विश्वेश्वर दयाल मामले से जुड़ी बड़ी खबर : RSS कार्यकर्ता की जमीन विवाद में दो DM को नोटिस, चार अफसर निलंबित

UPT | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

Nov 15, 2024 13:19

RSS कार्यकर्ता विश्वेश्वर दयाल से जुड़ी जमीन की पैमाइश के मामले में अब प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। यह मामला पिछले 6 साल से लंबित था और इसमें अधिकारियों...

Lakhimpur Kheri News : RSS कार्यकर्ता विश्वेश्वर दयाल से जुड़ी जमीन की पैमाइश के मामले में अब प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। यह मामला पिछले 6 साल से लंबित था और इसमें अधिकारियों की लापरवाही के कारण मामला लगातार टलता रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर इस मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है। इस बीच दो जिलाधिकारियों (DM) को नोटिस भेजे गए हैं। इन डीएम में दुर्गाशक्ति नागपाल और पूर्व DM महेंद्र बहादुर का नाम शामिल है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने जमीन की पैमाइश कराने में काफी टालमटोल की और मामले को लटकाए रखा।

निलंबन की कार्रवाई
राज्य सरकार ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 6 प्रशासनिक अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इनमें एक आईएएस अधिकारी और तीन PCS अधिकारी शामिल हैं। निलंबित होने वालों में अपर आयुक्त लखनऊ मंडल धनश्याम सिंह, बाराबंकी के ADM वित्त अरुण कुमार सिंह, झांसी के नगर मजिस्ट्रेट विधेश सिंह और बुलंदशहर में तैनात SDM रेनू का नाम शामिल है।

भूमि विवाद और मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तब प्रकाश में आया जब 24 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के सदर विधायक योगेश वर्मा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में विधायक वर्मा ने कलक्ट्रेट परिसर में स्कूटी पर सवार होकर प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की थी। उन्होंने दावा किया कि एक सेवानिवृत्त शिक्षक, विश्वेश्वर दयाल की जमीन की पैमाइश के लिए अधिकारियों ने 5,000 रुपये की घूस ली थी। विधायक ने इस मामले में कार्रवाई की मांग करते हुए घूस की रकम की वापसी की भी बात कही थी।

जानिए पूरा मामला
मामला शुरू हुआ था जब RSS कार्यकर्ता विश्वेश्वर दयाल की जमीन की पैमाइश को लेकर विवाद सामने आया। छह साल पहले शुरू हुआ यह मामला प्रशासनिक अड़चनों के कारण ठंडे बस्ते में चला गया। इस दौरान कई बड़े अफसरों की जिम्मेदारी थी लेकिन कोई भी इस मामले की गहरी समीक्षा करने और समाधान निकालने में सफल नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद शासन ने इस मामले की गंभीरता से जांच शुरू की और पाया कि अधिकारियों ने जानबूझकर मामले को लटकाया। इस पर सरकार ने न केवल संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की।

प्रशासनिक लापरवाही पर राज्य सरकार ने उठाएं सवाल
इस मामले में राज्य सरकार ने सवाल उठाया है कि 6 साल तक संबंधित अधिकारियों ने मामले की समीक्षा क्यों नहीं की। इतना ही नहीं इन अधिकारियों ने लगातार मामलों में टालमटोल की और किसानों के हितों के खिलाफ लापरवाह रुख अपनाया। मुख्यमंत्री ने इस मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त न करने का स्पष्ट संदेश दिया है और कहा है कि प्रशासन को सख्त और पारदर्शी तरीके से कार्य करना होगा।

सरकार की कड़ी चेतावनी
सरकार ने इस कार्रवाई के जरिए एक सख्त संदेश देने की कोशिश की है कि भूमि विवादों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में टालमटोल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। निलंबित अधिकारियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई की संभावना को भी खारिज नहीं किया गया है। वहीं, प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही न हो और संबंधित विभागों में अधिक सतर्कता बरती जाए।

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