दत्तक ग्रहण जागरूकता माह-2024 : बच्चों के पुनर्वास के लिए राज्य स्तरीय कॉन्क्लेव, दंपत्ति-सिंगल पैरेंट्स ने साझा किए अपने अनुभव

UPT | दत्तक ग्रहण जागरूकता माह-2024

Nov 21, 2024 18:27

बच्चों के पुनर्वास और उन्हें परिवार का प्यार और संरक्षण देने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने राजधानी लखनऊ में एक विशेष राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया। यह आयोजन ‘दत्तक ग्रहण जागरूकता माह-2024’ के तहत गुरुवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के मार्स ऑडिटोरियम में हुआ।

Lucknow News : बच्चों के पुनर्वास और उन्हें परिवार का प्यार और संरक्षण देने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने राजधानी लखनऊ में एक विशेष राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया। यह आयोजन ‘दत्तक ग्रहण जागरूकता माह-2024’ के तहत गुरुवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के मार्स ऑडिटोरियम में हुआ। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बड़े बच्चों को गोद लेने और फोस्टर केयर (पालन-पोषण) के प्रति जागरूकता फैलाना था। इस कार्यक्रम में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उनके साथ उत्तर प्रदेश सरकार की महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्य ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। 

बड़े बच्चों के पुनर्वास पर केंद्रित परिचर्चा
इस आयोजन को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) और उत्तर प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का मुख्य विषय था, “देखभाल और पालन-पोषण की भावना से बड़े बच्चों का पुनर्वास।” केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार बच्चों के पुनर्वास के लिए ठोस प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, 6 साल से अधिक उम्र के बच्चों का दत्तक ग्रहण अक्सर कठिन हो जाता है। ऐसे में फोस्टर केयर का विकल्प उन्हें एक सुरक्षित और स्नेहमय वातावरण प्रदान करने में मददगार साबित हो सकता है। बेबी रानी मौर्य ने प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों के कल्याण और सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने बाल संरक्षण को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है। मौर्य ने दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया।



गोद लेने वाले परिवारों ने साझा किए अनुभव
सम्मेलन में उन दत्तक माता-पिता को सम्मानित किया गया, जिन्होंने बच्चों को गोद लेकर उनकी जिंदगी में बदलाव लाया। इनमें गुरप्रीत सिंह और नवनीत ग्रेवाल, मो. आरिफ खान और दीप्ति सिंह, वीरेन्द्र और शर्मिला पाल जैसे दंपत्तियों के साथ-साथ सिंगल पेरेंट डॉ. रचना भारती भी शामिल थीं। सभी ने बच्चों को गोद लेने के अपने अनुभव साझा किए और इस प्रक्रिया में आए भावनात्मक उतार-चढ़ाव पर चर्चा की। फोस्टर केयर के जरिए बच्चों को अपनाने वाली डॉ. शहनवाज ने अपनी यात्रा साझा करते हुए बताया कि किस तरह इस प्रक्रिया ने उनके जीवन को सकारात्मक तरीके से बदला।

कानूनी प्रक्रियाओं पर चर्चा
कार्यक्रम में दत्तक ग्रहण की कानूनी प्रक्रियाओं पर भी गहन परिचर्चा की गई। सावित्री ठाकुर ने बताया कि फोस्टर केयर के तहत ‘नो विजिटेशन’ और ‘अनफिट गार्जियन्स/पेरेंट्स’ श्रेणी के अंतर्गत आने वाले बच्चों को अस्थायी पारिवारिक देखभाल प्रदान की जाती है। इस व्यवस्था से बच्चों को एक सुरक्षित माहौल मिलता है और उनका मानसिक और भावनात्मक विकास बेहतर तरीके से होता है।

बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा मन
कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं, जिन्होंने दर्शकों का दिल जीत लिया। छोटे बच्चों ने ‘राधा तेरी चुनरी...’ गीत पर रंगारंग नृत्य प्रस्तुत किया, जबकि किशोरियों ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर आधारित एक नाट्य प्रस्तुति दी। इसके अलावा, बच्चों द्वारा बनाए गए उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसे प्रतिभागियों ने खूब सराहा।

दत्तक ग्रहण जागरूकता माह का महत्व
हर साल नवंबर को ‘राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण जागरूकता माह’ के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष इस अभियान का मुख्य केंद्र लखनऊ रहा। कार्यक्रम में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारी, बाल संरक्षण इकाई के सदस्य, यूनिसेफ, चाइल्ड हेल्पलाइन और अन्य सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। बेबी रानी मौर्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार बच्चों के कल्याण और उनके पुनर्वास के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि दत्तक ग्रहण और फोस्टर केयर की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जागरूकता बढ़ाने के लिए ऐसे कार्यक्रम आवश्यक हैं।

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