दुष्कर्म केस में कोर्ट का बड़ा फैसला : सबूतों के अभाव में मसाला कारोबारी के बेटा बरी, 2019 का मामला...

UPT | मसाला कारोबारी के बेटे आयुष की फ़ोटो

Jan 17, 2025 17:36

कानपुर कोर्ट ने दुष्कर्म केस के आरोप में मसाला कारोबारी के बेटे के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है।कानपुर कोर्ट ने सबूतों के अभाव में मसाला कारोबारी के बेटे को आज शुक्रवार को बरी कर दिया हैं।

Kanpur News : कानपुर कोर्ट ने दुष्कर्म केस के आरोप में मसाला कारोबारी के बेटे के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कानपुर कोर्ट ने सबूतों के अभाव में मसाला कारोबारी के बेटे को आज शुक्रवार को बरी कर दिया हैं।एक युवती ने वर्ष 2019 में आरोप लगाया था कि मसाला कारोबारी के बेटे ने उसको शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया है और जब शादी के लिए बोला तो वह  शादी करने से इंकार कर रहा है।

मसाला कारोबारी के बेटे पर लगाया था दुष्कर्म का आरोप
बता दें कि कानपुर के कल्याणपुर की रहने वाली एक युवती ने वर्ष 2019 में शहर के चर्चित शुद्ध प्लस मसाला कारोबारी दीपक खेमका के बेटे आयुष खेमका पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था।युवती का आरोप था की आयुष ने पहले दोस्ती कि फिर शादी का झांसा देते हुए कई बार शारीरिक संबंध बनाए इसके बाद जब मैने उस पर शादी का दबाव बनाया तो मुझे लेकर अपने माता पिता के पास गया।बाद में आयुष के माता पिता ने शादी से इंकार कर दिया।जिसके बाद युवती ने आयुष के खिलाफ दुष्कर्म सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।जिसके बाद पुलिस ने आरोपी आयुष को जेल भेज दिए था।हालांकि वह जमानत पर बाहर चल रहा था,लेकिन मामला कोर्ट में चल रहा था।कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान आज शुक्रवार को युवती द्वारा पेश किए गए सबूत और बयान कोर्ट को विश्वास जगाने में असफल साबित हुए। उसके बयानों की पुष्टि अन्य किसी साक्ष्य से होती नहीं दिख रही।कोर्ट ने कहा पीड़िता के ओर से आयुष पर लगाए गए आरोप संदेहास्पद है।

सबूतों के अभाव में आरोप से किया बरी
कोर्ट ने कहा अभियोजन की ओर से पेश साक्ष्य से अभियुक्त पर लगाए गए आरोप संदेह से परे साबित नहीं होते। इस पर कोर्ट के मस्तिष्क में अभियुक्त आयुष खेमका की ओर से आरोपित अपराध किए जाने के संबंध में संदेह उत्पन्न हो गया है। कोर्ट ने कहा अभियुक्त आयुष खेमका को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया जाता है।अभियुक्त जमानत पर है।अभियक्त के व्यक्तिगत बंधपत्र निरस्त कर जमानतियों को उनके दायित्त्वो से मुक्त किया जाता है।

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