजिटल पर्चे और दवाई की सुविधा
मरीजों की समस्या जानने के बाद विशेषज्ञ चिकित्सक जरूरी सुझाव और प्रिकॉशन बताएंगे। वह दवा भी लिखकर देंगे। इसमें डॉक्टर का एक पर्चा भी जनरेट होगा, जिसमें डिजिटल सिग्नेचर होंगे। इस पर्चे को किसी भी मेडिकल स्टोर या फिर पैथोलॉजी लैब में ले जाकर लोग जांच और दवाई ले सकेंगे। यह ऐप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित होगा, ताकि लोग आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकें और उन्हें अधिक से अधिक स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।

ग्रामीण इलाकों में घर बैठे स्वास्थ्य सेवाएं 
प्रोफेसर निशीथ श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह टेली मेडिसिन ऐप तैयार किया जा रहा है, जो आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ तैयार कर रहे हैं। इस ऐप के माध्यम से प्रदेश के लोगों को आसानी से घर बैठे ही टेली मेडिसिन के जरिए स्वास्थ सेवाएं दी जा सकेंगी। यह ऐप ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। उन्हें छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए शहरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

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