UPPCL Privatisation : काली पट्टी बांधकर दिखाई ताकत, अभियंता बोले- डॉ. आंबेडकर बिजली सरकारी क्षेत्र में रखने के रहे पक्षधर

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Jan 01, 2025 19:48

पदाधिकारियों ने कहा कि इस निर्णय से दलित व पिछड़ा वर्ग के अभियंता कार्मिकों का जहां बड़े पैमाने पर नुकसान होगा, वहीं स्वीकृत पद के आधार पर लगभग 16000 पदों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा। इसे लेकर पावर ऑफिसर एसोसिएशन लंबे समय से अपना संवैधानिक आंदोलन चला रही है।

Lucknow News : दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण के ​फैसले के विरुद्ध नए साल के पहले दिन सभी ऊर्जा निगमों में अभियंता और कार्मिक संगठनों ने काली पट्टी बांधकर काम करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के निर्णय को लेकर बिजली विभाग के कार्यालयों ने 'काला दिवस' मनाया गया। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के बैनर तले दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता कार्मिकों ने सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक काली पट्टी बांधकर अपना नियमित काम किया। उन्होंने एक बार फिर इस फैसले से उपभोक्ताओं का कोई फायदा नहीं होने की बात कही।

16000 आरक्षित पद समाप्त होने से रोष
एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार से मांग दोहराई कि दक्षिणांचल व पूर्वांचल को पीपीपी मॉडल में दिए जाने का फैसला हर लिहाज से नुकसानदायक है। इससे वापस लिए बिना कोई समाधान संभव नहीं है। संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि इस निर्णय से दलित व पिछड़ा वर्ग के अभियंता कार्मिकों का जहां बड़े पैमाने पर नुकसान होगा, वहीं स्वीकृत पद के आधार पर लगभग 16000 पदों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा। इसे लेकर पावर ऑफिसर एसोसिएशन लंबे समय से अपना संवैधानिक आंदोलन चला रही है। बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि बिजली सस्ती नहीं बहुत सस्ती होनी चाहिए और हमेशा ही सरकारी क्षेत्र में रहनी चाहिए। उनका मानना था सरकारी क्षेत्र में ही आम और गरीब जनता का ज्यादा भला हो सकता है। इसलिए बाबा साहब के विचारों को ही उत्तर प्रदेश सरकार को आगे बढ़ाना चाहिए।



सरकार से हर हाल में फैसा वापस करने की मांग
प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में दलित वर्ग के अभियंता कार्मिकों में पीपीपी मॉडल के खिलाफ भारी रोष व्याप्त है। आज उसी के मद्देनजर सभी बिजली कंपनियों में बड़े पैमाने पर सुबह से नए वर्ष के पहले दिन काली पट्टी बांधकर सभी ने अपना विरोध जताते हुए प्रदेश सरकार से अपना फैसला वापस लेने की मांग उठाई।

निजीकरण के बाद बिजली दरों में इजाफा
पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिन आरपीकेन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, प्रभाकर, बनवारी लाल, रमेश कुमार, संतोष कुमार, मधुकर विनय विमल ने कहा कि निजीकरण से ना तो बिजली कार्मिकों का कोई लाभ होने वाला है और ना ही प्रदेश का कोई लाभ होने वाला है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के उपभोक्ताओं के मन में जो भय व्याप्त है, वह बिल्कुल सही है। निजीकरण के बाद उनकी भी बिजली दरों में इजाफा होने की पूरी संभावना रहेगी। निजी घराने अपने लाभ में काम करते हैं। उन्हें कार्मिक, जनता किस किसी से कोई लेना देना नहीं होता। ऐसे में पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण का फैसला जनहित में नहीं है।

बिजली कर्मचारियों का बेवजह उत्पीड़न कर रहे अफसर
वहीं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने भी नए साल के पहले दिन निजीकरण के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करने की बात कही। इस फैसले के विरोध में सभी ऊर्जा निगमों के बिजली कर्मियों, संविदा कर्मियां और अभियंताओं ने 'काला दिवस' मनाया। इसके तहत सभी बिजली कर्मियों ने पूरे दिन दाहिने बाजू पर काली पट्टी बांधकर काम किया। भोजनावकाश के दौरान कार्यालय से बाहर आकर काली पट्टी बांधे हुए मानव श्रृंखला बनाकर निजीकरण का शांति पूर्वक विरोध दर्ज कराया। संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मियों का बेवजह बड़े पैमाने पर निलंबन और उत्पीड़न किया जा रहा है। यूपीपीसीएल के चेयरमैन और पॉवर कारपोरेशन के शीर्ष प्रबंधन, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक को चेताने के लिए इस तरह अपना विरोध दर्ज कराया गया है।

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