सोरायसिस का हर्बल समाधान : सीमैप की 'सोरियासिम' जड़ से करेगी खात्मा, इस वजह से बढ़ रहे मामले

UPT | सोरायसिस

Jan 23, 2025 15:12

सोरायसिस एक गैर-संक्रामक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो शरीर की इम्यून प्रणाली के असंतुलन के कारण होती है। इसमें त्वचा पर लाल, खुजली भरे चकत्ते बनते हैं, जिन पर अक्सर सिल्वर रंग की सफेद पपड़ी जमा होती है।

Lucknow News : त्वचा की गंभीर बीमारी सोरायसिस को अब प्राकृतिक तरीके से नियंत्रित किया जा सकेगा। लखनऊ स्थित केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौध संस्थान (सीमैप) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नारायण प्रसाद ने एक अनूठी हर्बल क्रीम विकसित की है, जो इस बीमारी की सूजन और लाल चकत्तों को प्रभावी रूप से कम करने में कारगर है।

सोरियासिम नाम से बाजार में जल्द होगा उपलब्ध
इस क्रीम की खासियत यह है कि इसमें हानिकारक स्टेरॉयड का इस्तेमाल नहीं किया गया है, फिर भी यह त्वचा पर सूजन घटाने वाले प्राकृतिक तत्वों से भरपूर है। क्रीम का पेटेंट कराया जा चुका है और इसे जल्द ही बाजार में 'सोरियासिम' के नाम से पेश किया जाएगा। डॉ. नारायण प्रसाद के अनुसार, इस क्रीम को तैयार करने के लिए लंबे और गहन शोध के दौरान खास पौधों से अर्क निकाला गया। यह अर्क सोरायसिस के मरीजों में सूजन का कारण बनने वाले 'प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स' के स्तर को तेजी से कम करता है।

प्रयोगशाला में सफल परीक्षण
क्रीम को खरगोशों पर परीक्षण के बाद त्वचा के लिए पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी पाया गया। इसके नियमित उपयोग से लाल चकत्ते, खुजली और सूजन में कमी देखी गई। इस दवा में 100 प्रतिशत प्राकृतिक बायो-एक्टिव तत्वों का इस्तेमाल किया गया है।

त्वचा की ऑटोइम्यून बीमारी
सोरायसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के असंतुलन से होती है। यह बीमारी गैर-संक्रामक है, लेकिन इससे त्वचा पर लाल खुजली भरे चकत्ते और सफेद पपड़ी जमा हो जाती है। सोरायसिस की तीव्रता ठंडे और शुष्क मौसम में बढ़ जाती है। यह आमतौर पर घुटनों, कोहनियों, पीठ और पेट जैसे हिस्सों को प्रभावित करता है। खुजलाने पर सफेद परत छिलके की तरह निकलती रहती है, जिससे त्वचा और संवेदनशील हो जाती है।

भारत में बढ़ते सोरायसिस के मरीज
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग तीन प्रतिशत आबादी सोरायसिस से प्रभावित है। अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले त्वचा रोगियों में से 40 प्रतिशत मरीज सोरायसिस और एक्जिमा से पीड़ित पाए जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दी और शुष्क मौसम में इस बीमारी की तीव्रता तेजी से बढ़ जाती है। इससे प्रभावित मरीजों को नियमित देखभाल और प्रभावी दवाओं की आवश्यकता होती है।

मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत
इस क्रीम की सबसे बड़ी खासियत है कि यह बिना स्टेरॉयड के तैयार की गई है। यह क्रीम पूरी तरह से सुरक्षित और प्राकृतिक है, जिससे त्वचा पर किसी प्रकार का हानिकारक प्रभाव नहीं होता। सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी के अनुसार यह क्रीम सोरायसिस के मरीजों के लिए बड़ी राहत साबित होगी। यह क्रीम न केवल सुरक्षित है, बल्कि तेजी से असर भी करती है।"

