KGMU : बिना सर्जरी निकाली जाएगी पित्त की नली की पथरी, कोलेंजियोस्कोपी मशीन से कम खर्च में इलाज हुआ संभव

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Dec 28, 2024 12:19

गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुमित रुंगटा ने बताया कि नई मशीन पित्त की नली में मौजूद बड़ी पथरी को भीतर ही तोड़ने और बाहर निकालने में सक्षम है। इस प्रक्रिया में केवल एक घंटे का समय लगेगा। मरीज को बेहोशी दी जाएगी, जिससे इलाज के दौरान कोई दर्द महसूस नहीं होगा।

Lucknow News : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में पित्त की नली की पथरी का इलाज अब बिना किसी चीरा और टांके के संभव हो गया है। गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में एक नई एंडोस्कोपिक मशीन कोलेंजियोस्कोपी (स्पाई ग्लास) मशीन लगाई गई है, जो मरीजों को ऑपरेशन के झंझट से मुक्त कर, पथरी से राहत दिलाने में सहायक होगी। यह तकनीक पित्त नलिकाओं की पथरी को तोड़कर बाहर निकालने की नई और प्रभावी प्रक्रिया है।

बढ़ते मामलों से मरीजों के लिए राहत
पित्त की नली में पथरी पनपने के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। हर उम्र के लोगों में यह समस्या देखी जा रही है। विशेष रूप से एक सेंटीमीटर से बड़ी पथरी के लिए अब तक ऑपरेशन करना आवश्यक था। इस कारण बुजुर्गों, कमजोर मरीजों और युवाओं में इलाज के प्रति संकोच देखा गया। नई तकनीक से इस समस्या का समाधान अब सरल हो गया है।



महिलाओं और युवतियों के लिए खास मददगार
पथरी के ऑपरेशन को लेकर महिलाओं और युवतियों में आमतौर पर झिझक रहती है। इस नई तकनीक से अब बिना सर्जरी के पथरी का उपचार संभव है। यह प्रक्रिया दर्दरहित और अधिक सुविधाजनक है, जिससे मरीज जल्द ही सामान्य जीवनशैली अपना सकते हैं।

कोलेंजियोस्कोपी मशीन : इलाज की नई दिशा
गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुमित रुंगटा ने बताया कि नई मशीन पित्त की नली में मौजूद बड़ी पथरी को भीतर ही तोड़ने और बाहर निकालने में सक्षम है। इस प्रक्रिया में केवल एक घंटे का समय लगेगा। मरीज को बेहोशी दी जाएगी, जिससे इलाज के दौरान कोई दर्द महसूस नहीं होगा।

ऑपरेशन की जगह सरल प्रक्रिया
अब तक पित्त की नली की पथरी के लिए ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प था, जिसमें चीरा-टांका शामिल होता था। नई कोलेंजियोस्कोपी तकनीक से यह प्रक्रिया बिना किसी कट के पूरी की जा सकती है। इलाज का खर्च भी अपेक्षाकृत कम है, जिसमें लगभग 10,000 से 12,000 रुपये लगेंगे।

मरीजों के लिए नई उम्मीद
केजीएमयू की कुलपति, डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि नई तकनीक से मरीजों को ऑपरेशन के दर्द और उसके बाद की जटिलताओं से बचाया जा सकेगा। यह मशीन विशेष रूप से उन मरीजों के लिए फायदेमंद है, जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं या ऑपरेशन कराने से डरते हैं।

महज एक घंटे में इलाज
गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के अनुसार, इस नई तकनीक के तहत मरीज की पथरी को तोड़कर उसे बाहर निकालने में केवल एक घंटे का समय लगता है। यह प्रक्रिया एंडोस्कोप के माध्यम से की जाती है, जिससे इलाज सरल और सुरक्षित हो जाता है।

कम खर्च में उच्च स्तरीय इलाज
इस नई मशीन की मदद से पथरी का इलाज अब किफायती हो गया है। बिना ऑपरेशन के इलाज कराने पर मरीजों को केवल 10,000-12,000 रुपये का खर्च वहन करना होगा। यह उन मरीजों के लिए वरदान है, जो महंगे ऑपरेशन का खर्च नहीं उठा सकते।

कैसे काम करती है कोलेंजियोस्कोपी मशीन?
मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी विभाग के प्रमुख, प्रो. सुमित रुंगटा के अनुसार, कोलेंजियोस्कोपी मशीन के माध्यम से पित्त नलिकाओं की आंतरिक स्थिति की जांच की जाती है।
प्रक्रिया : मशीन पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर उन्हें प्राकृतिक रूप से बाहर निकालने में मदद करती है।
वैकल्पिक समाधान : यह तकनीक उन मरीजों के लिए बेहद उपयोगी है, जिनकी स्थिति सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं है।

अन्य बीमारियों के इलाज में भी कारगर
कोलेंजियोस्कोपी तकनीक न केवल पथरी को हटाने में सहायक है, बल्कि यह अन्य गंभीर समस्याओं के उपचार में भी उपयोगी है:
  • नलिकाओं में रुकावट : ब्लॉकेज को आसानी से साफ किया जा सकता है।
  • संक्रमण का उपचार : पित्त नलिकाओं में संक्रमण को हटाने में मदद।
  • कैंसर की जांच और उपचार : शुरुआती चरणों में नलिकाओं से जुड़े कैंसर का पता लगाना।
पथरी से बचाव के उपाय
पथरी के जोखिम को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी हैं-
  • पानी का अधिक सेवन करें: शरीर में हाइड्रेशन बनाए रखें।
  • संतुलित आहार लें: वसा और प्रोटीन की अधिकता से बचें।
  • शारीरिक सक्रियता बनाए रखें: नियमित व्यायाम करें।
  • नमक और शक्कर का सेवन सीमित करें: यह पथरी बनने का मुख्य कारण है।

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