एलडीए के तत्कालीन सहायक अभियंता भूपेंद्रवीर सिंह ने 2006 में यह रिपोर्ट दी थी कि जमीन नदी के बीच में है और इसका प्राधिकरण के लिए कोई उपयोग नहीं है। इसके बावजूद 2014 में फाइल दोबारा खोली गई। बिल्डर ने यह जमीन महादेव प्रसाद से खरीदी दिखाई। लेकिन, वह जमीन नदी के बीच होने के कारण निर्माण नहीं कर पा रहा था।