ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने लिया संज्ञान : एक ई-मेल ने कैसे मचाई परिवहन आयुक्त कार्यालय में अफरा-तफरी, जानें

Uttar Pradesh Times | एक ई-मेल ने कैसे मचाई परिवहन आयुक्त कार्यालय में अफरा-तफरी, जानें

Jan 14, 2024 20:36

एक अधिवक्ता द्वारा परिवहन विभाग मुख्यालय को ईमेल कर इस बात की जानकारी दी गई थी कि कतिपय अनधिकृत कंपनियां हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट का प्रयोग कर रही हैं। इसके बाद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

Short Highlights
  • हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने की प्रक्रिया में मिल रही गड़बड़ियों का लिया गया संज्ञान
  • ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने कार्रवाई करने के दिए निर्देश
  • पूर्व में भी प्रक्रिया पर नजर रखने के दिए गए हैं आदेश
Lucknow News: अधिवक्ता द्वारा परिवहन विभाग मुख्यालय को ईमेल किए जाने के बाद परिवहन आयुक्त कार्यालय में अफरा-तफरी मच गई थी। इसके बाद परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह ने  सभी आरटीओ, एआरटीओ प्रवर्तन-प्रशासन और पीटीओ को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि वो सघन चेकिंग अभियान चलाने का निर्देश दिया।

जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल बीते 19 दिसंबर 2023 को एक अधिवक्ता द्वारा परिवहन विभाग मुख्यालय को ईमेल कर इस बात की जानकारी दी गई थी कि कतिपय अनधिकृत कंपनियां हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट का प्रयोग कर रही हैं, जिससे आगे आपराधिक घटनाओं को भी अंजाम दिया जा सकता है। जैसे ही यह प्रकरण परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने मुख्यालय स्तर पर सभी आरटीओ, एआरटीओ प्रवर्तन-प्रशासन और पीटीओ को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि सघन चेकिंग अभियान चलाते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में अवैध तरीके से या फिर फर्जी एचएसआरपी नंबर प्लेट लगाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

एचएसआरपी लगवाने की प्रक्रिया पर नजर रखने का आदेश
इसके अलावा परिवहन आयुक्त ने कहा कि लोकल स्तर पर स्थानीय पुलिस की मदद से ऐसे लोगों के खिलाफ संबंधित धारा में अभियोग पंजीकृत कराएं। आपको बता दें कि इससे पूर्व में भी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने परिवहन आयुक्त कार्यालय स्तर से सभी क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को निर्देशित किया था कि वह एचएसआरपी लगवाने की प्रक्रिया पर पूरी नजर रखें और कहीं पर भी अनियमितता मिलने पर संबंधित के खिलाफ एमवी एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई करें। वहीं इस बाबत अपर परिवहन आयुक्त प्रवर्तन पुष्पसेन सत्यार्थी ने बताया कि 'फर्जी एचएसआरपी स्थानीय दुकानों या फिर फुटपाथी दुकानों के जरिये लगा देने की वजह से ई चालान जारी होने पर यह पता चलता है कि वह वाहन चालान की तिथि पर चालान करने वाले जनपद में मौजूद ही नहीं था। इस प्रकार की तमाम शिकायतें टोल प्लाजा से मिली सूचनाओं के आधार पर किये जाने वाले चालानों में अधिकतर प्राप्त होती हैं।'

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