आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उच्च शिक्षा सम्मेलन : डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक बोले- एआई से हर क्षेत्र में होगा विकास, तकनीकी तक नहीं रहेगा सीमित

UPT | डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक।

Jan 17, 2025 17:49

चंडीगढ़ विश्वविद्यालय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) उच्च शिक्षा सम्मेलन में प्रदेश में मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद अहम साबित होगा।

Lucknow News : राजधनी लखनऊ में शुक्रवार को एआई विशेषज्ञ और प्रबुद्धजन एक छत के नीचे एकजुट हुए। मौका था चंडीगढ़ विश्वविद्याल की ओर से प्रदेश में पहली बार आयोजित 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) उच्च शिक्षा सम्मेलन का। इसमें तकनीकी विशेषज्ञों ने वैश्विक स्तर पर बढ़ते एआई के महत्व और उसमें केन्द्र सरकार की नीतियों के योगदान पर मंथन किया। विशेषज्ञों ने एआई द्वारा भविष्य में जनित रोजगार के अवसर, चुनौतियों और उनके निवारण आदि पर चर्चा की। क्लासरूम से क्लाउड तक : एआई भविष्य की अगुवाई' विषय पर केंद्रित इस समिट में आने वाली पीढ़ी को एआई के लिए तैयार करने पर भी विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान दौरान विभिन्न पहलुओं पर गहन अध्ययन के बाद विशेषज्ञों ने कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष साझा किए।

आने वाली पीढ़ियों के बेहद अहम साबित होगा एआई
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बतौर मुख्य अतिथि समिट में कहा कि एआई आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद अहम साबित होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एआई जीवनशैली और कार्यशैली के परिदृश्य को पूरी तरह से नूतन और गतिशील बनाएगा। यह तकनीक न केवल हर क्षेत्र में विकास के नए आयाम स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगी। बल्कि भविष्य में विकास के नए अवसरों को भी जन्म देगी। भारत तेजी से आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है। एआई को लेकर अपने प्रयासों को और अधिक सशक्त बना रहा है। उन्होंने कहा कि एआई आने वाले समय में सिर्फ तकनीकी क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा। इसके अलावा और भी बहुत कुछ आने वाला है।



सही इस्तेमाल पर एआई बेहतर विकल्प
ब्रजेश पाठक ने कहा कि यदि एआई को बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो वह बेहतर विकल्प है। हम सबको अपने बच्चों को इस तरह तैयार करना है कि वे एआई के बारे में जानें ताकि इसका बेहतर उपयोग हो सके। उन्होंने भरोसा जताया कि चंडीगढ़ विश्वविद्यालय छात्र-छात्राओं को एआई के प्रभावी उपयोग की बेहतर जानकारी और प्रशिक्षण करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि एक ही विषय के लिए कई टेक्स्टबुक और संदर्भ सामग्री उपलब्ध हैं। इन सभी को एक सूत्र में पिरोकर संक्षेप में प्रस्तुत करने के लिए एआई एक प्रभावी प्लेटफॉर्म साबित हो सकता है।

भारत में इस सेक्टर लगातार आ रहे इन्वेस्टर्स
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि चंडीगढ़ विश्वविद्यालय इस दिशा में अपने प्रयास में सफल होगा। उन्होंने कहा कि इस सेक्टर को बहुत महत्व देने से भारत में लगातार इन्वेस्टर्स आ रहे हैं। दुनिया के बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों का मानना है कि एआई हर क्षेत्र में अभूतपूर्व स्थान हासिल करेगा। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के जरिए यूपी के युवाओं को एक बड़ा प्लेटफॉर्म उपलब्ध होगा। साथ ही यूनीवर्सिटी देश के युवाओं को एआई से जोड़ने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने में भी अहम योगदान देगी।

प्रधानमंत्री ने देश को एआई हब बनाने का दिया विजन  
राज्य सभा सांसद और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के चांसलर सतनाम सिंह संधू ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने देश को एआई हब बनाने के लिए एआई फॉर ऑल का विजन दिया है। इसी पहल को पूरा करने के लिए चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने लखनऊ में एआई एकीकृत मल्टी डिस्प्लीनरी कैंपस स्थापित किया है, जो अब शुरु हो चुका है। इसमें मल्टी डिस्प्लीनरी कोर्सेस तथा शिक्षण पद्धियों में एआई को एकीकृत किया गया है। भारत को एआई हब बनाने के लिए यूपी का क्या योगदान होगा, इस पर चर्चा की जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में एआई सिटी बनाने का फैसला किया है। एआई सिटी चलाने के लिए जो भी संसाधन व कार्यबल चाहिए उसके लिए हम सभी उतर प्रदेश के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगें ताकि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के मिशन को साकार किया जा सके।

एआई को लेकर सतर्कता भी जरूरी
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पूर्व कुलपति डॉ. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने सम्मेलन के पैनल डिस्कशन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग में सतर्कता बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने उदाहरण के तौर पर महाभारत के एक प्रसंग का जिक्र किया। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन को ब्रह्मास्त्र की शिक्षा दी, क्योंकि उन्होंने अर्जुन की समझ को परखा था। वह जानते थे कि अर्जुन इसका सही उपयोग करेगा। लेकिन अश्वत्थामा के मामले में स्थिति अलग थी। गुरु द्रोणाचार्य ने अपने बेटे को ब्रह्मास्त्र का ज्ञान इसलिए नहीं दिया क्योंकि उन्हें यह डर था कि अश्वत्थामा इसका गलत उपयोग कर सकता है। उनका मानना था कि बिना उचित समझ और जिम्मेदारी के इस तरह के शक्तिशाली अस्त्र का इस्तेमाल नुकसानदायक हो सकता है।

एआई बाजार 2030 तक 3000 डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद
टिमिंडट्री के वरिष्ठ निदेशक एचआर बिजनेस पार्टनर प्रमोद कुमार झा ने कहा कि दुनिया भर के आंकड़ों को देखें तो आज का एआई बाजार लगभग 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है। 2030 तक इसके 3000 अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की संभावना है। एक देश के रूप में भारत वैश्विक स्तर पर बहुत ही अच्छी स्थिति में है। दुनिया भर के देश चाइन प्लस वन (सिर्फ़ चीन में निवेश करने से बचने और दूसरे देशों में व्यापार को विविधता देने की व्यावसायिक रणनीति) मॉडल पर विचार कर रहे हैं और यह 'वन' भारत है। हमारे देश में डिजिटल इको सिस्टम को देखें, हमारे पास सबसे ज़्यादा अंग्रेजी बोलने वाले लोग हैं। हमारे पास सबसे कम उम्र के लोग हैं और प्रधानमंत्री मोदी के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के विजन के साथ, आईटी और आईटीईएस उद्योग को एक साथ अगले स्तर पर ले जाने में एआई की बहुत बड़ी भूमिका है।

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