सोरायसिस : गहराई से समझें यह त्वचा रोग
सोरायसिस एक गैर-संक्रामक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो शरीर की इम्यून प्रणाली के असंतुलन के कारण होती है। इसमें त्वचा पर लाल, खुजली भरे चकत्ते बनते हैं, जिन पर अक्सर सिल्वर रंग की सफेद पपड़ी जमा होती है। यह रोग सामान्यतः घुटनों, कोहनियों, पीठ, सिर और पेट के हिस्सों को प्रभावित करता है।

सोरायसिस के प्रकार
  • प्लाक सोरायसिस :यह सबसे आम प्रकार है, जिसमें त्वचा पर लाल चकत्ते और पपड़ी बनती है।
  • गट्टे (गटेट) सोरायसिस :इसमें छोटे लाल धब्बे बनते हैं, जो सामान्यतः बच्चों में देखे जाते हैं।
  • इनवर्स सोरायसिस :यह मुख्यतः त्वचा के कोमल हिस्सों जैसे बगल और कमर में होता है।
  • पुस्थुलर सोरायसिस : इसमें त्वचा पर सफेद फुंसियां बनती हैं, जो दर्दनाक हो सकती हैं।
  • एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस : यह दुर्लभ लेकिन गंभीर प्रकार है, जिसमें पूरी त्वचा पर लालिमा और जलन होती है।
सोरायसिस के लक्षण
  • सोरायसिस में सबसे आम लक्षण त्वचा पर सूजन और खुजली हैं।
  • सफेद या सिल्वर रंग की पपड़ी बनती है, जो खुजलाने पर छिलके की तरह निकलती रहती है।
  • कई मामलों में प्रभावित हिस्से में दर्द और जलन भी महसूस होती है।
  • कुछ मरीजों में नाखून कमजोर हो जाते हैं और जोड़ो में दर्द या सोरायटिक अर्थराइटिस का खतरा बढ़ता है।
इस वजह से होता है सोरायसिस 
सोरायसिस मुख्यतः शरीर के टी-कोशिकाओं की गड़बड़ी के कारण होता है। ये कोशिकाएं त्वचा की स्वस्थ कोशिकाओं को गलती से दुश्मन समझकर उन पर हमला करती हैं, जिससे सूजन और पपड़ी बनती है।
आनुवांशिक कारण : यदि परिवार में किसी को यह बीमारी है, तो अन्य सदस्यों को इसका खतरा अधिक होता है।
मौसम और तनाव : ठंडा और शुष्क मौसम, अत्यधिक तनाव, धूम्रपान, शराब और संक्रमण भी सोरायसिस को बढ़ा सकते हैं।

सोरायसिस के उपचार
  • हर्बल समाधान : हर्बल तत्वों से बनी क्रीम जैसे सोरियासिम प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्प हैं। ये सूजन को नियंत्रित करते हैं और बिना किसी हानिकारक प्रभाव के रोग को काबू में रखते हैं।
  • टॉपिकल थेरेपी : सोरायसिस के लिए मॉइस्चराइज़र, क्रीम और जैल का उपयोग किया जाता है, जो त्वचा को हाइड्रेट रखते हैं और सूजन कम करते हैं।
  • फोटोथेरेपी : इसमें त्वचा पर यूवी किरणों का उपयोग किया जाता है, जो सूजन और लाल चकत्तों को घटाने में मदद करती हैं।
  • दवाएं और बायोलॉजिक्स : गंभीर मामलों में डॉक्टर इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करने वाली दवाएं या इंजेक्शन देते हैं।
सोरायसिस के मरीज क्या करें?
  • फास्ट फूड, शराब और धूम्रपान से बचें। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें और तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान का सहारा लें।
  • त्वचा को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए मॉइस्चराइजिंग क्रीम का उपयोग करें।
  • सोरायसिस के मरीजों को नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और दवाओं का पालन करना चाहिए।
सोरायसिस को लेकर समाज में जागरूकता जरूरी
सोरायसिस जैसी बीमारी को लेकर कई बार समाज में गलतफहमियां और भ्रामक धारणाएं होती हैं। इसे संक्रामक रोग मान लिया जाता है, जबकि यह ऐसा नहीं है। सही जानकारी और जागरूकता से मरीजों का मनोबल बढ़ाया जा सकता है।

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