Lok sabha Election : पश्चिम यूपी में बसपा की सियासी जमीन सिकुड़ी, तीसरे नंबर पर दौड़ रहा हाथी

UPT | मेरठ में कृषि विवि में लोकसभा चुनाव की मतगणना।

Jun 04, 2024 15:24

बसपा प्रत्याशियों और सुप्रीमो मायावती के लिए बुरी खबर है। बसपा प्रत्याशी पश्चिम यूपी के मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, कैराना और सहारनपुर में तीसरे नंबर पर चल रही है।

Short Highlights
  • लोकसभा चुनाव में हो जाएगा बसपा के राज और ताज का फैसला 
  • मेरठ में 2019 के लोस चुनाव में दूसरे नंबर पर आने वाली बसपा तीसरी पायदान पर  
  • पश्चिम यूपी के जिलों में कोई खास करिश्मा नहीं कर पाई माया की बसपा
Lok sabha Election 2024 : पश्चिम यूपी के सभी जिलों में लोकसभा चुनाव की मतगणना जारी है। मतगणना के बीच बसपा प्रत्याशियों और सुप्रीमो मायावती के लिए बुरी खबर है। बसपा प्रत्याशी पश्चिम यूपी के मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, कैराना और सहारनपुर में तीसरे नंबर पर चल रही है। जिस तरह से मतगणना में बसपा का हाथी पिछड़ा है उससे लग रहा है कि प्रत्याशी अपनी जमानत बचा ले उतना बहुत है।

लोकसभा सीट पर भाजपा और सपा गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला
पश्चिम यूपी की प्रत्येक लोकसभा सीट पर भाजपा और सपा गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला चल रहा है। बसपा कहीं भी लड़ाई में नहीं दिख रही है। ये बसपा के लिए खतरे का संकेत है। जिस तरह से पार्टी प्रत्याशियों को वोट मिले हैं उससे तो लगता है कि पश्चिमी यूपी में बसपा की सियासी जमीन सिकुड़ रही है। 

विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से लड़खड़ा चुकी बसपा के लिए लोकसभा चुनाव
बहुजन समाज पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव 2024 कई मायने में बहुत खास था। विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से लड़खड़ा चुकी बसपा के लिए लोकसभा चुनाव संभलने का मौका था। लेकिन जिस तरह से मतगणना के नतीजे बसपा के पक्ष में आए हैं। उनको देखते हुए आने वाले समय में बसपा के लिए राह काफी कठिन है। साल 2024 में बसपा के लिए 2019 का प्रदर्शन दोहरा पाना नामुमकिन सा लग रहा है।

बसपा ने साल 2009 में अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन
बसपा ने साल 2009 में अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन करते हुए 21 लोकसभा सीटें जीती थीं। उसके बाद बसपा को हर लोकसभा चुनाव में घाटा उठाना पड़ा है। 2014 में बसपा एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी। 2019 में 10 सीटें जीतने में सफल हुई थी। आज 2024 के चुनावी नतीजे पूरी तरह से बसपा का भविष्य तय कर देंगे। 

अकेले अपने दम पर उत्तर प्रदेश में बसपा मैदान में 
बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2014 में अकेले दम पर उत्तर प्रदेश में मैदान में थी। यह फैसला चुनाव परिणाम आने के बाद पूरी तरह गलत साबित हुआ था। बहुजन समाज पार्टी 2014 में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। 1985 के बाद 29 साल में साल 2014 में ऐसा दौर आया जब बसपा खाता भी नहीं खोल पाई थी। हालांकि बीच की अवधि के दौरान बसपा का प्रदर्शन अच्छा रहा था। 

2019 में सपा से मिलाया हाथ तो दहाई तक पहुंची बसपा
बहुजन समाज पार्टी को 2014 में एक भी सीट नहीं जीतने का मलाल रहा इससे सबक लेते हुए मायावती ने धुर विरोधी समाजवादी पार्टी से 2019 के लोकसभा चुनाव में हाथ मिलाया। बुआ और भतीजा दोनों एक साथ भाजपा को मात देने के लिए निकले। जिसके फलस्वरूप 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा 10 सीट जीतने में कामयाब रही थी।

शुरूआती रूझान से बसपा के लिए कोई अच्छे संकेत नहीं
लोकसभा चुनाव 2024 में भी  बहुजन समाज पार्टी अकेले मैदान में हैं। लेकिन इस बार भी चुनाव परिणाम के शुरूआती रूझान से बसपा के लिए कोई अच्छे संकेत नहीं है। वर्तमान में बसपा की जो स्थिति बन रही है उससे राजनीतिक जानकार यह कयास लगा रहे हैं कि कहीं बहुजन समाज पार्टी का हश्र 1985 और 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह न हो। ऐसा न हो कि पार्टी का हाल इस लोकसभा चुनाव में फिर से 2014 वाला हो जाए।
 

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