UPPCL : 1.10 लाख करोड़ का घाटा कम करने को निजीकरण की तैयारी, संगठनों ने दलील ठुकराई, दी चेतावनी

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Nov 26, 2024 10:42

इस बीच यूपीपीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि निजीकरण के बावजूद कर्मचारियों के पेंशन और अन्य लाभ सुरक्षित रहेंगे। संविदा कर्मचारियों के हितों को भी ध्यान में रखा जाएगा। दक्ष मैनपावर की जरूरत बढ़ने के कारण बेहतर सेवा शर्तें सुनिश्चित की जाएंगी। साथ ही निजीकरण के बाद भी चेयरमैन का पद शासन के वरिष्ठ अधिकारी के पास रहेगा।

Lucknow News : यूपीपीसीएल का घाटा 1.10 लाख करोड़ पहुंचने के बीच प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की योजना बनाई जा रही है। सरकार घाटे की दुहाई देकर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल अपनाने की तैयारी कर रही है। इस पहल की शुरुआत दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगमों से हो सकती है। बताया जा रहा है कि इस नई व्यवस्था के तहत प्रबंधन के प्रमुख पद जैसे प्रबंध निदेशक, संबंधित निजी कंपनियों के हाथों में होंगे, जबकि कारपोरेशन का अध्यक्ष सरकार का प्रतिनिधि रहेगा। इसे लेकर विभिन्न संगठनों का विरोध शुरू हो गया है। वह यूपीपीसीएल के घाटे पर सवाल उठाते हुए अफसरों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। 

निजीकरण पर किया जा रहा मंथन
यूपीपीसीएल ने प्रबंध निदेशकों, निदेशकों और मुख्य अभियंताओं के साथ निजीकरण पर मंथन किया हैं, उनकी राय ली जा रही है। रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस), आरडीएसएस के तहत चल रहे कार्यों की भी समीक्षा की जा रही है। अधिकारियों ने राजस्व वसूली, लाइन हानियां कम करने, और थूर-रेट बढ़ाने के प्रयासों की जानकारी दी है। कुछ अधिकारियों ने ओडिशा के टाटा पावर मॉडल का अध्ययन करने का भी सुझाव दिया है। हालांकि, जानकारी मिलते ही विद्युत संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं।



ऊर्जा संगठनों ने जताई नाराजगी
विद्युत निगमों के निजीकरण का आधार ओडिशा मॉडल को बताया जा रहा है, लेकिन संगठनों ने इसे नाकाम करार दिया है। उनका कहना है कि यह मॉडल ओडिशा में सफल नहीं रहा और यूपी में इसे लागू करना गलत होगा। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने वर्ष 2020 में हुए समझौते को लागू करने की मांग की है। साथ ही निजीकरण के प्रभावों को लेकर सवाल उठाए। 

अभियंता संघ बोला- निजीकरण मंजूर नहीं
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने निजीकरण का कड़ा विरोध किया। महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर ने मांग की कि सरकार यह स्पष्ट करे कि घाटा क्यों हो रहा है और इसे कम करने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।

यूपीपीसीएल संगठनों को समझाने में जुटा
इस बीच यूपीपीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि निजीकरण के बावजूद कर्मचारियों के पेंशन और अन्य लाभ सुरक्षित रहेंगे। संविदा कर्मचारियों के हितों को भी ध्यान में रखा जाएगा। दक्ष मैनपावर की जरूरत बढ़ने के कारण बेहतर सेवा शर्तें सुनिश्चित की जाएंगी। साथ ही निजीकरण के बाद भी चेयरमैन का पद शासन के वरिष्ठ अधिकारी के पास रहेगा। इससे उपभोक्ताओं और कर्मचारियों का हित प्रभावित नहीं होगा। अधिकारियों के मुताबिक केवल उन्हीं क्षेत्रों में सुधार प्रक्रिया लागू होगी, जहां पैरामीटर खराब हैं। बेहतर प्रदर्शन वाले क्षेत्रों को इससे बाहर रखा जाएगा। यदि अधिकारी और कर्मचारी सुधार प्रक्रिया में सहयोग करते हैं, तो उन्हें नई कंपनी में हिस्सेदारी देने पर विचार किया जाएगा।

तीन विकल्पों का प्रस्ताव
  • अपने वर्तमान पद पर बने रहें।
  • यूपीपीसीएल या अन्य डिस्कॉम में स्थानांतरित हो जाएं।
  • आकर्षक वीआरएस का विकल्प चुनें।

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