KGMU : मोटापे से जूझ रहा लखनऊ का हर चौथा किशोर, हाइपरटेंशन-फैटी लिवर की बढ़ रही समस्या

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Jan 23, 2025 13:13

पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट के अनुसार, देश के 40 प्रतिशत किशोर फैटी लिवर से ग्रसित हैं। मोटापे से ग्रस्त किशोरों में यह समस्या 80 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। यह समस्या उनके भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है।

Lucknow News : मोटापा बीते कुछ वर्षों में बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इसकी वजह से लोगों का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है। लोग अवसाद के शिकार हो रहे हैंं। वहीं लखनऊ के किशोरों में भी मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन मेडिकल साइंसेज में प्रकाशित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के एक अध्ययन के अनुसार, शहर के 25 प्रतिशत किशोर मोटापे से ग्रस्त हैं। इससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, जिसमें हाईपरटेंशन और फैटी लिवर जैसी समस्याएं प्रमुख हैं।

अध्ययन की प्रक्रिया और आंकड़े, 110 किशोरों पर हुआ शोध
केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग ने जून 2023 से मार्च 2024 के बीच 12 से 18 वर्ष के 110 किशोरों पर यह अध्ययन किया। इन किशोरों की लंबाई, वजन, कमर और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) की माप ली गई।
18.18 प्रतिशत किशोर कम वजन के पाए गए।
35.45 प्रतिशत किशोर सामान्य वजन के थे।
25.45 प्रतिशत किशोर मोटापे की श्रेणी में आए।
इन किशोरों की औसत उम्र करीब 16 वर्ष थी, औसत वजन 61.8 किलोग्राम और अधिकतम वजन 106 किलोग्राम दर्ज किया गया।

हाईपरटेंशन का खतरा : किशोरों में बढ़ी समस्या
अध्ययन में पाया गया कि 9.09 प्रतिशत किशोर हाईपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) से पीड़ित थे। मोटापे से ग्रसित किशोरों में यह समस्या और गंभीर हो गई। इनमें 79 प्रतिशत प्रतिभागी लड़के 21 प्रतिशत लड़कियां थी। लड़कियों में औसत बॉडी फैट लड़कों से अधिक था। अध्ययन में पाया गया कि जिन किशोरों के परिवारों में डायबिटीज (23.64 प्रतिशत) और हाईपरटेंशन (27.27 प्रतिशत) की समस्या थी, उनमें मोटापे का खतरा अधिक था।

देश के किशोरों पर बढ़ता खतरा
अध्ययन के मुताबिक, भारत की कुल जनसंख्या का 21 प्रतिशत हिस्सा किशोरों का है। इनमें से 2 प्रतिशत से 21.5 प्रतिशत तक हाईपरटेंशन की चपेट में आने की संभावना रहती है। मोटापे के कारण किशोरों में दिल की बीमारियों का खतरा 12 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यह आंकड़े चिंताजनक हैं और बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन की जरूरत को रेखांकित करते हैं।

लिवर की बीमारियों में वृद्धि
पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट के अनुसार, देश के 40 प्रतिशत किशोर फैटी लिवर से ग्रसित हैं। मोटापे से ग्रस्त किशोरों में यह समस्या 80 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। यह समस्या उनके भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है। फैटी लिवर वह स्थिति है, जब लिवर की कोशिकाओं में वसा जमा हो जाती है। यह समस्या अधिकतर मोटापे, खराब खानपान और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण होती है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर लिवर बीमारियों का कारण बन सकती है।

किशोरों में इस वजह से बढ़ रही फैटी लिवर की समस्या 
फैटी लिवर का सबसे बड़ा कारण फास्टफूड, जंकफूड और अधिक शुगर वाली चीजों का सेवन है। किशोरों में पिज्जा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स और तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन बहुत बढ़ गया है, जिससे उनकी कैलोरी की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है। आज के किशोर मोबाइल, लैपटॉप और वीडियो गेम में ज्यादा समय बिताते हैं। नियमित व्यायाम और खेलकूद में कमी के कारण शरीर में वसा का संचय बढ़ता है, जो लिवर पर सीधा प्रभाव डालता है।

फैटी लिवर के लक्षण
  • किशोरों में फैटी लिवर के लक्षण अक्सर स्पष्ट नहीं होते। लेकिन समय के साथ ये लक्षण दिख सकते हैं :
  • थकान और कमजोरी
  • पेट के दाईं ओर हल्का दर्द
  • भूख न लगना
  • वजन का असामान्य बढ़ना या घटना
  • यदि समस्या बढ़ जाए, तो लिवर सूज सकता है और लीवर फाइब्रोसिस या सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

फैटी लिवर से बचाव और समाधान
  • स्वस्थ खानपान अपनाएं।
  • फास्टफूड, तले-भुने और वसायुक्त भोजन से बचें।
  • फल, सब्जियां, होल ग्रेन, और प्रोटीन युक्त आहार को प्राथमिकता दें।
  • कोल्ड ड्रिंक्स के बजाय पानी, नारियल पानी, और हर्बल चाय का सेवन करें।
  • किशोरों को प्रतिदिन 30-60 मिनट तक व्यायाम या खेल में भाग लेना चाहिए।
  • योग और मेडिटेशन को दिनचर्या में शामिल करें।
  • शारीरिक वजन को नियंत्रित रखें।
  • BMI (बॉडी मास इंडेक्स) को सामान्य बनाए रखें।
  • अधिक कैलोरी वाली चीजों का सेवन कम करें।
  • नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं।
  • समय-समय पर लिवर फंक्शन टेस्ट और अन्य स्वास्थ्य जांच करवाएं।
  • डॉक्टर से परामर्श लें और उचित दवाइयों का सेवन करें।

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