लखनऊ से बड़ी खबर : लेसा कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति को लेकर जारी शासनादेश वापस, दौड़ी खुशी की लहर

UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Apr 28, 2024 21:09

लखनऊ से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां उत्तर प्रदेश शासन को लखनऊ विद्युत आपूर्ति विभाग (लेसा) में 50 वर्ष से अधिक उम्र के समूह 'ग' और 'घ' के कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के आदेश को सिर्फ 24 घंटे बाद ही वापस लेना पड़ा। इस फैसले से राज्य भर में...

Lucknow News : लखनऊ से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां उत्तर प्रदेश शासन को  लखनऊ विद्युत आपूर्ति विभाग (लेसा)  में 50 वर्ष से अधिक उम्र के समूह 'ग' और 'घ' के कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के आदेश को सिर्फ 24 घंटे बाद ही वापस लेना पड़ा। इस फैसले से राज्य भर में करीब 12 से 15 हजार कर्मचारी प्रभावित होते। अनिवार्य सेवानिवृत्ति का यह आदेश वापसी के बाद कर्मचारियों में खुशी का माहौल नजर आ रहा है। माना जा रहा है कि इस शासनादेश को वापस लिए जाने के पीछे लोकसभा चुनाव भी है। 
यह है था पूरा मामला
शासन ने शनिवार को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि 50 वर्ष से अधिक उम्र के समूह 'ग' और 'घ' के कर्मचारियों का कार्य मूल्यांकन किया जाएगा। जिनकी कार्यक्षमता संतोषजनक नहीं पाई जाएगी, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा। हालांकि, विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने इस आदेश का विरोध किया और रविवार को शासन को इसे वापस लेना पड़ा। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि शासन के इस फैसले का मकसद कर्मचारियों के बीच प्रतिस्पर्धा पैदा करना था। हालांकि, विरोध के बाद इसे वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार कभी भी अपने कर्मचारियों के हितों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएगी। लखनऊ जोन के प्रमुख श्रमिक नेता श्याम सुंदर ने आदेश का स्वागत किया और कहा कि यह फैसला सेवा नियमों के विरुद्ध था। उन्होंने बताया कि विभाग में लगभग 36 हजार नियमित कर्मचारी काम कर रहे हैं और इस आदेश के बाद करीब 12 से 15 हजार कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति मिलने का खतरा था। 

मूल्यांकन के बाद सेवा से कर दिए जाते बर्खास्त
श्याम सुंदर ने बतया कि आदेश में कहा गया था कि 50 से अधिक आयु के समूह ग के लेखा लिपिक, क्लास-4 कर्मचारियों और टेक्निकल ग्रेड-2 के कर्मचारियों का मूल्यांकन किया जाएगा। इसके बाद मूल्यांकन की रिपोर्ट के आधार पर जो भी कर्मचारी अनफिट पाए जाएंगे, उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा। अप्रसंगिक आदेश जारी करने को लेकर विभाग की आलोचना भी हुई। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान विभाग द्वारा ऐसा आदेश जारी किया गया जो विवादास्पद भी था। उन्होंने इसे अनुचित भी करार दिया। अब जबकि शासन ने आदेश वापस ले लिया है, विभाग में फिलहाल सब कुछ शांत दिख रहा है। हालांकि, यह भी देखना होगा कि भविष्य में शासन इस तरह के किसी और आदेश को लेकर आगे क्या रुख अपनाता है।
 

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