टीबी मरीजों को मिलेगा दोगुना पोषण भत्ता : यूपी में इतने मरीजों को एक नवंबर से मिलेगा लाभ

UPT | TB Patients

Oct 08, 2024 20:50

टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) एक संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन यह शरीर के अन्य अंगों को भी संक्रमित कर सकती है। इसे माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया फैलाता है, जो खांसने, छींकने या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है।

Lucknow News : टीबी मरीजों को बेहतर पोषण के लिए भारत सरकार ने पोषण भत्ते को दोगुना कर 1000 रुपये प्रतिमाह कर दिया है। यह भत्ता पहली नवंबर से लागू होगा। इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है।  उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में टीबी मरीज सरकार के इस फैसले से लाभान्वित होंगे। अब सरकारी स्तर पर टीबी के नि:शुल्क के साथ पोषण भत्ता में इजाफा होने से उन्हें बड़ी सुविधा मिलेगी। ड्रग रेजिस्टेन्ट टीबी के इलाज के लिए भारत में पांच सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स चिह्नित किए गए हैं। इनमें एक सेंटर केजीएमयू का रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग है। वहीं प्रदेश में करीब 3.30 लाख से अधिक टीबी मरीज हैं। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने 125 टीबी मरीजों को गोद लिया है।

वर्तमान में हर महीने मिलते हैं 500 रुपये
वर्तमान में टीबी मरीजों को हर महीने पोषण भत्ते के रूप में 500 रुपए की धनराशि दी जाती है। टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने पोषण भत्ते की राशि दोगुना करने का निर्णय किया है। केजीएमयू रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि टीबी उन्मूलन को मजबूती प्रदान करने के लिए पोषण भत्ते में इजाफा किया गया है। 



कुपोषण के कारण हावी होती है टीबी
टीबी को समाप्त करने के लिए कुपोषण से लड़ना बेहद जरूरी है। कुपोषण की स्थिति में टीबी मरीज पर हावी होती चलती जाती है। इसकी वजह से मरीज की सेहत तेजी से बिगड़ती है। बेहतर पोषण व्यवस्था से मरीज के स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिलता है। इस वजह से भारत सरकार ने 500 की जगह 1000 रुपए प्रतिमाह टीबी मरीजों को पोषण भत्ता देने का निर्णय किया गया है। सरकार के इस निर्णय के तहत प्रोत्साहन धनराशि 3000 रुपए दो बराबर किस्तों में दी जाएगी। इसमें 3000 रुपए का पहला लाभ इलाज के समय अग्रिम के रूप में दिया जाएगा। वहीं 3000 रुपए का दूसरा लाभ इलाज के 84 दिन पूरे होने पर दिया जाएगा। जिन मरीजों का इलाज छह माह से अधिक चलेगा। उन्हें 1000 रुपए प्रति माह का नया लाभ दिया जाएगा। 

संक्रामक बीमारी है ट्यूबरक्लोसिस 
टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) एक संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन यह शरीर के अन्य अंगों को भी संक्रमित कर सकती है। इसे माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया फैलाता है, जो खांसने, छींकने या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है। इसके लक्षणों में लगातार दो हफ्तों से अधिक खांसी, बलगम में खून आना, वजन कम होना, बुखार और रात को पसीना आना शामिल हैं।

सही पोषण और इम्यूनिटी का भी ध्यान रखना जरूरी
टीबी का उपचार एंटीबायोटिक्स से किया जाता है और इसका उपचार लंबा होता है, जिसमें 6 महीने से अधिक समय लग सकता है। इलाज में अनियमितता से ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (डीआर-टीबी) होने का खतरा बढ़ता है, जो अधिक जटिल और लंबा इलाज लेता है। इसलिए, नियमित और पूरा इलाज अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।टीबी के इलाज के साथ-साथ सही पोषण और इम्यूनिटी का भी ध्यान रखना आवश्यक है, जिससे शरीर बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम हो सके। भारत में टीबी उन्मूलन के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, जिसमें पोषण भत्ता भी शामिल है ताकि मरीज को अच्छे पोषण की सहायता मिले और उसकी रिकवरी बेहतर हो सके।

यूपी में टीबी मरीज
यूपी में टीबी के मरीजों की मदद के लिए चल रही योजनाएं जैसे कि निक्षय पोषण योजना और नि:क्षय मित्र काफी सफल रही हैं। इस योजना के तहत मरीजों को अभी तक हर माह 500 रुपए की पोषण सहायता सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जा रही है, जिससे उनके इलाज और स्वास्थ्य में सुधार हो सके। इसके अलावा प्रदेश में 39,151 निक्षय मित्र भी इस अभियान का हिस्सा बने हुए हैं, जो 3,30,985 टीबी मरीजों की सहायता कर रहे हैं।

टीबी में मुख्य लक्षण 
  • दो हफ्ते से अधिक समय तक खांसी
  • बलगम के साथ खून आना
  • बुखार, विशेष रूप से शाम को
  • कमजोरी और थकान महसूस होना
  • वजन में कमी
  • छाती में दर्द
  • सांस लेने में दर्द या कठिनाई
  • ठंड लगना और रात में पसीना आना
  • भूख कम लगना
अगर इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक रहें, तो टीबी की जांच कराना आवश्यक होता है।

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