छोटा इमामबाड़ा का गेट-दीवारें गिरने की कगार पर : हाईकोर्ट ने एएसआई से दो सप्ताह में तलब की रिपोर्ट, 20 जनवरी को सुनवाई

UPT | छोटा इमामबाड़ा

Jan 09, 2025 10:37

इन गेटों का निर्माण नवाब मोहम्मद अली शाह ने कराया था, लेकिन समय के साथ इनकी दीवारें और ईंटें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। इन गेटों का उद्देश्य इमारत की सीमा निर्धारित करना था। ये गेट न केवल लखनऊ बल्कि देशभर के वास्तुकला संस्कृति का हिस्सा हैं।

Lucknow News : नवाबी दौर की ऐतिहासिक धरोहर छोटा इमामबाड़ा के संरक्षण को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने स्वीकार किया है कि छोटा इमामबाड़ा के पश्चिमी गेट और कुछ दीवारें बेहद जर्जर स्थिति में हैं, जो कभी भी गिर सकती हैं। एएसआई ने इनकी मरम्मत के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता बताई है।

हाईकोर्ट का आदेश : दो सप्ताह में प्रस्तुत करें मरम्मत योजना
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने एएसआई को आदेश दिया है कि वह दो सप्ताह के भीतर मरम्मत कार्य की विस्तृत योजना और अनुमानित खर्च की रिपोर्ट प्रस्तुत करे। अदालत ने स्मारक की सुरक्षा और इसके संरक्षित स्वरूप को बनाए रखने के लिए एएसआई को मामले को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया।

तुरंत की जाए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई
हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को छोटा इमामबाड़ा के मुख्य प्रवेश द्वार से अवैध अतिक्रमण को तुरंत हटाने का आदेश दिया है। यह फैसला स्मारक के सौंदर्य और सुरक्षा को बहाल करने के उद्देश्य से लिया गया है। अदालत ने 20 जनवरी को अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की है, जिसमें इन आदेशों की प्रगति रिपोर्ट पेश करनी होगी।

याचिका में क्या हैं आरोप?
सैयद मोहम्मद हैदर रिजवी द्वारा दाखिल जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि राजधानी के संरक्षित स्मारकों को अवैध अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया जा रहा है। साथ ही, एएसआई पर इन स्मारकों के रखरखाव और मरम्मत में लापरवाही का आरोप भी लगाया गया।

एएसआई का बचाव और स्वीकृति
एएसआई के अधिवक्ता ने अदालत में बताया कि याचिकाकर्ता के आरोप बेबुनियाद हैं, क्योंकि स्मारकों के संरक्षण और रखरखाव के लिए नियमित काम किए जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि छोटा इमामबाड़ा के कुछ हिस्से जर्जर स्थिति में हैं और इससे पर्यटकों व कर्मचारियों के लिए खतरा बना हुआ है।

गेटों का ऐतिहासिक महत्व
इन गेटों का निर्माण नवाब मोहम्मद अली शाह ने कराया था, लेकिन समय के साथ इनकी दीवारें और ईंटें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। इतिहासकारों के अनुसार, छोटा इमामबाड़ा के गेटों का निर्माण उसी समय किया गया था, जब 1838 में छोटा इमामबाड़ा का निर्माण हुआ। इन गेटों का उद्देश्य इमारत की सीमा निर्धारित करना था। ये गेट न केवल लखनऊ बल्कि देशभर के वास्तुकला संस्कृति का हिस्सा हैं। इस प्रकार के गेट कोलकाता, भोपाल, मुरादाबाद और जयपुर में भी पाए जाते हैं। कुछ गेट मुगल सम्राट अकबर के दौर में बनाए गए थे और इन्हें 'त्रिपोलिया गेट' कहा जाता था।
नवाबों के समय इस तरह होता था इस्तेमाल
  • बड़े मध्य द्वार का उपयोग शाही जुलूस और हाथियों के लिए होता था।
  • छोटे द्वार आम जनता के आवागमन के लिए थे।
  • गेट के आसपास की छोटी संरचनाएं अस्थायी आगंतुकों के ठहरने के लिए बनाई गई थीं।

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