बुजुर्गाें का सम्मान हमारी परंपरा ही नहीं नैतिक जिम्मेदारी भी : असीम अरुण बोले- सभी जिलों में वृद्धाश्रम वाला यूपी एकमात्र राज्य

UPT | समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण

Oct 01, 2024 18:12

अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के मौके पर लखनऊ में समारोह का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग की ओर से आयोजित इस समारोह में 21 बुजुर्गों को सम्मानित किया गया।

Lucknow News : अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के मौके पर मंगलवार को उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग और हेल्पेज इंडिया के साथ वरिष्ठ नागरिक महासमिति के संयुक्त तत्वावधान में सम्मान समारोह आयोजित किया गया। भागीदारी भवन में आयोजित कार्यक्रम के संबोधन में असीम अरुण ने कहा कि वृद्धजनों की तब मदद की जाये जब उन्हें इसकी जरूरत हो। हमें उन्हें एकाकी नहीं रहने देने चाहिए। प्रदेश सरकार वृद्धजनों के हित में लगातार प्रयास कर रही है और उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही है। 

बच्चे-युवा बड़े-बुजु़र्गों के महत्व को समझें
मंत्री असीम अरुण ने वृद्धजनों को संबोधित करते हुए कहा कि बुजुर्गाें का सम्मान करना हमारी परम्परा ही नहीं नैतिक जिम्मेदारी भी है। वृद्धजनों से हमेशा ही मार्गदर्शन मिलता है। वे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हमें संबल प्रदान करते हैं। हमारी आने वाली पीढ़ियों को नसीहत देते हैं और उनका मार्ग प्रशस्त करते हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में उत्तर प्रदेश एकमात्र अकेला ऐसा राज्य है, जिसके सभी 75 जिलों में वृद्धाश्रम संचालित हैं। उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम का उद्देश्य है कि बच्चे और युवा पीढ़ी घर परिवार के बड़े-बुजु़र्गों की एहमियत को समझें। उनके अनुभवों से प्रेरणा लें और विषम परिस्थियों से सामना होने पर उनसे मार्गदर्शन प्राप्त कर जीवन की चुनौतियों का मजबूती से सम्मान करें। उन्होंने कहा कि समाज कल्याण विभाग का प्रयास है कि वृद्धावस्था पेंशन की पात्रता की उम्र आने पर अर्हता पूरी करने वाले जरूरतमंत बुजर्ग पेंशन के लिए आवेदन न करना पड़े बल्कि उन्हें स्वतः ही पेंशन मिलने लगे। 



102 वर्षीय बुज़ुर्ग को भी किया गया सम्मानित
इस अवसर पर वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में 102 वर्षीया राधा जोशी के अलावा 90 वर्षीया कमला डी, उमा त्रीगुणायत, डॉ.वाई.डी.मिश्र, प्रीतम सिंह नट, वीरेंद्र सिंह, रामलाल गुप्ता, सोबरन सिंह, विजय शंकर वास्तव, वी.के.खरे, दुर्गा दत्त, प्रो.आनंद बरनवाल वैद्य, प्रो.योगेंद्र सिंह, रघुनाथ सिंह आदि शामिल रहे।

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