अधिकांश दवाओं की खोज और उनके परीक्षण विदेशों में किए जाते हैं, जिनके आधार पर उनकी डोज निर्धारित की जाती है। भारत में लोगों पर इन दवाओं का परीक्षण नहीं होने की वजह से कभी-कभी यह डोज हमारे लिए उपयुक्त साबित नहीं होती। इसके परिणामस्वरूप दवाएं शरीर पर गलत असर डाल सकती हैं।