कभी बने थे देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री : समाजवाजी पार्टी के प्रमुख और कन्नौज से चुनाव जीतने वाले अखिलेश यादव की कहानी

UPT | कभी बने थे देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री

Jun 06, 2024 13:18

उत्तरप्रदेश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव यूपी की राजनीतिक उठापटक में एक अहम रोल निभाते है। चाहे वह सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करना हो या अपने मज़ाक़िया लहजे से व्यंग्य करना, अखिलेश यादव उत्तरप्रदेश की राजनीति में जान-पहचाना चेहरा रहे है।

Akhilesh Yadav Biography : उत्तरप्रदेश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव यूपी की राजनीतिक उठापटक में एक अहम रोल निभाते है। चाहे वह सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करना हो या अपने मज़ाक़िया लहजे से व्यंग्य करना, अखिलेश यादव उत्तरप्रदेश की राजनीति में जान-पहचाना चेहरा रहे है। अखिलेश को राजनीति उनके पिता और उत्तरप्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री, मुलायम सिंह यादव से विरासत में मिली। लेकिन इसके बावजूद ख़ुद को समाजवादी साबित करने का उनका राजनीतिक जीवन काफ़ी संघर्ष भरा रहा।

राजनीति में नहीं थी रुचि
अखिलेश ने राजस्थान के धौलपुर में स्थित सैनिक स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने जेएसएस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मैसूर से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। अखिलेश उसके बाद पर्यावरण इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के लिए सिडनी चले गये। पर्यावरण इंजीनियर बनने के चाह रखने वाले अखिलेश की राजनीति में आने कोई इच्छा नहीं थी। लेकिन अपने पिता की राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ती व्यस्तता और समाजवादी पार्टी में एक मजबूत नेता की ज़रूरत ने अखिलेश को सफ़ेद कुर्ता-पजामा और लाल टोपी पहनने पर मजबूर कर दिया। जिसके बाद उन्होंने ने केवल समाजवादी पार्टी को एक नयी दिशा दी, बल्कि उत्तरप्रदेश को देश का सबसे युवा मुख्यमंत्री भी दिया। 

राजनीतिक जीवन
साल 2000 में 13वीं लोकसभा के उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को कन्नौज से टिकट दिया। उन्होंने चुनाव जीता और संसद में अपना कदम रखा। वहाँ से अखिलेश अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और उत्तरप्रदेश की राजनीति का अहम हिस्सा बन गये।2004-9 में अखिलेश 14 वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। जिसके बाद उनके राजनीतिक जीवन ने रफ़्तार पकड़ी और 2009 में फिर से लोकसभा सदस्य के रूप में उनका निर्वाचन हुआ। युवाओं की पसंद और समझदार नेता के रूप में यूपी की राजनीति में उनका क़द बड़ा होता गया। जिसकी वजह से 2012 में पहले वे समाजवादी पार्टी के विधायक दल के नेता बने और फिर 15 मार्च 2012 को उन्होंने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की, जिसके बाद अखिलेश यादव देश के सबसे युवा मुखमंत्री बन गये। वर्तमान में अखिलेश समाजवादी पार्टी के मुख्य नेता के रूप में इंडी गठबंधन में शामिल है। 

मुख्यमंत्री के रूप में काम
अखिलेश यादव ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कई ऐसे काम किए जिनके लिए उन्हें विश्व स्तर की सराहना मिली है। साल 2016 में उनके कार्यकाल के दौरान उत्तरप्रदेश को एक दिन में दुनिया में सबसे अधिक पेड़ लगाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड प्राप्त हुआ। जिसके बाद उत्तरप्रदेश सरकार की काफ़ी सराहना हुई। उनके कम बोलने, आधुनिक विचारों और विकास को पसंद करने के कारण उनकी तुलना राजीव गांधी से भी की जाती रही है। अपने कार्यकाल के दौरान अखिलेश में कई बड़ी परियोजनाओं पर काम किया। आगरा-लखनऊ हाईवे, लखनऊ मेट्रो प्रोजैक्ट जैसी कैसी परियोजनाओं का शिलान्यास अखिलेश यादव के द्वारा हुआ। हालांकि उनके कार्यकाल के दौरान उत्तरप्रदेश की क़ानून व्यवस्था की स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं रही। हत्या, अपहरण, दंगे और बलात्कार जैसी घटनाएँ उत्तरप्रदेश में बढ़ी जिसकी वजह से अखिलेश को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा और 2017 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को सत्ता छोड़नी पड़ी। 

गुंडों की पार्टी और परिवारवाद के आरोप
मुलायम सिंह यादव राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी रहे है। जिन्होंने न केवल सपा पार्टी को खड़ा किया बल्कि उसे उत्तरप्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी भी बनाया। इस संघर्ष में मुलायम सिंह यादव ने उन सभी बाहुबलियों से हाथ मिलाया और अपनी पार्टी में शामिल किया जिनका किसी न किसी रूप में अपने क्षेत्र में जनाधार था या लोगों का समर्थन था। जिसके चलते उनके राज में न केवल क़ानून व्यवस्था बिगड़ी बल्कि सपा को गुंडों की पार्टी भी कहा जाने लगा। अखिलेश को राजनीति उनके पिता से विरासत में मिली। उनके के अलावा यादव परिवार के कई सदस्य राजनीति में सक्रिय है। पिता मुलायम सिंह यादव के साथ, चाचा शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव, चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव, तेज़ प्रताप यादव, अक्षय यादव, पत्नी डिम्पल यादव और परिवार के कई अन्य सदस्य राजनीति में सक्रिय है। जिनपर मुलायम सिंह यादव, सपा और अखिलेश का हाथ रहा है। इस वजह से उनपर लगातार परिवारवाद के आरोप भी लगते रहे है। जिनसे ख़ुद को और सपा को बचाने का प्रयास पिछले कुछ समय से अखिलेश लगातार कर रहे है। 

अपना गढ़ वापिस  जीतने का कर रहे हैं प्रयास 
कन्नौज सपा पार्टी और यादव परिवार का गढ़ मानी जाती है। लेकिन इसके बावजूद 2019 लोकसभा चुनाव में डिम्पल यादव को कन्नौज सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुब्रत पाठक से 12353 मतों से हार का सामना करना पड़ा था।इस बार सपा पार्टी अध्यक्ष अखिलेश ने ख़ुद कन्नौज सीट की कमान सम्भाली है और अपना गढ़ वापिस लेने का प्रयास कर रहे हैं।

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