केजीएमयू में बिना चीरा लगाए नसों की एंजियोग्राफी : लखनऊ में पहली बार लगेगी खास मशीन, जटिल बीमारियों का इलाज होगा सुरक्षित

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Nov 26, 2024 13:05

लखनऊ में अब तक इस तरह की उन्नत मशीन किसी संस्थान में नहीं थी। केजीएमयू में इसे लगाने से न केवल मरीजों को लाभ होगा, बल्कि चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भी नए आयाम खुलेंगे। संस्थान के मीडिया प्रभारी प्रो. केके सिंह ने बताया कि मशीन की खरीद प्रक्रिया अंतिम चरण में है और जल्द ही इसे स्थापित कर दिया जाएगा।

Lucknow News : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में अब धमनियों और नसों की समस्याओं का इलाज आधुनिक तकनीक से किया जाएगा। सवा दो करोड़ रुपये की लागत से डिजिटल सब्सट्रैक्शन एंजियोग्राफी (DSA) मशीन लगाई जा रही है, जो बिना किसी चीरा लगाए इलाज करने में सक्षम होगी। यह मशीन मरीज की पैर की धमनी में कैथेटर डालकर मस्तिष्क और अन्य अंगों की नसों की एंजियोग्राफी कर सकेगी।

वैस्कुलर सर्जरी विभाग की प्रगति
केजीएमयू में वैस्कुलर सर्जरी विभाग की स्थापना दो साल पहले की गई थी, जिसमें धमनियों से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है। अब इस विभाग को अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया जा रहा है। विभागाध्यक्षों का कहना है कि डीएसए मशीन से सर्जरी के पारंपरिक तरीकों की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे जटिल प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा सकेगा।



घाव और संक्रमण का नहीं होगा खतरा 
चीरा लगाने के बजाय कैथेटर का उपयोग करने से संक्रमण का खतरा नगण्य हो जाएगा। मरीज को घाव के कारण दर्द का सामना नहीं करना पड़ेगा और रिकवरी तेजी से होगी। इसके अतिरिक्त, खून बहने की समस्या भी नहीं होगी, जिससे मरीजों को जल्द छुट्टी दी जा सकेगी।

रीनल आर्टरी की एंजियोप्लास्टी
डीएसए तकनीक में पारंपरिक सर्जरी के मुकाबले मरीजों को अस्पताल में कम समय रुकना पड़ेगा। इससे उनकी दिनचर्या पर कम प्रभाव पड़ेगा और इलाज का अनुभव अधिक सकारात्मक होगा। इस मशीन की मदद से हाइपरटेंशन के इलाज में रीनल आर्टरी की एंजियोप्लास्टी की जा सकेगी। यह उन मरीजों के लिए फायदेमंद होगा, जिन्हें उच्च रक्तचाप का खतरा है।

ट्यूमर का उपचार, थूक में खून आने जैसी समस्याओं का समाधान
ट्यूमर को सिकोड़ने और उसके प्रभाव को कम करने में भी डीएसए मशीन अहम भूमिका निभाएगी। यह जटिल ट्यूमर के इलाज को सुरक्षित और आसान बनाएगी। यह तकनीक थूक में खून आने जैसी समस्याओं का निदान करने में भी सहायक होगी, जो कई बार गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकती हैं।

लखनऊ में पहली बार लगेगी ऐसी मशीन
लखनऊ में अब तक इस तरह की उन्नत मशीन किसी संस्थान में नहीं थी। केजीएमयू में इसे लगाने से न केवल मरीजों को लाभ होगा, बल्कि चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भी नए आयाम खुलेंगे। संस्थान के मीडिया प्रभारी प्रो. केके सिंह ने बताया कि मशीन की खरीद प्रक्रिया अंतिम चरण में है और जल्द ही इसे स्थापित कर दिया जाएगा।

स्मार्ट नेटवर्किंग से ऑनलाइन सेवाएं बेहतर
केजीएमयू ने परिसर में नेटवर्किंग को सुधारने के लिए चार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इस कदम से विभागों के बीच बेहतर ऑनलाइन समन्वय सुनिश्चित किया जाएगा। मरीजों से जुड़े सभी काम अब डिजिटल रूप से हो रहे हैं, इसलिए डेटा की सुरक्षा और इंटरनेट कनेक्टिविटी को मजबूत करना बेहद जरूरी हो गया है।

ऑफिस ऑटोमेशन और डेटा सुरक्षा
ऑफिस ऑटोमेशन के तहत नए इंटरनेट पॉइंट लगाए जाएंगे और मौजूदा सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा। इस पहल से न केवल मरीजों को बेहतर सेवा मिलेगी, बल्कि संस्थान को नैक और अन्य ग्रेडिंग में भी फायदा होगा। 

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