पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक रूप से राज्य सरकार से पूछा था कि क्या नोटिस जारी करने से पहले किसी प्रकार का सर्वे किया गया था। इसके साथ ही यह भी पूछा गया था कि क्या नोटिस प्राप्त करने वाले लोग उन परिसरों के स्वामी थे जिनका ध्वस्तीकरण प्रस्तावित है। यह एक महत्वपूर्ण सवाल था जो संपत्ति के अधिकारों और प्रशासनिक प्रक्रिया से संबंधित था।