Diabetes : मोटापा बन रहा कम उम्र में डायबिटीज का बड़ा कारण, अन्य बीमारियों का भी खतरा, SGPGI के अध्ययन में खुलासा

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Dec 28, 2024 11:43

40 साल से कम उम्र के डायबिटीज मरीजों में 15 साल की बीमारी के बाद 62 प्रतिशत को इंसुलिन की आवश्यकता पड़ी। वहीं, 40 साल से अधिक आयु वर्ग में यह प्रतिशत सिर्फ 42 प्रतिशत था।

Lucknow News : डायबिटीज के मरीजों की संख्या का लगातार बढ़ना चिंता का विषय बना हुआ है। अब कम उम्र के बच्चे भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। इस बीच संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) के नेत्र, हृदय, इंडोक्राइन और रेडियोडायग्नोसिस विभाग के शोध में अहम खुलासा हुआ है। दो साल के शोध में पाया कि मोटापा और अधिक वजन 40 साल से कम उम्र में डायबिटीज का बड़ा कारण बन रहा है।एसजीपीजीआई लखनऊ का यह अध्ययन सितंबर 2022 से अगस्त 2024 तक चला। इसके अनुसार, कम उम्र में डायबिटीज के कारण मरीजों को नेत्र, हृदय, किडनी और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

अध्ययन के आंकड़े और दो समूहों का विश्लेषण
डायबिटीज ओपीडी में आए 1,304 मरीजों को अध्ययन में शामिल किया गया। इन मरीजों को 40 साल से कम और 40 साल से ज्यादा आयु वर्ग के दो समूहों में विभाजित किया गया, जिनमें 400-400 मरीज थे। हर मरीज पर विभिन्न प्रकार की जांच की गई, जिनमें नेत्र रोग, हृदय संबंधी समस्याएं, किडनी और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का अध्ययन किया गया।



नेत्र समस्याएं : रेटिनोपैथी का खतरा
40 साल से कम उम्र के डायबिटीज मरीजों में 27 प्रतिशत को डायबिटिक रेटिनोपैथी की समस्या मिली। वहीं, 40 साल से अधिक आयु वर्ग में यह समस्या 26.5 प्रतिशत मरीजों में देखी गई। इससे यह साबित होता है कि कम उम्र में डायबिटीज के कारण नेत्र समस्याओं का जोखिम अधिक रहता है।

न्यूरोलॉजिकल समस्याएं : जलन और सुन्नपन के मामले
कम आयु वर्ग के 46 प्रतिशत मरीज न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से ग्रसित थे। इनमें जलन, झुनझुनी, सुन्नपन और अकड़न जैसी परेशानियां देखी गईं। वहीं, 40 साल से अधिक आयु वर्ग में यह प्रतिशत बढ़कर 59 प्रतिशत हो गया।

किडनी समस्याओं का विश्लेषण
कम उम्र वाले 33 प्रतिशत मरीजों को किडनी संबंधी परेशानियां थीं। वहीं, 40 साल से अधिक आयु वर्ग में यह समस्या 37 प्रतिशत मरीजों में पाई गई। इससे पता चलता है कि किडनी समस्याओं में आयु का प्रभाव सीमित है।

दिल और धमनियों की समस्या अधिक
अध्ययन में पता चला कि 40 साल से कम उम्र के 69 प्रतिशत मरीजों को दिल और धमनियों से जुड़ी समस्याएं थीं। इनमें से 8 प्रतिशत मरीज ऐसे थे, जिन्हें एक साथ तीन हृदय संबंधित बीमारियां थीं।

इंसुलिन की जरूरत में अंतर
40 साल से कम उम्र के डायबिटीज मरीजों में 15 साल की बीमारी के बाद 62 प्रतिशत को इंसुलिन की आवश्यकता पड़ी। वहीं, 40 साल से अधिक आयु वर्ग में यह प्रतिशत सिर्फ 42 प्रतिशत था।

हाइपरटेंशन का बढ़ता खतरा
40 साल से अधिक आयु वर्ग में 74 प्रतिशत मरीजों को हाइपरटेंशन की समस्या थी। वहीं, 40 साल से कम आयु वर्ग में यह प्रतिशत 54 प्रतिशत पाया गया।

शोध के मुख्य निष्कर्ष
  • मोटापा और अधिक वजन कम उम्र में डायबिटीज का बड़ा कारण।
  • नेत्र, किडनी और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का खतरा ज्यादा।
  • दिल और धमनियों की बीमारियों का प्रभाव हर आयु वर्ग पर।
  • हाइपरटेंशन और इंसुलिन की जरूरत अधिक आयु वर्ग में बढ़ी।
डायबिटीज : एक व्यापक समस्या और उससे जुड़े स्वास्थ्य प्रभाव
डायबिटीज को मधुमेह भी कहा जाता है। ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की इंसुलिन उत्पादन या उपयोग करने की क्षमता प्रभावित होती है। यह बीमारी रक्त में शुगर (ग्लूकोज) के स्तर को नियंत्रित करने में बाधा उत्पन्न करती है। मुख्यतः यह तीन प्रकार की होती है:
  • टाइप-1 डायबिटीज: शरीर में इंसुलिन उत्पादन पूरी तरह बंद हो जाता है।
  • टाइप-2 डायबिटीज: शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का सही उपयोग नहीं करतीं।
  • गर्भावधि डायबिटीज: गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को यह स्थिति होती है।
डायबिटीज और मोटापा: मुख्य कारण
डायबिटीज के सबसे बड़े कारकों में से एक मोटापा और ज्यादा वजन है। जब शरीर में फैट की मात्रा अधिक हो जाती है, तो इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता कम हो जाती है, जिससे ब्लड शुगर स्तर बढ़ने लगता है।
अन्य कारण:
  • अनुवांशिक प्रवृत्ति
  • खराब जीवनशैली
  • उच्च कैलोरी वाला आहार
  • शारीरिक गतिविधियों की कमी
  • डायबिटीज से जुड़ी बीमारियां
डायबिटीज के लक्षण
  • बार-बार प्यास लगना
  • अत्यधिक भूख लगना
  • बार-बार पेशाब आना
  • थकावट और कमजोरी
  • वजन कम होना (बिना किसी प्रयास के)
  • त्वचा संक्रमण
डायबिटीज को नियंत्रित करने के उपाय
डायबिटीज को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
स्वस्थ आहार :
साबुत अनाज, फल, और सब्जियों का सेवन करें।
मीठे और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
नियमित व्यायाम :
हर दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।
योग और ध्यान को अपनाएं।
दवाइयों का नियमित सेवन :
डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयों और इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग करें।
नियमित स्वास्थ्य जांच :
ब्लड शुगर की जांच करते रहें।
रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें।

डायबिटीज के साथ इस तरह बेहतर जीवन का लें आनंद 
  • आहार में संयम : शुगर फ्री और कम कार्बोहाइड्रेट वाले आहार का चयन करें।
  • नींद का ध्यान : रोजाना 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद लें।
  • तनाव प्रबंधन : तनाव से बचने के लिए ध्यान और योग करें।
  • शराब और धूम्रपान से बचें : ये आदतें बीमारी को और गंभीर बना सकती हैं।
डायबिटीज से बचाव के उपाय
  • डायबिटीज से बचने के लिए जीवनशैली में छोटे लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव करें:
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
  • संतुलित और पौष्टिक आहार लें।
  • वजन को नियंत्रित रखें।
  • नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं।
  • धूम्रपान और अधिक शराब के सेवन से बचें।
  • डायबिटीज के प्रति जागरूकता की जरूरत

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