कजरी महोत्सव : नदिया बैरी भई... मालिनी अवस्थी ने बिखेरा कजरी का जादू

UPT | प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी।

Jul 29, 2024 00:39

प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने जब राग देश में निबद्ध ठुमरी की प्रस्तुति दी तो भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय का कलामंडपम् प्रेक्षागृह तालियों से गूंज उठा।

Short Highlights
  • तीन दिवसीय कजरी महोत्सव का समापन
  • भातखण्डे विवि के छात्र-छात्राओं ने मालिनी अवस्थी से सीखी कजरी
Lucknow News : सैंया बुलावें आधी रात, नदिया बैरी भई...। प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने जब राग देश में निबद्ध ठुमरी की यह प्रस्तुति दी तो भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय का कलामंडपम् प्रेक्षागृह तालियों से गूंज उठा। इसके बाद दादरा, ‘भीगी जाऊं मैं गुइयां बचाये लियो' सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। मालिनी अवस्थी ने विश्वविद्यालय के गायन विभाग के विद्यार्थियों को तीन दिवसीय कार्यशाला में जो ठुमरी, दादरा, कजरी, झूला सिखाया था उसे छात्र-छात्राओं के साथ गाकर समां बांध दिया। 

कजरी महोत्सव को बनाया यादगार
मालिनी अवस्थी ने विदुशी राग तिलक कामोद में अद्धा ताल में निबद्ध ठुमरी अंग की कजरी बोल थे ‘बैठी सोचे बृज बाम, सुनो लागे मेरो धाम’, राग पीलू में दादरा अंग की ठुमरी जिसके बोल थे ‘हरि बिनु कारी बदरिया छाई’, दादरा ‘कौन रंग मूँगवा कौन रंग मोतिया’, राग देश में दादरा ताल में निबद्ध बहुप्रसिद्ध कजरी ‘बरसन लागी बदरिया’, राग पहाड़ी में कहरवा ताल में निबद्ध झूला ‘सिया संग झूले’ से कजरी महोत्सव को यादगार बना दिया। तबले पर दिल्ली से आए पंडित राम कुमार मिश्र और अनंत प्रजापति, हारमोनियम पर धर्मनाथ मिश्र, ढोलक पर हर्षित शर्मा, सितार पर नीरज मिश्रा और तानपूरे पर विश्वविद्यालय की छात्रा मोनिका और निकिता ने संगत की। इससे पहले कुलसचिव ने तुलसी  का पौधा भेंट  मालिनी अवस्थी का स्वागत किया। कार्यशाला में मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहकार अवनीश अवस्थी भी उपस्थित थे। 

Also Read