TOD Tariff : 70 फीसदी बिजली रात में इस्तेमाल, 2026 से पहले UPPCL लागू करने से कर चुका है इनकार, अब प्रस्ताव पर उठे सवाल

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Jan 23, 2025 12:17

प्रदेश में लगभग 3.45 करोड़ विद्युत उपभोक्ता प्रदेश में हैं, जिसमें से लगभग 2.85 करोड़ विद्युत उपभोक्ता घरेलू हैं। अहम बात है कि इसमें से लाइफलाइन कैटेगरी में आने वाले गरीब विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 1.30 करोड़ है।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश में चोर दरवाजे से बिजली दर बढ़ाने की कोशिश का विरोध तेज होता जा रहा है। उपभोक्ता परिषद ने टाइम ऑफ डे यानी टीओडी टैरिफ के जरिए दिन और रात की बिजली दरें अलग-अलग करने को लेकर कई सवाल किए हैं। संगठन ने नियमों का हवाला देकर इसे खिलाफ सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी है। उपभोक्ता परिषद ने कड़े तेवर दिखाकर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) से ये प्रस्ताव वापस लेने की मांग की है। हालांकि, ये लड़ाई लंबी चलने के आसार हैं। जिस तरह उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के अधिकारी दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण को लेकर प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में जुटे हैं, उसी तरह इस प्रकरण पर भी आगे विवाद गहराने के आसार हैं। 

15 से 20 प्रतिशत वृद्धि की आशंका में आयोग पहुंचा उपभोक्ता परिषद
प्रदेश में टीओडी टैरिफ के आधार पर रात और दिन का बिजली दर अलग करके विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 15 से 20 प्रतिसत बढ़ोतरी करने वाले प्रस्ताव के खिलाफ उपभोक्ता परिषद ने सवाल खड़े किए हैं। संगठन के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार सदस्य संजय कुमार सिंह से मिलकर इस संबंध में लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल किया है। 

मई 2026 तक लग पाएंगे स्मार्ट प्रीपेड मीटर, इसके बाद ही टीओडी पर विचार
इसमें विद्युत नियामक आयोग से इस प्रस्तावित कानून को प्रस्ताव से बाहर करने की मांग की गई है। उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग के सामने मुद्दा उठाया कि पावर कारपोरेशन की तरफ से पहले ही केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय को सूचित किया जा चुका है कि मई 2026 तक इस कानून को नहीं लागू किया जा सकता है, क्योंकि अभी प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर मई 2026 तक ही लग पाएगा। इसके बाद ही टीओडी को लागू करने पर विचार किया जाएगा। ऐसे में अभी इस प्रस्ताव का क्या औचित्य है।

निजी घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार किया गया प्रस्ताव
अहम बात है कि विद्युत नियामक आयोग की रिसोर्स एडवोकेसी प्लान पर सार्वजनिक सुनवाई के समय भी पावर कारपोरेशन की तरफ से पीक आवर्स और नॉन पीक आवर्स के मामले पर स्पष्टीकरण दिय जा चुका है। तब कहा गया था कि कैटेगरी वाइज लोड फोरकास्ट पूरी प्रक्रिया करने में उसे 2030 तक का समय चाहिए। ऐसे में यह पूरा प्रस्ताव पूरी तरह से आने वाले निजी घरानों को लाभ देने के लिए तैयार किया गया है, जिससे उत्तर प्रदेश सरकार की छवि धूमिल होना तय है।

नियामक आयोग बोला- टीओडी टैरिफ पर फिलहाल नहीं किया जा रहा विचार 
इस बीच नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को आश्वासन दिया है कि घरेलू उपभोक्ताओं और वाणिज्य उपभोक्ताओं को डरने की कोई जरूरत नहीं है। फिलहाल अभी उन पर कोई भी टीओडी टैरिफ लागू करने पर विचार नहीं किया जा रहा है। उपभोक्ता परिषद ने आयोग को अवगत कराया कि इससे उपभोक्ताओं का नुकसान होगा इसलिए इस पर विचार किया जाना उचित नहीं होगा।

नियामक आयोग पहले 4 कैटेगरी में लागू कर चुका है व्यवस्था 
उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग को कई बिंदुओं के आधार पर जानकारी दी  कि प्रस्ताव को लागू करने पर कैसे गरीब जनता, घरेलू उपभोक्ता दुकानदार व अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं का नुकसान होगा। संगठन ने यह भी मुद्दा उठाया कि विद्युत नियामक आयोग पहले 4 कैटेगरी में व्यवस्था लागू कर चुका है। इसके तहत वर्ष 2024-25 के बिजली दर आदेश से पब्लिक लैंप एल एमवी-3 और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग एल एमवी- 11 श्रेणी से टीओडी टैरिफ को हटा दिया गया था। वहीं वर्तमान में कुछ संशोधन के आधार पर लघु एवं मध्यम उद्योग एलएमवी-6 एवं वृहद उद्योग एचवी-2 पर ही लागू है, जो आज तक टैरिफ आदेश के सॉफ्टवेयर में लागू नहीं हो पाया और न ही आगे भी लागू हो पाएगा। ऐसे में इस प्रकार के अव्यावहारिक प्रस्ताव को ड्राफ्ट रेगुलेशन से बाहर किया जाना उचित होगा।

नियमावली में रात-दिन को लेकर बिजली दर में कमी-इजाफे का जिक्र नहीं
प्रदेश में लगभग 3.45 करोड़ विद्युत उपभोक्ता प्रदेश में हैं, जिसमें से लगभग 2.85 करोड़ विद्युत उपभोक्ता घरेलू हैं। अहम बात है कि इसमें से लाइफलाइन कैटेगरी में आने वाले गरीब विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 1.30 करोड़ है। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि केंद्र सरकार को शायद यह नहीं पता है कि उत्तर प्रदेश में रात 8 से 12 बजे पीक आवर्स की श्रेणी है। भारत सरकार की बनाई गई नियमावली में कहां गया है कि दिन में 10 से 20 प्रतिशत बिजली दर में कमी हो सकती है और पीक आवर्स के घंटों के दौरान यानी रात में 10 से 20 प्रतिशत का इजाफा किया जा सकता है। 

कुल उपभोग का 70 प्रतिशत रात में इस्तेमाल करते हैं उपभोक्ता
उपभोक्ता परिषद का कहना है कि केंद्र सरकार को शायद यह नहीं मालूम कि पूरे देश में घरेलू विद्युत उपभोक्ता का जो कुल उपभोग है, उसका लगभग 70 प्रतिशत उपभोग रात में होता है और महज 30 प्रतिशत उपभोग ही दिन में होता है। ऐसे में जब 70 प्रतिशत उपभोग के समय बिजली महंगी होगी तो कहां से घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को इसका लाभ मिल जाएगा।
 

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